साल 2015 में जब जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की सरकार बनी तो सब दंग रह गए थे। उस वक्त चर्चा इस बात की भी थी कि महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी से गठबंधन से पहले बीजेपी ने नेशनल कांफ्रेंस से भी संपर्क किया था। चर्चा ऐसी भी रही क‍ि उस समय फारूक अब्‍दुल्‍ला लंदन में इलाज करवा रहे थे। वहां बीजेपी की ओर से कोई उनसे म‍िलने गया था। उन्‍होंने उसे उमर से संपर्क करने के ल‍िए कहा था। लेक‍िन, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जनसत्ता डॉट कॉम के कार्यक्रम ”बेबाक” में इस बारे में बात स्‍पष्‍ट की।

ऑफर लेकर आया था बिजनेसमैन

Jansatta.com के संपादक विजय कुमार झा से बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी का कोई प्रतिनिधि मेरे वालिद साहब से विदेश में नहीं मिला, लेकिन उत्तर प्रदेश के एक बिजनेसमैन जरूर मिले थे। उन्होंने कहा कि हम आपकी बात उनसे (बीजेपी से) करवाते हैं। आपको गठबंधन करना चाहिए। हमने कहा कि मेरी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझसे भी कुछ ‘बिजनेस वाले’ दिल्ली में मिलने आए थे। उन्होंने भी कहा कि हम आपकी बात बीजेपी से करवा देंगे। आप को बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहिए। मैंने कहा कि ऐसा कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है, हमें अलायंस करने की कोई जरूरत नहीं है।

अब्‍दुल्‍ला बताया क‍ि उस वक्त कई लोगों ने संपर्क किया था। बीजेपी की तरफ से भी संपर्क किया गया था। हालांकि उस शख़्स (जिसने संपर्क किया था) का बीजेपी से कोई राब्ता था या नहीं, यह मैं नहीं कह सकता हूं।

हम तो PDP भी रोकना चाहते थे…

उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि साल 2015 में हमारी कोशिश थी कि मुफ्ती साहब भी बीजेपी के साथ अलायंस न करें। हमने उनको ओपन ऑफर दिया था कि बिना किसी शर्त के नेशनल कांफ्रेंस के सारे विधायक पीडीपी को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। हमने कहा था क‍ि हम हुकूमत में भी शामिल नहीं होना चाहते और न तो हमें कोई एमपी और एमएलसी चाहिए। हम सिर्फ चाहते थे कि बीजेपी को वहां (जम्मू कश्मीर में) हुकूमत में घुसने से रोकें, लेकिन वह हो नहीं पाया।

अब्दुल्ला बताते हैं कि यह ऑफर एक मध्यस्थ के जरिए मुफ्ती साहब तक भिजवाया गया था। फिर सार्वजनिक तौर पर भी इसकी घोषणा की थी क‍ि हम आपका समर्थन करने के लिए तैयार हैं, बीजेपी के साथ मत जाइए। लेकिन तब तक बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी।

बता दें क‍ि 2015 में बीजेपी-पीडीपी की जो सरकार बनी थी, उसके बाद राज्‍य में चुनाव नहीं हुए हैं। 2018 से राज्‍य में केंद्र का शासन है। इस बीच 2019 में पांच अगस्‍त को आर्ट‍िकल 370 को न‍िरस्‍त कर राज्‍य का व‍िशेष दर्जा खत्‍म कर द‍िया गया। उस दौरान सारे नेताओं को नजरबंद कर द‍िया गया था। उमर अब्‍दुल्‍ला ने जनसत्‍ता.कॉम के कार्यक्रम में उन द‍िनों की आपबीती भी बयां की।

NDA का हिस्सा होने पर क्या बोले?

एक वक्त था जब नेशनल कांफ्रेंस भी बीजेपी के साथ थी… इस पर उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि हम बीजेपी नहीं, बल्कि एनडीए के साथ थे। बीजेपी और एनडीए के साथ होने में फर्क है। फर्क इस तरह है कि हमने जम्मू कश्मीर में बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं किया। हम केंद्र में एनडीए के साथ जरूर थे लेकिन जम्मू-कश्मीर की हुकूमत में उनको एंट्री नहीं दी। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर में हमने बीजेपी का जमकर मुकाबला किया। जम्मू की सीट पर उनको हमारे मुकाबले हार का सामना भी करना पड़ा था।

वाजपेयी की बात कुछ और थी…

उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि हम कभी एनडीए के साथ थे, क्योंकि हम जिस एनडीए के साथ थे उस वक्त वाजपेयी साहब का रवैया जम्मू कश्मीर के प्रति अलहदा था। पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर के लिए जितनी अच्छी बातें हुईं, उनमें से ज्यादातर वाजपेयी साहब के कार्यकाल में हुईं। चाहे श्रीनगर मुजफ्फराबाद बस सेवा हो, क्रॉस एलओसी ट्रेड की बात हो या दोस्ती की बात। जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत के रास्ते मसले को हल करने की शुरुआत वाजपेयी साहब के कार्यकाल में हुई थी।

अब INDIA में अब्‍दुल्‍ला

उमर अब्‍दुल्‍ला की नेशनल कॉन्‍फ्रेंस आजकल व‍िपक्ष के गठबंधन का ह‍िस्‍सा है। इस गठबंधन का नाम हाल ही में INDIA रखा गया है। इस नाम के पीछे की कहानी भी द‍िलचस्‍प है। बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को हुई बैठक में जब यह नाम रखा गया तो उमर अब्‍दुल्‍ला भी वहां मौजूद थे। उन्‍होंने इस बैठक की इनसाइड स्‍टोरी भी बताई। देखें वीड‍ियो

अब्दुल्ला बताते हैं कि I.N.D.I.A नाम को लेकर जयराम रमेश (कांग्रेस के मीड‍िया प्रमुख) की टीम ने काफी मेहनत के बाद इस नाम का आइड‍िया सुझाया था, क्‍योंक‍ि यह राहुल गांधी के मोबाइल में वाट्सऐप मैसेज के रूप में था। (पढ़ें पूरी बातचीत यहां)