पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस और भ्रष्टाचार दोनों एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के खिलाफ जैसा व्यवस्था विरोधी माहौल है, वैसा 2011 में माकपा के खिलाफ भी नहीं था। उनका आरोप है कि यह तो वामपंथी भी समझ चुके हैं कि बंगाल में जीवन से लेकर कुछ भी तभी बचेगा जब तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया जाएगा। भट्टाचार्य का कहना है कि बंगाल में घुसपैठ पुरानी समस्या रही है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इसे चरम पर पहुंचा दिया है। साथ ही कहा कि बंगाल में कांग्रेस एक परजीवी पार्टी है, जिसका कोई अस्तित्व नहीं है। शमिक भट्टाचार्य के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की बातचीत के चुनिंदा अंश।
बिहार के बाद बंगाल के चुनाव पर पूरे देश की नजर है। बंगाल विधानसभा चुनाव में आपके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। सूबे में कैसी तैयारी है भाजपा की?
शमिक भट्टाचार्य : हमारा पूरा भरोसा है कि इस बार ममता बनर्जी सत्ता से जा रही हैं। बंगाल का आगामी चुनाव भाजपा बनाम तृणमूल कांग्रेस नहीं, जनता बनाम तृणमूल कांग्रेस है। 2011 में ममता बनर्जी को जनता ने लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए ही सत्ता सौंपी थी। आज भी जनता के सामने वही हालात हैं कि लोकतंत्र की पुनर्स्थापना करनी है। आज पूरा पश्चिम बंगाल भ्रष्टाचार के हवाले है। इन्होंने किसी भी विभाग को नहीं छोड़ा है। सभी सरकारी नौकरियां बेच दी गई हैं। स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा का वीडियो बाहर आया। संस्था-प्रशासक के सामने परीक्षक खुलेआम स्मार्टफोन से उत्तर दिखा रहे हैं। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भ्रष्टाचार एक-दूसरे का पर्याय बन चुके हैं। हम लोग किसी भी कीमत पर पश्चिम बंगाल को पश्चिम बांग्लादेश नहीं बनने देंगे। अभी मुर्शिदाबाद की घटना को सभी ने देखा। मंच पर एक नेता ने पहुंचकर गायक से कहा कि ऐसा गाना नहीं चलेगा, ‘सेकुलर’ गीत गाना होगा। गायक थाने पहुंचे तो वहां का प्रभारी भी मुसलमान था, जिसने शिकायत लेने से मना कर दिया। सीमाई इलाकों की पूरी जनसांख्यिकी बदल दी गई है। एक समय था, जब पश्चिम बंगाल को गलियारा बनाकर घुसपैठिये पूरे देश में फैल जाते थे। अभी पश्चिम बंगाल उनका सबसे सुरक्षित पनाहगाह बन गया है। यह केंद्रीयरिजर्व बैंक का डाटा है कि कुल जाली नोटों का 72 फीसद पश्चिम बंगाल से आता है। पहले पूरे देश से लोग काम करने के लिए पश्चिम बंगाल आते थे। अभी जिसके पास भी थोड़ा सा पैसा है, वह अपने बच्चों को यहां से बाहर भेज रहा है।
ममता बनर्जी सरकार ने निवेश को लेकर बड़े दावे किए थे। आपके हिसाब से इस मुद्दे पर राज्य की स्थिति क्या है?
शमिक भट्टाचार्य : एक खास संगठन की यहां हर साल औद्योगिक बैठक होती है। वे सब ममता बनर्जी के साथ खड़े होकर बोलते हैं कि पश्चिम बंगाल निवेश के लिए सबसे अनुकूल जगह है। यही लोग बेहतर माहौल के लिए खुद भी दूसरे राज्यों में निवेश कर रहे हैं।
बंगाल की युवा पीढ़ी को कैसे देखते हैं?
शमिक भट्टाचार्य : पिछले दिनों मेस्सी के कार्यक्रम में हंगामा हुआ। ‘जेन जी’ की युवा पीढ़ी राज्य सरकार के मंत्री को चोर-चोर कहकर बुला रही थी। इन्होंने मेस्सी के कार्यक्रम में भी धांधली कर दी। ये लोग युवा पीढ़ी को नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ भड़काते हैं।
तो आपका कहना है कि सूबे में व्यवस्था विरोधी माहौल बन चुका है?
शमिक भट्टाचार्य : फिलहाल ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ जिस तरह का व्यवस्था विरोधी माहौल है, वैसा 2011 में माकपा के खिलाफ भी नहीं था। वाम विचारधारा के लोगों की समझ में भी यह बात आ गई है कि अगर जिंदा रहना है, टिके रहना है तो ममता बनर्जी की सरकार को बाहर कर देना चाहिए।
पिछले चुनावों में भाजपा ने ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ बहुत जोर लगाया। लेकिन चुनाव में जनता का झुकाव तृणमूल कांग्रेस की तरफ ही रहा।
शमिक भट्टाचार्य : 2011 और उसके बाद के चुनाव में कई कारक थे। पिछले चुनाव में हमसे चूक हुई थी और हमने शिक्षा ली। दूसरी बात यह है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में बहुत अंतर होता है। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से पश्चिम बंगाल में बहुत सी चीजें बदली हैं। सांगठनिक स्तर पर भी हम मजबूत स्थिति में आए हैं।
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मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर हर जगह विवादों का पहाड़ सा खड़ा हो गया है। आरोप है कि हर जगह से उन लोगों को हटाया जा रहा है, जो भाजपा के मतदाता नहीं हैं। बंगाल में भी आरोप है कि बाहरी लोगों को यहां लाकर उन्हें मतदाता बनाया जा रहा है।
शमिक भट्टाचार्य : बाहरी लोगों को यहां बुला कर मतदाता बनाने की बात तो एकदम गलत है। बिहार में हुआ, और 12 अन्य राज्यों में भी एसआइआर हो रहा है, तो बंगाल में इतना हंगामा क्यों? 2003 में जो मतदाता थे उनमें से बहुत मृत हो चुके हैं, कुछ बाहर चले गए हैं तो उनके नाम हटेंगे ही। करीब साठ लाख मतदाता बाहर चले गए हैं। भाजपा ने अपनी तरफ से साढ़े तेरह लाख फर्जी मतदाताओं के नाम दिए थे। पश्चिम बंगाल की समस्या अन्य राज्यों से भिन्न है। 2011 में चुनाव के तुरंत बाद 27 दिनों के अंदर भाजपा के 56 कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। हमारी महिलाओं ने कैमरे के सामने कहा कि तृणमूल के गुंडों ने उनका सामूहिक बलात्कार किया। चुनाव के बाद की हिंसा पर अभी सीबीआइ जांच चल रही है। लेकिन पुलिस जांच को प्रभावित कर रही है। बहुत से गवाह मुकर गए हैं। यहां तो न्यायपालिका भी भय के माहौल में जीती है। अदालत के न्यायाधीश के घर के बाहर पोस्टर चिपका दिया जाता है। अदालत में घुस कर जज को प्रताड़ित किया जाता है। महिला जज को फोन करके उसके परिवार के बारे में बुरा-भला बोला जा रहा है। उनके कारोबारी पति पर फर्जी मुकदमा दायर कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है।
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क्या देश की आंतरिक सुरक्षा और पश्चिम बंगाल सहसंबद्ध हो चुके हैं?
शमिक भट्टाचार्य : पश्चिम बंगाल से घुसपैठिये सारे देश में फैल रहे हैं। आज बिहार, झारखंड, वनांचल और सीमांचल की जनसांख्यिकी काफी बदल गई है। रोहिंग्या सबसे आदरणीय मेहमान हैं। अभी वनस्पति उद्यान का नया नामकरण आचार्य जगदीशचंद्र बोस हुआ और उसके भीतर मस्जिद भी बन गई। उसके अंदर जलापूर्ति भी आ गई। इसी तरह कोलकाता के अंदर एक गुलशन बस्ती बन गई।
प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीयगृह मंत्री बंगाल को घुसपैठ का पर्याय बता रहे हैं। क्या पश्चिम बंगाल में यह वाकई इतनी बड़ी समस्या है?
शमिक भट्टाचार्य : बंटवारे के बाद बहुत से हिंदू विस्थापित यहां पर आए। बांग्लादेशी घुसपैठिये आज की समस्या नहीं हैं। वाम सरकार में ज्योति बसु का कहना था कि घुसपैठ अंतरराष्ट्रीय परिघटना है। कमजोर अर्थव्यवस्था के लोग मजबूत अर्थव्यवस्था में आना चाहते हैं। हमें इनके साथ मानवीय मूल्य बरतने चाहिए। बाद में वही ज्योति बसु घुसपैठ के खिलाफ हुए और उन्होंने शेख हसीना से बात कर इस पर नियंत्रण करने के लिए कहा। 2004 में ममता बनर्जी विधानसभा अध्यक्ष के पास मतदाता सूची को फेंक कर चली गई थीं। उन्होंने कहा था कि मतदाता सूची में घुसपैठियों का नाम माकपा ने घुसाया है। ममता बनर्जी रोते हुए सदन से बाहर निकली थीं। आज वही ममता बनर्जी बोल रही हैं कि घुसपैठ जैसी कोई चीज नहीं है।
भाजपा का आरोप है कि ममता बनर्जी घुसपैठ को बढ़ावा दे रही हैं। चुनाव को प्रभावित करने के लिए वे घुसपैठियों को मतदाता बनवाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
शमिक भट्टाचार्य : यह तो बंगाल का एक स्कूल जाने वाला बच्चा भी जानता है। अस्सी के दशक में भाजपा का बंगाल में कितना फीसद वोट था? फिर भी हम घुसपैठ के खिलाफ बोलते थे। लोग भाजपा के दो सांसद और दो नेता को लेकर मजाकर उड़ाते थे कि हम दो हमारे दो। तब आडवाणी जी बोलते थे कि पर बांग्लादेश से मत आने दो। यह कोई नया सिलसिला नहीं है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की सरकार में यह अपने चरम पर पहुंच गया है। इस वजह से कट्टरपंथ दिखाई दे रहा है। मुर्शिदाबाद में पूजा की प्रतिमा बनाने वाले पिता-पुत्र चंदन दास और हरगोविंद दास को एक साथ मार दिया गया। ऐसा दृश्य हिंदुस्तान में कहीं नहीं दिखाई दिया कि एक महिला बीएसएफ के अधिकारी के सामने खड़ी होकर कह रही है कि हमें गोली मार दीजिए। हम आपके हाथ से मरना पसंद करेंगे, लेकिन अपने शरीर को किसी दूसरे के हाथों गंदा नहीं होने देंगे। हिंदुओं की संपत्ति फूंक दी गई है। माकपा के एक हिंदू विधायक अपने परिवार के साथ मुर्शिदाबाद छोड़ कर चले गए हैं। जो हिंदीभाषी लोग आजादी से पहले यहां आए थे, वे भी पलायन कर चुके हैं। पश्चिम बंगाल प्रवासी मजदूरों की जन्मस्थली बन चुका है। विद्यार्थियों का पलायन हो रहा है, पूंजी का पलायन हो रहा है। जो सरकार काम नहीं कर पाएगी उसे जाना पड़ेगा। अटल जी की सरकार को भी हार का मुंह देखना पड़ा था। जनता ने मन बना लिया है कि इस काम नहीं करने वाली सरकार को विदा करना है।
राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो खुद भाजपा पर हिंदू-मुसलमान की राजनीति करने का आरोप लगाया जाता है। आरोप है कि आपकी नीतियां मुसलिम समुदाय को अलग-थलग कर देने की है। यहां पर तृणमूल सरकार भी आप पर यही इल्जाम लगाती है। आपका क्या कहना है?
शमिक भट्टाचार्य : मुसलमानों को लेकर आम जनता जैसी बातें करती हैं, उससे तो हम सहमत नहीं हैं। हमारे पास हिंदू की परिभाषा का अर्थ यही है कि जो भारत में रहते हैं और इसे अपना देश मानते हैं। 1947 में पश्चिम बंगाल का जन्म धर्म के आधार पर हुआ था। जो लोग उस वक्त इस देश को नापाक बोल कर चले गए थे, वे अभी हिंदुस्तान में रहने के लिए क्यों आएंगे? भारतीय मुसलमानों के साथ हमारा किसी भी तरह का भेदभाव नहीं है। आप असम की जनसांख्यिकी देख लीजिए। वहां अल्पसंख्यकों की आबादी बंगाल से ज्यादा है, फिर भी दो बार भाजपा सत्ता में आ चुकी है और तीसरी बार भी आने वाली है। जो लोग समझते हैं कि भाजपा को वोट नहीं देंगे, मुसलमानों के वोट के बिना राजनीति नहीं चलेगी तो वे भी 2026 में पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बनते हुए देखेंगे। सत्ताधारी दल का एक नेता खुलेआम बोल रहा है कि हिंदू 30 फीसद और हम 70 फीसद हैं, जब चाहे काटकर नदी में बहा देंगे। उनकी तो कोई गिरफ्तारी नहीं होती है।
अभी बाबरी मस्जिद का भी विवाद उठा।
शमिक भट्टाचार्य : यह माहौल भी तो तृणमूल कांग्रेस के दिए हौसले के कारण ही बना।
आरोप है कि घुसपैठ रोकने का काम तो गृह मंत्रालय का है। गृह मंत्रालय अपना काम नहीं कर रहा तो हम क्या करें?
शमिक भट्टाचार्य : जब तक जनता के अंदर जागरूकता नहीं आएगी, संयुक्त शक्तियां साझा कार्रवाई नहीं करेंगी तब तक घुसपैठ बंद नहीं हो सकती है। मैं तो खुद सीमाई इलाके का हूं तो सारी समस्याओं से परिचित हूं कि कैसे सीमा पर पकड़े गए घुसपैठिये बाद में छूट जाते हैं।
बंगाल विधानसभा चुनाव में आप कांग्रेस को कहां देखते हैं? राहुल गांधी कुछ कर पाएंगे?
शमिक भट्टाचार्य : राहुल गांधी सिर्फ मीम तक सीमित हो जाएंगे। बंगाल में कांग्रेस परजीवी संस्था है। कांग्रेस का एक ही गाना है, ‘वादा करो नहीं छोड़ोगे मेरा साथ/जहां तुम हो वहां मैं भी हूं।’ कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी खुल कर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बोलते थे, तो उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। अभी जिन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है, वे तृणमूल कांग्रेस जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। वे लोग यहां बोलते हैं कि दीदी और मोदी एक साथ हैं, इसलिए यहां सीबीआइ और ईडी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। यही दोनों दिल्ली में खड़े होकर बोलते हैं कि सीबीआइ और ईडी जरूरत से ज्यादा सक्रिय हैं। माकपा के नेता का यहां भाषण सुन लीजिए और उनका दिल्ली में भाषण सुन लीजिए। आपको भी आश्चर्य होगा कि क्या मैं ठीक सुन रहा हूं।
कुछ राज्यों के चुनाव में भाजपा की जीत के बाद संघ की मेहनत की चर्चा हुई। क्या बंगाल में संघ का वैसा साथ मिल रहा है?
शमिक भट्टाचार्य : हमलोग एक ही विचार परिवार के हैं, लेकिन संघ चुनाव में प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं करता है। वे अपना काम करते हैं और हम अपना। मैं संघ का कोई आधिकारिक प्रवक्ता नहीं हूं तो इस मसले पर ज्यादा बात नहीं कर सकता हूं।
पश्चिम बंगाल के लोगों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
शमिक भट्टाचार्य : हम गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक एक काम करने वाली सरकार देंगे। भाजपा शासित राज्यों में कानून-प्रशासन मिसाल बन चुका है। लालफीताशाही और तृणमूल टैक्स को खत्म करेंगे। पश्चिम बंगाल के पास सारे संसाधन हैं, उनकी बदौलत निवेश लाएंगे। एक ग्रेजुएट इंजीनियर की पश्चिम बंगाल में तनख्वाह 22 हजार है। हमें इस दयनीय स्थिति को बदलना है। लोग समझ चुके हैं अगर अपना धर्म, संस्कृति, रीति-रिवाज बचाना है तो तृणमूल कांग्रेस को हटाना है।
पूरे देश में भाजपा का चुनाव प्रचार नरेंद्र मोदी केंद्रित होता है। चुनाव की बहुत सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर होती है। क्या बंगाल भाजपा भी उनके ऊपर निर्भर है?
शमिक भट्टाचार्य : यह तो पूरे देश ने मान लिया है कि नरेंद्र मोदी का कोई और विकल्प नहीं है। वे एक वैश्विक नेता बन चुके हैं। मोदी की गारंटी पर जनता यकीन करती है कि उन्होंने बोला है तो काम हो जाएगा। नरेंद्र मोदी ने हर जगह नेतृत्व दिया है और यहां भी देंगे। उनके साथ गृहमंत्री भी आएंगे। भाजपा के सारे नेता भी आएंगे।
योगी भी आएंगे?
शमिक भट्टाचार्य : पिछली बार भी आए थे, इस बार भी आएंगे।
प्रस्तुति: मृणाल वल्लरी
