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पाकिस्तान की संसद ने कतरे ‘चीफ जस्टिस’ के पर, इमरान के सांसद चिल्लाते रहे, नहीं मानी सरकार, केवल राष्ट्रपति के दस्तखत बाकी

यह विधेयक कानून बनने के एक कदम और करीब पहुंच गया। अब केवल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की जरूरत है।

pakistan | supreme court|
पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट (express file photo)

परवेज मुशर्रफ और खुद इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने वाले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश अब उतने ताकतवर नहीं रहे पाएंगे। पाकिस्तान की संसद ने एक ऐसा प्रस्ताव पारित कर दिया जिससे प्रधान न्यायाधीश के अधिकार अब पहले जैसे नहीं रहेंगे। यह विधेयक कानून बनने के एक कदम और करीब पहुंच गया। अब केवल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की जरूरत है। हालांकि इमरान खान के सांसदों ने शाहबाज शरीफ सरकार की तरफ से पेश प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया लेकिन संसद से प्रस्ताव पारित हो ही गया।

पाकिस्तान की संसद के उच्च सदन सीनेट ने देश के प्रधान न्यायाधीश के स्वत: संज्ञान लेने और संवैधानिक बेंच गठित करने संबंधी अधिकारों में कटौती के लिए पेश विधेयक को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी। कानून एवं न्याय मंत्री आजम नजीर तरार ने ‘उच्चतम न्यायालय (कार्य एवं प्रक्रिया) विधेयक-2023 को बृहस्पतिवार को सीनेट में पेश किया। यह विधेयक एक दिन पहले ही नेशनल असेंबली में पारित हुआ था।

इमरान के सांसद बोले- दो तिहाई से पारित नहीं हुआ विधेयक

इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के सांसदों ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से जुड़े मामलों में बदलाव संविधान संशोधन के जरिये किया जाना चाहिए। उसे दो तिहाई बहुमत से पारित कराया जाना चाहिए।

पीटीआई के सीनेटर अली जफर ने बहस के दौरान कहा कि आप उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था में साधारण बहुमत से कानून पारित कर बदलाव नहीं कर सकते हैं। उन्होंने विधेयक को मतदान से पहले संसद की संयुक्त समिति को भेजने की मांग की। पीटीआई सीनेटरों ने विधेयक को पारित कराने के कदम का विरोध किया। अली जफर ने चेतावनी दी कि इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है और यह तय है कि शीर्ष अदालत इसे खारिज कर देगी।

अनुच्छेद 184(3) से जुड़ा कोई भी मामला पहले तीन जजों की समिति के समक्ष रखा जाएगा

विधेयक में प्रावधान किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित किसी भी मामले या अपील की सुनवाई और निस्तारण प्रधान न्यायाधीश एवं दो वरिष्ठतम जजों की समिति द्वारा तय बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान के मूल न्यायाधिकार क्षेत्र के बारे में विधेयक में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 184(3) से जुड़ा कोई भी मामला पहले संबंधित समिति के समक्ष रखा जाएगा।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा व्यवस्था में प्रधान न्यायाधीश स्वत: संज्ञान अधिकार पर फैसला लेते हैं और वही मामलों की सुनवाई के लिए विभिन्न बेंचों का गठन करते हैं।

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First published on: 30-03-2023 at 20:13 IST