भाजपा नेता स्मृति ईरानी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट पर दो बार एक-दूसरे के खिलाफ लड़ चुके हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता की प्रशंसा करते हुए कहा कि राहुल अब अलग राजनीति कर रहे हैं। स्मृति के इस बयान से कई लोगों को आश्चर्य हुआ।
राहुल गांधी के सबसे बड़े आलोचकों में से एक स्मृति ईरानी ने पत्रकार सुशांत सिन्हा द्वारा होस्ट किए गए पॉडकास्ट के एक एपिसोड में कहा, “जब वह जाति पर बोलते हैं, या संसद में टी-शर्ट पहनते हैं तो उन्हें पता है कि वह सफेद टी-शर्ट युवा पीढ़ी को क्या संदेश देती है। हमें इस ग़लतफ़हमी में नहीं रहना चाहिए कि वह जो भी कदम उठाते हैं, वह आपको पसंद हो या न हो या बचकाना लगे लेकिन वह अब अलग राजनीति कर रहे हैं।”
स्मृति ईरानी और राहुल गांधी ने पहली बार 2014 में एक-दूसरे के सामने थे जब ईरानी को गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से भाजपा ने मैदान में उतारा था। तब स्मृति राहुल से 1.07 लाख वोटों से हार गईं थीं। दोबारा लोकसभा चुनाव 2019 में जब दोनों का फिर से आमना-सामना हुआ तो स्मृति ने राहुल को 55,120 वोटों के अंतर से हराकर कांग्रेस के किले में सेंध लगा दी।
2024 में राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव नहीं लड़ा था
2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। उनके स्थान पर केएल शर्मा को कांग्रेस का टिकट दिया गया। यह 25 वर्षों में पहली बार था कि किसी गैर-गांधी परिवार के सदस्य ने इस सीट से चुनाव लड़ा। स्मृति ईरानी को बड़ा झटका देते हुए शर्मा ने उन्हें 1.67 लाख वोटों से हरा दिया।
2014 से 2024 तक लंबा समय बीत चुका है। अप्रैल 2017 में स्मृति ईरानी ने कहा था कि राहुल गांधी के पास अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए समय नहीं है। जुलाई 2022 में स्मृति की बेटी द्वारा गोवा में अवैध रूप से रेस्तरां-बार चलाने के आरोपों के बीच ईरानी ने पलटवार करते हुए कहा था कि कांग्रेस को 2024 में राहुल गांधी को फिर से अमेठी से मैदान में उतारना चाहिए और कहा कि वह फिर हारेंगे।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर उठाए सवाल
सितंबर 2022 में स्मृति ईरानी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता और पूर्व छात्र कार्यकर्ता कन्हैया कुमार के संदर्भ में कहा कि राहुल उन लोगों के साथ चल रहे थे जिन्होंने “भारत विरोधी” नारे लगाए। ईरानी ने संसद के भीतर भी राहुल को निशाने पर लिया।
अगस्त 2023 में मानसून सत्र के दौरान मणिपुर में जारी संघर्ष को लेकर पीएम के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अपने भाषण में राहुल गांधी ने सवाल उठाया था कि संघर्ष शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया। उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री राज्य को भारत का हिस्सा मानते हैं। उन्होंने भाजपा पर मणिपुर को दो हिस्सों में बांटने का भी आरोप लगाया।
स्मृति ईरानी ने घोषणा की थी कि भाजपा 2024 में सत्ता में लौटेगी
जिसका जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि मणिपुर टूटा हुआ नहीं है, जैसा कि कांग्रेस नेता ने दावा किया है बल्कि यह भारत का अभिन्न अंग है।स्मृति ईरानी ने यह भी घोषणा की थी कि भाजपा 2024 में सत्ता में लौटेगी। उन्होंने कहा था, “देश तिजोरी की चाबी वापस उनकी माता जी के हाथ में नहीं देगा।” यह सोनिया गांधी के संदर्भ में था।
स्मृति की राहुल को बहस की चुनौती
इस साल मार्च में लोकसभा चुनाव से पहले स्मृति ने राहुल को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 10 साल बनाम कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन के 10 साल पर बहस के लिए आगे आने की चुनौती दी थी।
नागपुर में भाजपा के नमो युवा महा सम्मेलन को संबोधित करते हुए ईरानी ने कहा था, “राहुल गांधी को मैदान चुनने दें। आइए यूपीए के 10 साल बनाम मोदी सरकार के 10 साल पर बहस करें। अंतर स्पष्ट है और उन सुधारों में स्पष्ट है जिनसे गरीबों, महिलाओं और किसानों के जीवन में बदलाव आया है। भाजपा युवा मोर्चा का कोई भी कार्यकर्ता राहुल गांधी से बेहतर बोल सकेगा।”
राहुल ने वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंधित PFI का समर्थन लिया था- स्मृति
जिसके बाद इस साल अप्रैल में स्मृति ईरानी ने दावा किया कि राहुल ने केरल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का समर्थन लिया था। ईरानी ने संवाददाताओं से कहा, “राहुल गांधी को अमेठी के लोगों को बताना चाहिए कि वह ऐसे संगठन की मदद से वायनाड चुनाव क्यों लड़ रहे हैं।”
जुलाई 2024 में लोकसभा परिणाम घोषित होने के बाद राहुल गांधी ने लोगों से ईस्मृति रानी और अन्य नेताओं के प्रति अपमानजनक भाषा का उपयोग करने और बुरा व्यवहार करने से बचने का आग्रह किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जीवन में जीत और हार होती रहती है। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वे श्रीमती स्मृति ईरानी या किसी अन्य नेता के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने और बुरा व्यवहार करने से बचें। लोगों को अपमानित करना और उनका अपमान करना कमजोरी की निशानी है, ताकत की नहीं।”