दक्षिण कैरोलाइना की दो बार की पूर्व गवर्नर और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली इकलौती उम्मीदवार हैं, जिन्हें रिपब्लिकन सिद्धांतों एवं विचारधारा से कोई समझौता किए बगैर डेमोक्रेट्स के एक बड़े वर्ग का भी समर्थन मिल रहा है। उनके प्रमुख भारतीय-अमेरिकी मित्रों तथा उनके राष्ट्रपति अभियान के लिए चंदा देने वाले लोगों का ऐसा मानना है।
पहली बार भारतीय मूल के दो अमेरिकी – निक्की हेली तथा विवेक रामस्वामी बहस करेंगे
हेली (51) रिपब्लिकन पार्टी की राष्ट्रपति पद की इकलौती संभावित महिला उम्मीदवार हैं, जिन्होंने 23 अगस्त को विस्कांसिन में होने वाली पार्टी की 2024 की पहली प्राइमरी बहस में शामिल होने की पात्रता अर्जित कर ली है। आगे की बहस इस लिहाज से भी अलग होगी कि पहली बार भारतीय मूल के दो अमेरिकी – निक्की हेली तथा विवेक रामस्वामी किसी भी राजनीतिक दल की ओर राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए वाद-विवाद में शामिल होंगे। इस बहस का प्रसारण फाक्स न्यूज पर किया जाएगा।
‘रियल क्लियर पालिटिक्स’ के अनुसार, हेली अभी पांचवें स्थान पर हैं
अमेरिका के राष्ट्रीय चुनाव सर्वेक्षणों पर नजर रखने वाले ‘रियल क्लियर पालिटिक्स’ के अनुसार, हेली अभी राष्ट्रीय चुनावों के औसत में 3.3 फीसद के साथ पांचवें स्थान पर हैं। हेली के भारतीय-अमेरिकी मित्रों और प्रमुख चंदादाताओं के मुताबिक, वह अत्यधिक ध्रुवीकृत देश में शांति लेकर आईं और वह इकलौती उम्मीदवार हैं, जिन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के सिद्धांतों और विचारधारा से समझौता किए बगैर डेमोक्रेट्स के एक बड़े वर्ग का समर्थन हासिल किया है।
हेली की मित्र भावना वासुदेव ने कहा, ‘हम तैयार हैं। निक्की में जुनून हैं, उनमें देश के लिए गर्व है और उनमें सेवा भाव है। वह वाशिंगटन डीसी के राजनीतिक दलदल में नहीं फंसी हैं।’ हेली के लिए निधि जुटाने वाले प्रमुख लोगों में से एक ह्यूस्टन के जितेन अग्रवाल ने कहा कि उनका अभियान काफी अच्छा चल रहा है। उनका उदार रूढ़िवादी रुख है जो कई भारतीय-अमेरिकियों के साथ मेल खाता है।
‘नेक्स्ट’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और टेक्सास से प्रमुख भारतीय-अमेरिकी चंदादाता अरुण अग्रवाल ने कहा, ‘उन्हें न केवल रिपब्लिकन बल्कि उन महिलाओं का भी समर्थन मिलेगा जो अभी राजनीति से पूरी तरह असंतुष्ट हैं। गर्भपात पर वह कोई राय बना सकती हैं।’
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव
जनता जानती है कि मैं कौन हूं, मेरा राष्ट्रपति कार्यकाल कितना सफल रहा। बहस में हिस्सा लेने का कोई खास फायदा नहीं दिख रहा, क्योंकि मैं पहले ही एक बड़े अंतर से आगे चल रहा हूं। इसलिए मैं बहस नहीं करूंगा। यह अक्लमंदी का सवाल है।
- डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति