लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही पिछले चुनावों की तुलना में महंगाई का ज्यादा शोर नहीं सुनाई दे रहा हो, लेकिन यह एक अहम चुनावी मुद्दा जरूर रहेगा। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र (जिसे पार्टी ने संकल्प पत्र कहा था) में महंगाई का जिक्र किया था और इसे कम करने के लिए कई वादे किए थे।
2014 के घोषणापत्र में बीजेपी ने आसन्न चुनौतियों में महंगाई को सबसे पहले रखा था और कहा था कि भाजपा (या एनडीए) की सरकार आई तो उसका तात्कालिक काम महंगाई पर लगाम लगाना होगा और इसके लिए ये कदम उठाए जाएंगे-
- – जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के बड़े उपाय करना और विशेष अदालतें गठित करना
- – दाम स्थिरीकरण कोष बनाना
- – भारतीय खाद्य निगम की क्षमता बढ़ाने के लिए खरीद, भंडारण व वितरण का काम अलग-अलग करना
- – एकल राष्ट्रीय कृषि बाजार का गठन करना
- – लोगों की खान-पान की आदतों से संबंधित फसलों और सब्जियों के क्षेत्र को प्रोत्साहन और समर्थन देना
इन वादों पर अमल की स्थिति तो मिली-जुली रही, लेकिन महंगाई कम करने का मूल मकसद कितना पूरा हुआ? आंकड़ों की नजर से समझिए कि महंगाई कितनी काबू में रही? महंगाई दर (Inflation Rate) के इन आंकड़ों के मुताबिक दस साल में महंगाई दर घट कर करीब आधी रह गई। देखिए टेबल:
| वर्ष | औसत महंगाई दर | सालाना बदलाव |
| 2023 | 5.69% (दिसंबर 2023) | -1.6% |
| 2022 | 6.7% | 1.57% |
| 2021 | 5.13% | -1.49% |
| 2020 | 6.62% | 2.89% |
| 2019 | 3.73% | -0.21% |
| 2018 | 3.94% | 0.61% |
| 2017 | 3.33% | -1.62% |
| 2016 | 4.95% | 0.04% |
| 2015 | 4.91% | -1.76% |
| 2014 | 6.67% | -3.35% |
| 2013 | 10.02% | 0.54% |
यह तो सरकारी आंकड़ा है, पर आपके लिए इसका क्या मतलब है? तो महंगाई के मोर्चे पर सरकार के प्रदर्शन का आंकलन एक और पैमाने पर किया जा सकता है। आप खुद की आर्थिक स्थिति से भी इसका आंकलन कर सकते हैं। महंगाई की तुलना में आप की आमदनी कितनी बढ़ी है?
ये है फार्मूला
अगर चार फीसदी सालाना महंगाई दर बढ़ रही है तो इसका सीधा मतलब हुआ कि आप जो सामान सौ रुपए में खरीद सकते थे, वह पहले साल 104 रुपए में, दूसरे साल 108 रुपए में और इसी क्रम में अधिक कीमत में खरीद पाएंगे। इस रफ्तार से पांचवे साल तक कीमत 122 रुपए पहुंच जाएगी।
क्या है आंकड़ा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में कीमतें 24 प्रतिशत बढ़ीं। उनके दूसरे कार्यकाल में 32 प्रतिशत। दस साल के कुल कार्यकाल में सामान्य कीमत वृद्धि की दर 64 प्रतिशत रही। इस महंगाई को झेलते हुए आपकी आर्थिक हालत कैसी रही, इसका आंकलन आप पांच या दस साल पहले की अपनी स्थति से कर सकते हैं।
कैसे करें अपनी वास्तविक स्थिति का आंकलन?
2019 में जो आपकी आय थी, आज 32 फीसदी बढ़ी है क्या? या 2014 की तुलना में 64 प्रतिशत आमदनी बढ़ी है? अगर हां, तो महंगाई ने आपको आर्थिक मोर्चे पर पीछे नहीं धकेला।
अब जरूरी सामान की कीमत (औसत खुदरा मूल्य) के आधार पर महंगाई के बदले रूप का अंदाज लगाइए। ये आंकड़े सरकार (उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय) की ओर से जारी किए गए हैं। देखिए टेबल:
| आवश्यक वस्तुएं | 2019 (अप्रैल-जून) | 2021 (अप्रैल-जुलाई) | 2022 (अप्रैल-जुलाई) | 2023 (अप्रैल-जुलाई) |
| चावल | 30.93 | 36.0 | 36.2 | 39.7 |
| गेहूं | 26.18 | 26.6 | 29.5 | 31.6 |
| आटा | 27.8 | 30.2 | 33.2 | 36.8 |
| चना दाल | 65.54 | 75.9 | 73.8 | 74.1 |
| अरहर दाल | 79.36 | 107.1 | 103.0 | 124.1 |
| उरद दाल | 73.11 | 108.9 | 104.5 | 110.6 |
| मूंग दाल | 79.07 | 105.7 | 102.3 | 108.8 |
| मसूर दाल | 62.15 | 85.4 | 96.4 | 92.4 |
| मूंगफली का तेल | 127.16 | 175.8 | 190.8 | 190.8 |
| सरसो तेल | 108.65 | 165.5 | 187.0 | 157.0 |
| वनस्पति तेल | 80.14 | 129.8 | 161.3 | 131.5 |
| सोयाबीन तेल | 92.12 | 147.9 | 167.7 | 139.3 |
| सूरजमुखी तेल | 99.12 | 168.9 | 186.6 | 154.2 |
| पाम ऑयल | 75.00 | 129.7 | 149.8 | 111.9 |
| आलू | 17.04 | 19.4 | 23.8 | 21.2 |
| प्याज | 17.41 | 25.9 | 24.6 | 23.4 |
| टमाटर | 31.45 | 21.2 | 40.3 | 46.5 (*) |
| चीनी | 38.29 | 39.6 | 41.5 | 42.4 |
| गुड़ | 43.51 | 46.7 | 48.3 | 49.9 |
| दूध (रुपये/प्रति लीटर) | 43.32 | 48.8 | 51.6 | 57.2 |
| चायपत्ती | 212.19 | 276.6 | 284.0 | 275.6 |
| नमक पैकेट | 15.33 | 18.0 | 19.5 | 22.0 |
बाजार जाने पर आपको ये चीजें किस भाव मिलती हैं, इससे मिलान कर आप अपना आंकलन कर सकते हैं। पिछले कुछ महीनों की कई चीजों की महंगाई आपको याद होगी। जैसे- टमाटर का 250 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाना, पेट्रोल का सौ के पार चला जाना, एलपीजी सिलेंडर हजार के करीब हो जाना। कुछ ही महीने पहले अदरक, लहसुन की महंगाई ने भी अपना भीषण रूप दिखाया था, जब इनकी कीमतें 400 रुपए प्रति किलो के करीब पहुंच गई थीं।
महंगाई के मोर्चे पर सरकार के प्रदर्शन का आंकलन एक और पैमाने पर किया जा सकता है। आप खुद की आर्थिक स्थिति से भी इसका आंकलन कर सकते हैं। महंगाई की तुलना में आप की आमदनी कितनी बढ़ी है?
