2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ गोलबंद हैं। विपक्षी पार्टियों ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया (I.N.D.I.A) रखा है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) भी इस गठबंधन का हिस्सा है। हाल ही में उमर अब्दुल्ला जनसत्ता डॉट कॉम के कार्यक्रम ”बेबाक” में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने I.N.D.I.A गठबंधन पर विस्तार से बातचीत की और बताया कि इस गठबंधन की चुनौतियां क्या हैं और कैसे बीजेपी को रोकेगा।

विपक्षी एकता की मुहिम 2024 के चुनाव में बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा पाएगी? इस सवाल के जवाब में उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) कहते हैं कि अगर इसी तरह चलते रहे तो काफी नुकसान पहुंच पाएंगे। अभी तो नाम पर ही बीजेपी के लोग हिल गए हैं। अगर नाम पर इतना हिले हैं तो फिर काम पर भी हिल जाएंगे।

उन्हें NDA को जिंदा करना पड़ा…

Jansatta.com के संपादक विजय कुमार झा से बातचीत में उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि अचानक इतने साल बाद NDA को जिंदा करना, एनडीए की मीटिंग रखना और उस मीटिंग में प्रधानमंत्री का पूरे दिन सुबह से शाम तक मौजूद रहना और फिर फोटो खिंचवा कर यह दिखाना की मीटिंग में कितनी पार्टियों ने हिस्सा लिया… यह अपने आप में इंडिया अलायंस की पहली कामयाबी है।

पहले जवाब देना मुश्किल था…

उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि जब कभी विपक्षी एकता की बात होती थी तो बीजेपी के लोग कहते थे कि सब लोग सिर्फ एक आदमी को हराने के लिए जमा हो रहे हैं। अब वह बात नहीं रही। अब मसला दो पक्ष का हो गया है। एक ग्रुप के खिलाफ दूसरा ग्रुप खड़ा है। हमारे लिए (विपक्ष के लिए) पहले इस चीज का जवाब देना मुश्किल था कि हम सारे लोग सिर्फ एक शख्स को हराने के लिए क्यों खड़े हैं। अब हम सब इकट्ठे आ रहे हैं… एक दूसरे गठबंधन को हराने के लिए। ऐसी परिस्थिति में हमसे कोई सवाल नहीं कर सकता है।

Omar Abdullah Interview: कैसे पड़ा नाम I.N.D.I.A, अब आगे की राह क्या? देखें उमर अब्दुल्ला से बातचीत का वीड‍ियो

I.N.D.I.A गठबंधन की आगे की राह क्या?

इंडिया गठबंधन की आगे की राह क्या है? इस पर उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि अभी हमें दो चीजें करने की जरूरत है। सबसे पहले तो कौन से ऐसे मुद्दे हैं, जिस पर हम लोग एक साथ आ सकते हैं। जैसे- किसानों का मुद्दा है, महंगाई है या बेरोजगारी…हमें ऐसे मुद्दे तय करने होंगे। और दूसरा है सीट शेयरिंग।

गठबंधन की सबसे बड़ी चुनौती क्या?

बकौल उमर अब्दुल्ला सीट शेयरिंग यानी सीटों का बंटवारा ही इंडिया गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। वह कहते हैं कि हम सीट शेयरिंग पर दूसरी पार्टियों को कहां तक तैयार कर सकेंगे, यह देखने वाली बात होगी। सबको स्पेस छोड़ना होगा। कांग्रेस को बाकी दलों के लिए छोड़ना होगा और बाकी दलों को भी कांग्रेस के लिए जगह छोड़नी होगी। यह इतना आसान नहीं होगा, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि हम इसमें भी कामयाब होंगे।

उमर अब्‍दुल्‍ला का फार्मूला

उमर अब्‍दुल्‍ला ने राय दी क‍ि जब सीटों का बंटवारा हो तो पार्ट‍ियों की जीती हुई सीट पर बात ही न हो। ज‍िन सीटों पर बीजेपी जीती है या गठबंधन से बाहर का कोई दल जीता है, उन सीटों के बंटवारे पर ही चर्चा हो। अब्‍दुल्‍ला ने दूसरा फार्मूला बताया क‍ि जो पार्टी जहां मजबूत है, वहीं चुनाव लड़े।

बेंगलुरु की मीटिंग में आपकी इन राय पर कोई बात हुई थी? अब्दुल्ला कहते हैं कि इस पर तो अभी बात नहीं हुई है लेकिन मुझे लगता है कि हम इसको कर ले जाएंगे। जिस तरीके से गठबंधन का नाम तय करने पर डिस्कशन हुआ, कांग्रेस ने जिस तरीके से आम आदमी पार्टी को दिल्ली अध्यादेश पर भरोसा देने की कोशिश की… ऐसी चीजों से लगता है कि हम कामयाब होंगे।

कांग्रेस को क्या सलाह दे गए अब्दुल्ला?

उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि अब कांग्रेस को भी यह समझना होगा कि पहले जैसी स्थिति नहीं है। साथ ही क्षेत्रीय पार्टियों को भी तय करना होगा कि हमारा जो क्षेत्र है, वहीं तक सीमित रहें। जरूरी नहीं है कि दिल्ली और पंजाब की पार्टी मध्य प्रदेश में चुनाव लड़े या पश्चिम बंगाल की पार्टी छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़े या यूपी की पार्टी राजस्थान में चुनाव लड़े। जहां-जहां हमारा स्ट्रांगहोल्ड है, वहीं तक सीमित रहना चाहिए। सबको समझदारी दिखानी होगी, तभी गठबंधन का सपना साकार हो पाएगा।

नजरबंदी के द‍िनों की आपबीती भी बताई

उमर अब्‍दुल्‍ला ने जम्‍मू कश्‍मीर से धारा 370 हटाने के द‍िनों की यादें भी हमसे साझा कीं। उन्‍होंने बताया क‍ि नजरबंदी के दौरान उनके साथ क्‍या कुछ हुआ। देखें यह वीड‍ियो