Rahul Gandhi Delhi Elections 2025: देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा का चुनाव प्रचार जोर-शोर से चल रहा है। आम आदमी पार्टी और बीजेपी के सभी बड़े नेता दिल्ली में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस जिस तरह से चुनाव लड़ रही है, उसे देखकर बड़ी हैरानी होती है।
आम आदमी पार्टी की ओर से जहां राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पार्टी के उम्मीदवारों के लिए चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित कई नेताओं को चुनाव प्रचार में लगाया है। लेकिन कांग्रेस की ओर से उसके शीर्ष नेता चुनाव प्रचार से लगभग गायब हैं।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार 3 फरवरी को शाम 5 बजे खत्म हो जाएगा। इस लिहाज से अब चुनाव प्रचार के लिए एक हफ्ते का ही वक्त बचा है। ऐसे में चुनाव प्रचार को और तेज किए जाने की जरूरत है लेकिन न जाने कांग्रेस के मन में क्या है कि उसके तीनों बड़े नेता- पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा प्रचार में खुलकर नहीं दिखाई दे रहे हैं।
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आम आदमी पार्टी ने नहीं किया गठबंधन
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से साफ इनकार कर दिया। यहां तक कि इंडिया गठबंधन में शामिल दल जैसे ममता बनर्जी की टीएमसी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बजाय आम आदमी पार्टी का समर्थन किया।
रैली में नहीं आए थे राहुल
राहुल गांधी ने दिल्ली में कांग्रेस के लिए सीलमपुर में एक चुनावी रैली की थी लेकिन उसके बाद दूसरी रैली में वह नहीं आ पाए थे। पार्टी ने बताया था कि उनका स्वास्थ्य खराब है। तब दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने राहुल गांधी का संदेश पढ़कर जनता को सुनाया था।
राहुल गांधी की तबीयत खराब होने के बाद यह खबर आई थी कि दिल्ली की कांग्रेस इकाई ने प्रियंका गांधी वाड्रा से अनुरोध किया था कि वह राजधानी में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करें लेकिन प्रियंका अब तक चुनाव प्रचार में नहीं उतरी हैं।

सवाल इस बात का है कि आखिर मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली के चुनाव प्रचार से इतनी दूरी क्यों बनाई हुई है? क्या कांग्रेस अपने बड़े नेताओं को चुनाव प्रचार में इसलिए नहीं उतार रही है कि शायद उसे पता हो कि दिल्ली में अब उसके लिए हासिल करने के लिए कुछ नहीं बचा है। पिछले दो चुनाव में वह लगातार शून्य पर आउट हुई है और इस वजह से पार्टी के कार्यकर्ताओं का हौसला और मनोबल दोनों ही पस्त हैं।
सवाल यह है कि क्या कांग्रेस को इस बात का डर है कि अगर पार्टी के बड़े नेताओं को भी चुनाव प्रचार में उतार दिया जाए तो भी उसके हाथ कुछ नहीं आएगा। हैरानी की बात यह भी है कि मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सरकारी आवास दिल्ली में ही हैं लेकिन फिर यहां के चुनाव प्रचार से इनका दूर होना निश्चित रूप से बड़े सवाल खड़े करता है।
हरियाणा और महाराष्ट्र की हार से लगा झटका
कांग्रेस ने लोकसभा के चुनाव में ‘संविधान और आरक्षण खतरे में है’ का जमकर प्रचार किया था और पार्टी को अच्छी कामयाबी मिली थी। लोकसभा चुनाव 2019 में 52 सीटों के मुकाबले पार्टी इस बार 99 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी। लेकिन उसके बाद उसे दो बड़े झटके हरियाणा और महाराष्ट्र से लगे। हरियाणा में लगभग तय मानी जा रही जीत के बावजूद भी कांग्रेस सरकार नहीं बन पाई थी। महाराष्ट्र में तो पार्टी की स्थिति बेहद खराब रही और वह गठबंधन में चुनाव लड़ने के बाद भी सिर्फ 16 सीटें ही जीत सकी।
दिल्ली के चुनावी घमासान में बीजेपी को कांग्रेस से इस बात की उम्मीद है कि वह मुस्लिम मतदाताओं के प्रभाव वाली सीटों पर अगर जोर-शोर से चुनाव लड़ेगी तो इससे आम आदमी पार्टी को नुकसान होगा और उसे इसका फायदा मिल सकता है। लेकिन देखा जा रहा है कि कांग्रेस अपने शीर्ष नेताओं की गैर मौजूदगी में स्थानीय नेताओं के सहारे ही चुनाव लड़ रही है।

केजरीवाल, आतिशी के खिलाफ उतारे मजबूत उम्मीदवार
दिल्ली में चुनाव का ऐलान होने से पहले कांग्रेस नेताओं के तेवरों को देखकर यह माना जा रहा था कि पार्टी इस बार दिल्ली के चुनाव में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी। खुद पार्टी के कई नेताओं ने कहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पार्टी उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे। पार्टी ने बीजेपी पर हमले करने के साथ ही आम आदमी पार्टी के खिलाफ भी सख्त रुख दिखाया था। इसका पता इस बात से चलता है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ पार्टी ने अपने बड़े नेताओं क्रमशः पूर्व सांसद संदीप दीक्षित और अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा को चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा।
शीर्ष नेताओं की गैर मौजूदगी में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ना लाजिमी है। वैसे भी पार्टी पिछले दो चुनाव में बुरी तरह साफ हो चुकी है इसलिए भी उसे चुनावी लड़ाई से बाहर माना जा रहा है लेकिन फिर भी पार्टी के कार्यकर्ताओं को यह उम्मीद थी कि कांग्रेस कम से कम जोरदार ढंग से चुनाव लड़ेगी लेकिन अब जब चुनाव प्रचार में सिर्फ एक हफ्ते का वक्त बचा है तो यह कहा जा सकता है कि पार्टी उतनी शिद्दत और उतनी ताकत के साथ इस चुनाव को नहीं लड़ रही है, जैसा कि उसने कुछ महीने पहले अपने इरादों के जरिए जताने की कोशिश की थी।
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