लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है। पार्टी ने सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी गुट INDIA से “पूर्ण दूरी” बनाए रखते हुए, अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
बसपा की शाहजहांपुर जिला इकाई के प्रमुख उदयवीर सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “मायावती जी ने आकाश (आनंद) को उत्तराधिकारी घोषित किया है।” सिंह ने कहा कि आनंद को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर पूरे देश में जहां भी पार्टी संगठन कमजोर है, उसे मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है।
हालांकि रविवार को बसपा के आधिकारिक बयान में आनंद की नियुक्ति पर कोई जिक्र नहीं किया गया, सिंह ने कहा कि मायावती ने लखनऊ में पार्टी की अखिल भारतीय बैठक के दौरान इस फैसले की घोषणा की थी।
कौन हैं आकाश आनंद?
आकाश आनंद मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। 28 वर्षीय आकाश को कई मौकों पर पार्टी के कार्यक्रमों में देखा गया है। वह बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक के आधिकारिक पद पर हैं। आकाश आनंद के आधिकारिक एक्स अकाउंट के अनुसार, वह खुद को “बाबा साहेब के दृष्टिकोण का एक युवा समर्थक” बताते हैं।
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली में और एमबीए की डिग्री लंदन में पूरी की। वह साल 2017 में 22 साल की उम्र में भारत लौटे और उसी साल मई में मायावती के साथ सहारनपुर गए, जहां ठाकुर-दलित संघर्ष हुआ था। चार महीने बाद आनंद और आकाश को आधिकारिक तौर पर BSP कार्यकर्ताओं से मिलवाया गया। यह 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद हुआ।
चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी और बसपा 19 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। बसपा के एक नेता ने याद करते हुए कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने आकाश का परिचय उनसे और उनके सहयोगियों से कराते हुए कहा था, “ये आकाश हैं, लंदन से एमबीए की पढ़ाई पूरी की है और अब पार्टी की गतिविधियां देखेंगे।”
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में पहचान उजागर न करने की शर्त पर एक बसपा नेता ने आकाश आनंद के बारे में कहा था, “वह एक अच्छे श्रोता हैं यानी वह लोगों की बातों को ध्यान से सुनते हैं। वह पदाधिकारियों के अलावा कार्यकर्ताओं से भी बातचीत करते हैं। यूपी विधानसभा चुनाव (2022) के दौरान उन्होंने युवाओं के साथ कुछ बैठकें कीं। दूसरे राज्यों में वह वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करते रहे हैं। बहन जी (मायावती) उन्हें लंबे समय के लिए तैयार कर रही हैं। जब भी वह किसी पार्टी की बैठक के लिए किसी जिले का दौरा करते हैं, तो उनके साथ संबंधित राज्य के कम से कम दो समन्वयक होते हैं जो उन्हें स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य के बारे में जानकारी देते हैं और स्थानीय कैडर से परिचित कराते हैं।”
2019 में पहली बार रैली को किया था संबोधित
2019 में चुनाव आयोग ने मायावती 48 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया था। उस दौरान आकाश आनंद ने पहली बार चुनावी रैली को संबोधित किया था। उन्होंने आगरा में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल नेता अजीत सिंह के साथ मंच साझा किया था।
ये तीनों दल लोकसभा चुनाव से पहले बने भाजपा विरोधी और कांग्रेस विरोधी गठबंधन महागठबंधन का हिस्सा थे। हालांकि, जब गठबंधन बसपा को लाभ देने में विफल रहा, तो मायावती गुट से बाहर चली गईं। इसी साल आनंद को बसपा का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया था।
इस साल की शुरुआत में आकाश 14 दिवसीय ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ संकल्प यात्रा’ शुरू की थी। इस यात्रा का मकसद आम चुनाव से पहले युवा नेता को तैयार करना था। बाद में उन्हें राजस्थान चुनाव के लिए बसपा का प्रभारी बनाया गया, जिसमें पार्टी केवल दो सीटें जीतने में सफल रही।