फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के उल्लंघन के मामले में तीन समन भेजे जाने के बाद अब ईडी ने टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा और बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह मामला कथित रूप से पैसे लेकर सवाल पूछने का है। ईडी की इस कार्रवाई ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को भाजपा पर हमला करने का नया मुद्दा थमा दिया है।
विपक्ष पहले से पूरे देश में भाजपा पर ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों के जरिए विपक्ष पर अंकुश लगाने की राजनीति करने का आरोप लगाते रहा है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार में 3 अप्रैल को छपी एक रिपोर्ट से भी इस आरोप को बल मिलता है। रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से भ्रष्टाचार के आरोपी 25 विपक्षी नेता भाजपा या एनडीए में शामिल हुए। इनमें से 23 को जांच एजेंसियों की कार्रवाई से राहत मिली।
राहत पाने वाले नेताओं में एक नाम सुवेंदु अधिकारी का भी है। अधिकारी पहले तृणमूल कांग्रेस में थे। 2020 में वह बीजेपी में आ गए थे। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ नंदीग्राम से चुनाव भी लड़ा था। आज कल वह पश्चिम बंगाल भाजपा के बड़े नेता हैं।
सुवेंदु अधिकारी नारदा स्टिंंग ऑपरेशन केस में 11 अन्य तृणमूल नेताओं के साथ आरोपी हैं। इस स्टिंंग ऑपरेशन में तृणमूल नेताओं को एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्वत लेते और इसके बारे में बात करते दिखाया गया था। 2014 की यह रिकॉर्डिंंग 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले सामने आई थी।
2017 में सीबीआई ने नारदा स्टिंंग ऑपरेशन केस में एफआईआर की थी। अप्रैल 2019 में सीबीआई ने लोकसभा अध्यक्ष से अधिकारी पर कार्रवाई के लिए इजाजत मांगी (क्योंकि स्टिंंग के वक्त अधिकारी सांसद थे)। दिसंबर 2020 में अधिकारी ने बीजेपी जॉयन की। लोकसभा अध्यक्ष की ओर से आज तक सीबीआई को उन पर कार्रवाई की इजाजत नहीं मिली है।
महुआ मोइत्रा के मामले में 14 अक्तूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने सीबीआई को भ्रष्टाचार और मनी लॉन्डरिंग की शिकायत दी और इसकी एक प्रति लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजी। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिख कर मोइत्रा को तत्काल सस्पेंड करने की मांग की और आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा ने पीएम मोदी और अदानी समूह से जुड़े सवाल पूछने के लिए हीरानंदानी से रिश्वत ली है। मामला सदाचार समिति को भेजा गया। कमिटी की रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को खराब आचरण का दोषी पाया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सरकार को एक निश्चित समय के अंदर इस मामले में कानूनी जांच करवानी चाहिए। इस रिपोर्ट के आधार पर आठ दिसंबर को मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई।
अब बताया जा रहा है कि ईडी ने सीबीआई के द्वारा दर्ज एफआईआर का संज्ञान लेने के बाद महुआ मोइत्रा और हीरानंदानी के खिलाफ केस दर्ज किया है। बता दें कि महुआ पर आरोप है कि उन्होंने हीरानंदानी की ओर से सवाल पूछने के बदले पैसे लिए थे।
27 अक्टूबर को द इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में महुआ मोइत्रा ने इस बात को स्वीकार किया था कि उन्होंने अपने लोकसभा की वेबसाइट से जुड़े लॉग इन और पासवर्ड की जानकारी हीरानंदानी को दी थी। लेकिन महुआ ने इस बात से इनकार किया था कि उन्होंने हीरानंदानी से कोई पैसा लिया है। जबकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई ने सीबीआई को दी शिकायत में यह आरोप लगाया था कि महुआ ने सवाल पूछने के बदले में हीरानंदानी से पैसे लिए थे।
सीबीआई ने दर्ज की थी एफआईआर
सीबीआई ने मार्च 2024 में महुआ और हीरानंदानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। उससे पहले लोकपाल ने इस मामले में जांच करने के आदेश दिए थे। अपनी एफआईआर में सीबीआई ने कहा था कि लोकपाल की ओर से दिए गए आदेश के तहत महुआ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
महुआ पर क्या हैं आरोप?
महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया गया था कि वह न सिर्फ भ्रष्टाचार से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हैं बल्कि उन्होंने हीरानंदानी और एक प्राइवेट व्यक्ति से रिश्वत ली तथा कुछ अन्य फायदे भी लिए हैं। यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने संसद की ओर से मिले लॉग इन क्रैडेंशियल्स को साझा करके अपने संसदीय विशेषाधिकारों के साथ समझौता किया है और राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में डालने का काम किया है।
इन आरोपों के बाद लोकपाल ने सीबीआई से कहा था कि वह 6 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट दे। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई की ओर से महुआ और हीरानंदानी को इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन वे अपनी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए अब तक जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं।
महुआ मोइत्रा वर्तमान में पश्चिम बंगाल की कृष्णा नगर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने यहां से जीत दर्ज की थी।
बीते साल अक्टूबर में कैश फॉर क्वरी के आरोपों का मामला तब बड़े पैमाने पर सामने आया था जब हीरानंदानी ने लोकसभा की एथिक्स कमेटी को दिए गए हलफनामे में दावा किया था कि महुआ मोइत्रा ने उन्हें संसद से जुड़े अपने लॉग इन और पासवर्ड मुहैया कराए थे। हीरानंदानी के मुताबिक, यह इसलिए मुहैया कराए गए थे कि जब उन्हें जरूरत हो वह उनके जरिए अपने सवाल सीधे वेबसाइट पर डाल सकें।
हालांकि महुआ मोइत्रा ने इसे एक मजाक बताया था और कहा था कि हीरानंदानी ने जो बातें कही हैं, उससे जुड़ा ड्राफ्ट प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ से भेजा गया था और हीरानंदानी को इस पर दस्तखत करने के लिए मजबूर किया गया था।