प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 28 मई को नई संसद का उद्घाटन करेंगे। साथ एक नई परंपरा की शुरुआत भी होगी। पीएम मोदी नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास ‘सेंगोल’ को स्थापित करेंगे। यह वही ‘सेंगोल’ है जिसे साल 1947 में आजादी के वक्त आखिरी वायसराय माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर पंडित नेहरू को सौंपा था। यह ‘सेंगोल’ अभी इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा है।
PMO को किसकी चिट्ठी से पता चला?
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को इस सेंगोल के बारे में करीब 2 साल पहले पता लगा था। चर्चित डांसर पद्मा सुब्रमण्यम (Padma Subrahmanyam) ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी में उन्होंने सेंगोल का जिक्र किया था। ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पद्मा सुब्रमण्यम ने पीएमओ को लिखी अपनी चिट्ठी में तमिल मैगजीन ‘तुगलक’ एक आर्टिकल का हवाला दिया था, जिसमें 1947 में पंडित नेहरू को सेंगोल सौंपने की बात कही गई थी।
तमिल मैगजीन ‘तुगलक’ में यह आर्टिकल मई 2021 के अंक में प्रकाशित हुआ था। जब चर्चित भरतनाट्यम डांसर पद्मा सुब्रमण्यम ने लेख पढ़ा तो उन्हें लगा कि ऐसी अमूल्य विरासत के बारे में सबको पता होना चाहिए और PMO को चिट्ठी लिखने का फैसला लिया। इस चिट्ठी में मांग की थी कि पीएम, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यह जानकारी देशवासियों के साथ साझा करें।
मंत्रालय की टीम ढूंढने में लगी थी
पीएमओ को मिली चिट्ठी के बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA) के एक्सपर्ट्स की मदद से सेंगोल की खोज शुरू की। एक्सपर्ट्स ने नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया (राष्ट्रीय अभिलेखागार) से लेकर उस वक्त के तमाम अखबारों और दस्तावेजों में इसकी खोजबीन की। देश के तमाम संग्रहालयों में पता लगवाया गया। आखिरकार सेंगोल इलाहाबाद के म्यूजियम में मिला।
15000 रुपये में बना था सेंगोल
इस जांच के दौरान पता चला कि 1947 में आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू को जो सेंगोल सौंपा था उसे मद्रास के बहुचर्चित वुम्मिडी बंगारू चेट्टी एंड सन्स ज्वैलर्स एंड डायमंड मर्चेंट्स (Vummidi Bangaru Chetti and Sons, jewellers and diamond merchants) ने तैयार किया था। उस वक्त इसे बनाने में 15000 रुपये की लागत आई थी।
ज्वेलर तक पहुंची मंत्रालय की टीम
संस्कृति मंत्रालय की टीम ने वुम्मिडी बंगारू चेट्ठी फैमिली से भी पड़ताल की और उन्होंने कंफर्म किया की सेंगोल तैयार किया था। रिपोर्ट के मुताबिक सेंगोल बनाने वाले परिवार के सबसे बुजुर्ग शख्स की उम्र 95 साल हो चली है। उन्हें कुछ खास याद नहीं है, लेकिन उनके घर में अभी भी सेंगोल की एक तस्वीर रखी हुई है।
क्या है सेंगोल?
‘सेंगोल’ शब्द तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से आया है, जिसका मतलब होता ‘नीति-परायणता’। संगोल एक तरीके का राजदंड है। 9वीं सदी के चोल राजवंश में सेंगोल के जरिये ही सत्ता हस्तांतरण होती थी। जब एक राजा, दूसरे राजा को गद्दी सौंपता था तो प्रतीक के तौर पर सेंगोल भी सौंपता था। साल 1947 में सी. राजगोपालचारी ने पंडित नेहरू तो सेंगोल के जरिये सत्ता हस्तांतरण का सुझाव दिया था। 1947 में जो सेंगोल बनाया गया था वह सोने और चांदी का था। सबसे ऊपर नंदी विराजमान हैं और यह 5 फीट लंबा है। (पढ़ें- सेंगोल बनने से लेकर पंडित नेहरू तक पहुंचने की पूरी कहानी)