जम्मू कश्मीर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बदली राय के बाद खबर है कि अमेरिका के शीर्ष राजनयिक ने नरेंद्र मोदी सरकार से गुप चुप तरीके से कश्मीर के हालात पर जानकारी लेने की कोशिश की। यही नहीं अमेरिका की तरफ से NC नेताओं की नजरबंदी और इलाकों में लगाई गई पाबंदियों को लेकर भी चिंता जताई है। सरकार के सूत्रों के मुताबिक कश्मीर को लेकर सवाल उस समय आया जबकि अन्य देशों के अलावा अमेरिकी राजनियकों के साथ चर्चा हो रही थी। इस दौरान यूएस एंबेसी के अलावा अन्य अमेरिकी अधिकारियों ने भी यह जानने की कोशिश की कश्मीर में कैसे हालात हैं।
हालांकि सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और इसपर किसी अन्य देश का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
सूत्रों ने यह भी बताया कि कश्मीर की सुरक्षा को लेकर सरकार के दो उद्देश्य है- कानून व्यवस्था बनाए रखना और जानमाल के नुकसान की रोकथाम करना। और यही बात अमेरिकी राजनयिकों को बताई गई। अमेरिकन एंबेसी के एक शख्स से पूछा गया कि क्या अमेरिका कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत से जानकारी चाहता है? इस पर उस शख्स ने कहा कि वह आंतरिक कूटनीतिक मामले पर कमेंट नहीं करेंगे।
हालांकि प्रवक्ता का कहना है कि , हम नजरबंदी की रिपोर्ट और क्षेत्र के निवासियों पर जारी प्रतिबंधों से बहुत चिंतित हैं। हम मानवाधिकारों के लिए सम्मान, कानूनी प्रक्रियाओं के अनुपालन का आग्रह करते हैं।
गौरतलब है कि पिछले महीने ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मसले पर मध्यस्थता कराने की पेशकश की थी। ट्रंप के बयान के एक हफ्ते के बाद 5 अगस्त को सरकार ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर विभाजित कर दिया था। हालांकि बाद में ट्रंप ने अपना पक्ष बदल दिया था और कहा था कि भारत और पाकिस्तान अपना मसला खुद सुलझा लेगें। यह द्विपक्षीय मसला है।