जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन किया है। NC के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सभी 90 सीट पर कांग्रेस के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया गया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा अब्दुल्ला के आवास पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व के साथ बैठक के बाद यह घोषणा की गई है।

फारूक अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारी बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में काफी अच्छी रही। गठबंधन सही रास्ते पर है और अल्लाह ने चाहा तो यह सुचारू रूप से चलेगा। गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस पर आज शाम हस्ताक्षर हो जाएंगे और गठबंधन सभी 90 सीट के लिए है।’’

फारूक ने कहा कि दोनों पार्टियों का साझा कार्यक्रम ‘देश में मौजूद विभाजनकारी ताकतों को हराने के लिए चुनाव लड़ना’ है। एनसी प्रमुख ने यह भी उम्मीद जताई कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा एक ऐसी सरकार के नेतृत्व में बहाल किया जाएगा जिसके पास सभी आवश्यक शक्तियां होंगी।

श्रीनगर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए क्या बोले राहुल?

इससे पहले राहुल गांधी ने कहा था कि गठबंधन कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मान को बनाए रखते हुए बनाया जाएगा। खड़गे के साथ श्रीनगर में एक कार्यकर्ता बैठक को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी की विचारधारा की रक्षा करने और पार्टी की सोच को आगे बढ़ाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। मैं उन कठिनाइयों से अवगत हूं जिनका आपने सामना किया है।

यह महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों दलों के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत आसान नहीं होने की उम्मीद है क्योंकि घाटी में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों पर अंतिम समझौता अटका हुआ है। जम्मू-कश्मीर में एनसी मजबूत साझेदार बनी हुई है, कांग्रेस जम्मू में भी इसी तरह का दावा कर सकती है जबकि दोनों दलों की नजर बीच में पीर पंजाल क्षेत्र पर है।

इन सीटों पर फंसा पेंच

दोनों पार्टियों के सूत्रों ने कहा कि कश्मीर के कांग्रेस नेताओं ने घाटी में अपने लिए या पार्टी के लिए वे सीटें मांगी हैं जहां से वे पहले चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन एनसी नेता यह कहकर पीछे हट रहे हैं कि पार्टी इन निर्वाचन क्षेत्रों में अपने जमीनी काम में बहुत आगे है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस उन सीटों को देने का भी विरोध कर रही है जहां उसे लगता है कि कांग्रेस की जीत की उम्मीदें अवास्तविक हैं। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस जिन विधानसभा सीटों की मांग कर रही है उनमें श्रीनगर जिले की आठ में से पांच सीटें शामिल हैं। इसमें हजरतबल भी शामिल है, जहां एनसी ने एक उम्मीदवार को शॉर्टलिस्ट किया है। कांग्रेस जो अन्य सीटें चाहती है जिन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस देने में झिझक रही है, वे पुलवामा और अनंतनाग में हैं।

जम्मू की 11 में से 9 सीटें कांग्रेस को देने को तैयार एनसी

इनमें से कुछ सीटें जैसे डूरू, शांगस और राजपोरा सभी कश्मीर में हैं। ये सीटें 18 सितंबर को पहले चरण में 16 सीटों पर मतदान में से एक हैं। एनसी का तर्क है कि वह जम्मू में कांग्रेस को बढ़त देने को तैयार है। एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “जम्मू जिले में ही हम 11 सीटों में से नौ सीटें देने को तैयार हैं। वे इतनी यथार्थवादी हैं कि पता चल जाएगा कि जम्मू में उनकी बेहतर उपस्थिति है।”

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने बताया कि जिन सीटों पर पार्टी मजबूत है, भले ही नेतृत्व सहमत हो और चाहे साझेदार कितनी भी रैलियां क्यों न करें कैडर अपना वोट स्थानांतरित नहीं करेंगे। पार्टी नेताओं ने कहा कि वे खंडित जनादेश की किसी भी संभावना से बचने के लिए किसी भी सीट पर समझौता नहीं करना चाहते हैं। एक वरिष्ठ एनसी नेता ने कहा, “जहां तक ​​संभव हो, हम कश्मीर में उनकी मांगों को कम करेंगे और उन्हें जम्मू में उनके दावों पर गौर करेंगे।”

दोनों दलों के बीच 75% सीटों पर बातचीत फाइनल

एनसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इन कमियों के बावजूद लगभग 75% सीटों पर बातचीत पूरी हो चुकी है और दोनों पक्ष दूसरों पर बातचीत के लिए तैयार हैं। सूत्रों ने कहा कि खड़गे ने यह भी सुझाव दिया था कि जिन सीटों पर दोनों दल किसी समझौते पर नहीं पहुंच सकते हैं वहां दोनों एक मैत्रीपूर्ण व्यवस्था में असहमत होने और अलग-अलग लड़ने पर सहमत हो सकते हैं।

इसके साथ ही पीडीपी जो कि इंडिया गठबंधन का भी हिस्सा है, उसके साथ कांग्रेस के समझौते के दरवाजे बंद हो गए हैं। पीडीपी ने पहले कहा था कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए तैयार है लेकिन उसे यह कदम उठाना होगा।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हम यहां चुनाव और गठबंधन के लिए स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के विचार जानने के लिए आए हैं। राहुल जी सभी को साथ लेकर चलने में रुचि रखते हैं। खड़गे ने कहा कि राज्य के दर्जे के अलावा, कांग्रेस के अन्य वादे नौकरी, निवेश और जम्मू-कश्मीर के लोगों की जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा थे। कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वे इन्हें आपसे छीनने की कोशिश कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2014 के परिणाम

2014 के विधानसभा चुनावों में (जम्मू-कश्मीर में हुए पिछले राज्य चुनावों में) पीडीपी ने सबसे अधिक 28 सीटें जीती थीं, उसके बाद भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं। भाजपा का वोट शेयर 22.98% था, जो पीडीपी के 22.67% से थोड़ा अधिक था। चुनाव के बाद पीडीपी और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थी, जो 2018 में गिर गई थी। एनसी ने 20.77% वोट शेयर के साथ 15 सीटें हासिल की थीं, जबकि कांग्रेस को 18.01% वोट शेयर के साथ लद्दाख समेत पूर्ववर्ती राज्य में 12 सीटों से संतोष करना पड़ा था।

वहीं, पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हमने नरेंद्र मोदी के आत्मविश्वास को झटका दिया। यह कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की विचारधारा थी जिसने ऐसा किया।

राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की लेकिन उन्होंने हटाए गए अनुच्छेद 370 का उल्लेख करने से परहेज किया। जिसके बाद भाजपा ने कांग्रेस से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि क्या वह सत्ता में आने पर इसे निरस्त करने के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस के वादे का समर्थन करती है।