पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया है कि तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने उन पर भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने का दबाव बनाया था।
इमरान खान ने शनिवार (1 अप्रैल) की शाम लाहौर के जमां पार्क स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में दावा किया, ‘‘जनरल बाजवा चाहते थे कि मैं भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करूं। उन्होंने इसके लिए मुझ पर दबाव बनाया और हमारे रिश्ते खराब होने की एक वजह यह भी थी।’’ इमरान ने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान को भारत के साथ केवल तब शांति वार्ता करनी चाहिए, जब नयी दिल्ली जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करे।
जनरल बाजवा मुझे मरवाना चाहते थे- इमरान खान
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष इमरान खान ने आगे कहा कि सेवानिवृत्त जनरल बाजवा ने पाकिस्तान के साथ जो किया वह दुश्मन भी नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि सेना द्वारा बाजवा को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इमरान खान ने बाजवा पर ना केवल देश को अस्थिर करने का आरोप लगाया, जिसने आर्थिक तबाही की नींव रखी बल्कि उनकी पार्टी के सदस्यों और पत्रकारों के खिलाफ अत्याचार करने का भी इल्जाम लगाया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि बाजवा मुझे मरवाना चाहता थे।
दरअसल, अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही इमरान खान का जनरल बाजवा के साथ टकराव जारी है। बाजवा तीन साल के लगातार दो कार्यकाल के बाद 29 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त हुए थे। खान से पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली संघीय सरकार के इस दावे के बारे में भी पूछा गया कि वह दो प्रांतों के चुनावों के संबंध में प्रधान न्यायाधीश उमर अता बांदियाल के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ के फैसले को स्वीकार नहीं करेगी। जिस पर इमरान खान ने कहा, ‘‘मुझे पता है कि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में चुनावों में देरी से भ्रष्टाचारियों को फायदा होगा। वे हमारी पार्टी को कुचलने या इमरान खान को खत्म करने की उम्मीद में चुनाव में देरी कर रहे हैं।’’
90 दिन के भीतर चुनाव नहीं हुए तो पाकिस्तान बिना संविधान के होगा
PTI के अध्यक्ष ने सत्तारूढ़ गठबंधन से अक्टूबर, 2023 तक चुनाव स्थगित करने के कारणों के बारे में भी बताने को कहा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर दो प्रांतों में 90 दिन के भीतर चुनाव नहीं होते हैं तो पाकिस्तान बिना संविधान के होगा।’’ खान की पार्टी ने जनवरी में पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में विधानसभाओं को भंग कर दिया था जिसके बाद कार्यवाहक सरकारों ने सत्ता संभाली थी। संविधान के तहत, विधानसभा भंग होने की तारीख से 90 दिन के भीतर चुनाव कराने होते हैं।