केंद्र सरकार ने गृह सचिव अजय कुमार भल्ला (Ajay Kumar Bhalla) का कार्यकाल चौथी बार बढ़ा दिया है। 1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईएएस अफसर भल्ला 22 अगस्त 2024 को दूसरे ऐसे अफसर बन जाएंगे, जिन्होंने बतौर गृह सचिव 5 साल या इससे ज्यादा का कार्यकाल पूरा किया है। भल्ला से करीब 52 साल पहले लल्लन प्रसाद सिंह करीब 6 साल तक गृह सचिव की कुर्सी पर रहे थे और साल 1971 में रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट के बाद वह असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों के राज्यपाल भी रहे और साल 1999 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।
कौन हैं अजय कुमार भल्ला?
मूल रूप से बिहार के रहने वाले अजय कुमार भल्ला ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमएससी (बॉटनी) और पंजाब यूनिवर्सिटी से सोशल साइंस में एमफिल की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है। भल्ला के पिता भी सरकारी अफसर थे। अजय कुमार भल्ला की 23 अगस्त 2019 को रिटायरमेंट से साल भर पहले बतौर गृह सचिव नियुक्ति हुई थी। इससे पहले वे गृह मंत्रालय में बतौर ओएसडी तैनात थे।
अजय कुमार भल्ला को केंद्र सरकार इससे पहले अगस्त 2020, 2021 और 2022 में सेवा विस्तार दे चुकी है और अब उनका कार्यकाल चौथी बार बढ़ा है। भल्ला की गिनती बेहद तेज-तर्रार अफसरों में होती है। गृह मंत्रालय में आने से पहले वह 2017 से 2019 तक विद्युत मंत्रालय में सचिव थे। साथ ही वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव के तौर पर भी काम किया है।
गृह सचिव बनते ही चुनौती
भल्ला की 23 अगस्त 2019 को जब गृह सचिव के तौर पर नियुक्ति हुई, उससे करीब 15 दिन पहले ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था और राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। ऐसे अजय कुमार भल्ला के सामने चुनौती थी कि राज्य में सबकुछ सामान्य हो और किसी तरह की हिंसा न हो। और वह ऐसा करने में सफल भी रहे। 4 साल बाद अब घाटी में न सिर्फ स्थिति सामान्य है, बल्कि आतंकी घटनाओं में भी कमी आई है।
एक के बाद एक इम्तहान
जम्मू-कश्मीर का मामला शांत नहीं हुआ था कि 2019 के आखिर तक CAA का मामला सामने आ गया। इस मामले को लेकर पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों में प्रदर्शन हुए। फरवरी 2020 में दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भी हुए। इसी बीच मार्च के आखिर में कोरोना महामारी ने भी दस्तक दे दी। अजय कुमार भल्ला ही वो अफसर थे जो बतौर नोडल अफसर लॉकडाउन से लेकर तमाम राज्यों के लिए गाइडलाइन तैयार कर रहे थे।
कोरोना के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान दिल्ली में धरने पर बैठ गए, लाल किले पर हिंसक झड़प हुई। इसी बीच कोरोना की दूसरी लहर भी आ गई। भल्ला एक के बाद एक इम्तहान देते रहे।
क्यों खास हैं भल्ला?
अजय कुमार भल्ला गृह मंत्री अमित शाह के दाहिने हाथ माने जाते हैं। एक सीनियर ब्यूरोक्रेट कहते हैं कि अजय कुमार भल्ला एक ऐसे अफसर हैं जिन्हें पता है कि उन्हें करना क्या है। वह कभी नहीं कहते हैं कि ये काम मैं अच्छा कर सकता हूं। वह जानते हैं कि अगर मंत्री ने कोई निर्णय लिया है तो वह काम हर हाल में होना है। यही उनकी खासियत है। गृह मंत्रालय में भल्ला के एक साथी कहते हैं कि असम-मेघालय कैडर का होने के नाते अजय कुमार भल्ला की नॉर्थ ईस्ट से जुड़े मामलों पर बहुत अच्छी पकड़ है। जो गृह मंत्रालय के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। शायद ही किसी ने कभी उनकी टेबल पर कोई फाइल पेंडिंग देखी हो।
अफसर ने सुनाया वाकया
गृह मंत्रालय के एक अफसर कहते हैं कि चाहे कितना भी दबाव हो या किसी तरह का प्रेशर हो, अजय कुमार भल्ला कभी भी अपना आपा नहीं खोते। वह अच्छे वक्ता के साथ अच्छे श्रोता भी हैं। तमाम मंत्रालयों के बीच समन्वय में तो उनका कोई सानी ही नहीं है। गृह मंत्रालय में काम कर चुके एक नौकरशाह एक वाकया याद करते हैं।
वह कहते हैं कि एक बार हमें ऊपर से एक निर्देश मिला। मैंने गृह सचिव के सामने अपनी आपत्ति जताई। भल्ला चुपचाप मेरी बात सुनते रहे। उन्होंने यह नहीं कहा कि ऊपर से जैसा निर्देश है, वैसा ही होगा। बल्कि मेरा पॉइंट समझा और कहा कि इस बारे में एक नोट तैयार करें, ताकि मैं ऊपर बात कर सकूं। यह दिखाता है कि वह अपनी राय किसी पर नहीं थोपते हैं।