मानवाधिकार मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने मंगलवार को भारत और पाकिस्तान से कहा कि वे नियंत्रण रेखा के दोनों ओर स्थित कश्मीर के हिस्सों में बिना शर्त जाने की अनुमति दें, ताकि घाटी मेंं स्थिति की तर्कपूर्ण समीक्षा की जा सके। जेनेवा में मानवाधिकार परिषद के 33वें सत्र के उद्घाटन भाषण में जैद रा’अद अल हुसैन ने कहा कि मैंने दो महीने पहले भारत और पाकिस्तान सरकारों से अनुरोध किया था कि वे मेरे कार्यालय की टीमों को नियंत्रण रेखा के दोनों ओर यात्रा करने के लिए आमंत्रित करें। उन्होंने कहा कि हमें पहले भी रिपोर्ट मिली हैं, और अभी भी ऐसा दावा करने वाली रिपोर्ट मिल रही हैं कि भारतीय अधिकारी अपने प्रशासन वाले क्षेत्र में असैन्य आबादी के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग कर रहे हैं। इसके अलावा हमें झड़पों के कारणों के संबंध में दोनों पक्षों से परस्पर-विरोधी संवाद मिले हैं और बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने और घायल होने की सूचना मिली है।

हुसैन ने कहा कि मेरा मानना है कि फिलहाल एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और अंतरराष्ट्रीय मिशन की सख्त जरूरत है और दोनों पक्षों द्वारा किए जाने वाले दावों की तर्कसंगत व्याख्या करने के लिए उसे स्वतंत्रता और आवाजाही की पूरी छूट मिलनी चाहिए। पाकिस्तान ओएससीएचआर टीम को औपचारिक पत्र सौंप कर नियंत्रण रेखा के अपनी ओर की कश्मीर आने का न्योता दिया है, लेकिन यह टीम सिर्फ भारत की सीमा में आने वाली टीम के साथ ही आ सकेगी। मुझे अभी तक भारत सरकार की ओर से कोई औपचारिक पत्र नहीं मिला है। इसलिए मैं उनसे, दोनों सरकारों से, यहां सार्वजनिक तौर पर अनुरोध करता हूं कि वे बिना शर्त नियंत्रण रेखा के दोनों ओर यात्रा की अनुमति दें।

इस बीच इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय ने जैद रा’द अल हुसैन के बयान का स्वागत करते हुए कहा है कि ओएचसीएचआर टीम की यात्रा अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के उल्लंघन के साथ पिछले 68 वर्षों से मिली हुई छूट की संस्कृति को खत्म करने में मदद करेगी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की किसी भी टीम को आने की अनुमति देगा। उसने कहा कि हम उच्चायुक्त के बयान पर ध्यान दे रहे हैं कि भारत की ओर से कश्मीर जाने की अनुमति देने वाले औपचारिक पत्र का उन्हें अभी भी इंतजार है। हम भारत से इस अनुरोध का उत्तर देने की मांग करते हैं।