फरीदकोट के तत्कालीन महाराजा सर हरिंदर सिंह बरार की शाही संपत्ति को लेकर पिछले तीन दशक से कानून लड़ाई जारी थी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस शाही विवाद का अंत करते हुए हरिंदर सिंह बरार की दो जीवित बेटियों के पक्ष में फैसला सुनाया। उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद 28 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस मामले पर पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट फैसला सुना चुका था। CJI यूयू ललित की अगुवाई वाली तीन-सदस्यीय बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को कुछ संशोधन के साथ बरकरार रखा है। कोर्ट ने महाराजा की 20 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति के अधिकांश हिस्से का उत्तराधिकार उनकी बेटी अमृत कौर और दीपिंदर कौर को माना है। साथ ही संपत्तियों का प्रबंधन कर रहे महारावल खेवाजी ट्रस्ट को तत्काल रूप से भंग करने का आदेश दिया है।
क्या है मामला?
मामले का संबंध है फरीदकोट रियासत से। आजादी के बाद साल 1948 में फरीदकोट के शासक महाराजा हरिंदर सिंह बरार ने अपने रियासत का विलय भारत में कर दिया। शासन प्रशासन भारत सरकार के हाथ में चला गया। लेकिन निजी संपत्तियों पर महाराजा का अधिकार रहा।
हरिंदर सिंह बरार की तीन बेटियां और एक बेटा था। मौत से पहले राजा ने फरीदकोट एस्टेट एक्ट-1848 बनाया। इसके तहत उन्होंने घोषणा कर दी कि उनकी मौत के बाद संपत्ति पर मालिकाना हक उनके बेटे का होगा। लेकिन इस घोषणा के कुछ दिन बाद ही महाराजा के बेटे टिक्का हरमोहिंदर सिंह और उनकी पत्नी नरिंदर कौर की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। 1989 में हरिंदर सिंह भी मर गए। उनकी मौत के बाद एक नया वसीयत सामने आया, जिससे पूरे विवाद की शुरुआत हुई।
‘जाली’ वसीयत से निकला फर्जी ट्रस्ट
मौत के बाद सामने आए वसीयत के मुताबिक, राजा की संपत्ति दो बेटियों (दीपिंदर और महीपिंदर) का अधिकार था। पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी करने की वजह से तीसरी बेटी अमृत कौर नाम वसीयत में नहीं था। साथ ही वसीयत महारावल खेवाजी ट्रस्ट का भी जिक्र मिलता है। ट्रस्ट का काम संपत्तियों की विरासत को संभालना था। वसीयत के मुताबिक, ट्रस्ट में लोगों के अलावा दीपिंदर और महीपिंदर को भी शामिल करना था।
राजा की बड़ी बेटी को इस वसीयत पर यकीन नहीं था। वह यह बात मानने को तैयार ही नहीं थीं कि उनके पिता जायदाद की जिम्मेदारी किसी ट्रस्ट को दे सकते हैं। साल 1992 में सबसे बड़ी बेटी अमृत कौर वसीयत को चुनौती देने चंडीगढ़ ज़िला न्यायालय पहुंच गईं। कानून लड़ाई शुरु हुई इस बीच साल 2001 में महीपिंदर की रहस्यमय हालात में मौत हो गई।
जिला न्यायालय ने साल 2013 में वसीयत को फर्जी माना। अमृत कौर की बहन राजकुमारी दीपिंदर कौर ने अन्य ट्रस्टियों के साथ मिलकर जिला अदालत के फैसले को पंजाब हाईकोर्ट में चुनौती दी। साल 2020 में हाईकोर्ट ने वसीयत को न सिर्फ फर्जी माना, बल्कि उसे ट्रस्टियों द्वारा साज़िश के तहत तैयार किया गया बताया। ट्रस्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, जिस पर अब फैसला आया है।
कितनी और कहां-कहां है संपत्ति?
यह पूरा विवाद 20,000 करोड़ की संपत्ति के जुड़ा था, जिसमें कई महलनुमा इमारतें, सैकड़ों एकड़ जमीन, आभूषण और विंटेज कारें शामिल हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संपत्ति में चंडीगढ़ के अलावा चार राज्यों (पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा) में विशाल महल और प्रमुख स्थानों पर कई एकड़ जमीन है।
फरीदकोट का राजमहल: 14 एकड़ में फैले इस महल का निर्माण 1885 में शाही निवास के रूप में किया गया था। अब महल के मैदान के एक हिस्से पर 150 बिस्तरों वाला एक चैरिटेबल अस्पताल चलता है।
किला मुबारक: राजा मोकुलसी द्वारा निर्मित और लगभग 1775 में राजा हमीर सिंह द्वारा पुनर्निर्मित किला मुबारक 10 एकड़ में फैला हुआ है। वर्तमान मुख्य भवन 1890 के आसपास बनाया गया था।
नई दिल्ली का फरीदकोट हाउस: दिल्ली की सबसे प्रमुख सड़कों में से एक कोपरनिकस मार्ग पर फरीदकोट हाउस खड़ा है। कुल जमीन 10 एकड़ है। 2018 में केंद्र सरकार उसके लिए ₹17.50 लाख के मासिक किराया देती थी। ताजा रेट कहीं मौजूद नहीं है। साल 2000 के आस-पास फरीदकोट हाउस के जमीन की ₹1,200 करोड़ बताई गई थी। इसके अलावा पॉश डिप्लोमैटिक एन्क्लेव में भी इस शाही परिवार की एक प्रॉपर्टी है।
चंडीगढ़ का मनीमाजरा किला: करीब चार एकड़ में फैला मनीमाजरा किला कम से कम 350 साल पुराना है। नगर प्रशासन ने किले को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी। लेकिन कानूनी लड़ाई के चलते फैसला टाल गया।
शिमला के मशोबरा में बना फरीदकोट हाउस: 260 बीघे में फैले शिमला के फरीदकोट हाउस में पांच शेरवुड हाउस थे। तीन आग में नष्ट हो गए, दो अब भी हैं।
18 विंटेज कारें: 1929 मॉडल रॉयल रॉयस, 1929 मॉडल ग्राहम, 1940 मॉडल बेंटले, जगुआर, डेमलर, पैकार्ड समेत 18 विंटेज कारें इस शाही परिवार की संपत्ति का हिस्स हैं।
फरीदकोट हवाई अड्डा: 200 एकड़ में फैला फरीदकोट का हवाई अड्डा भी इसी शाही परिवार की संपत्ति का हिस्सा है। फिलहाल हवाई अड्डे का इस्तेमाल नागरिक प्रशासन और सेना द्वारा किया जाता है।
सोना और गहने: करीब ₹1000 करोड़ रुपये की कीमत के आभूषण मुंबई में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक रखे हैं।