नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की भारत यात्रा से पहले मंगलवार नेपाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संविधान संशोधन का मुद्दा एक आंतरिक मामला है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को पूर्व में उपजे ‘नाकेबंदी’ जैसे मसलों पर ‘आत्मचिंतन’ करना चाहिए।भारत यात्रा पर आए नेपाली विदेश मंत्री प्रकाश शरण महत ने सुरक्षा के मुद्दों पर भी भारत को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि नेपाल अपनी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि सभी द्विपक्षीय समस्याओं के बारे में सिर्फ कूटनीतिक माध्यमों से ही सूचना दी जानी चाहिए।महत ने कहा कि नेपाल जमीनी स्तर पर ठोस परिणाम देखना चाहता है और इसके लिए बाजार तक पूर्ण पहुंच के अलावा भारतीय परियोजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन जरूरी है। महत ने नेपाल रवाना होने से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे लगता है कि नेपाल के प्रधानमंत्री की आगामी यात्रा बहुत फलदायी होगी और हम अपने संबंधों का एक नया अध्याय शुरू करेंगे।’

‘प्रचंड’ नाम से प्रसिद्ध पुष्प कमल दहल इस सप्ताह चार दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। पिछले सप्ताह पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है।
नए संविधान के मुद्दे पर सजातीय अल्पसंख्यक प्रदर्शनकारियों ने पिछले साल कई महीने तक सीमा की नाकेबंदी कर दी थी, जिसके कारण नेपाल और भारत के संबंधों में तनाव आ गया था। इन प्रदर्शनकारियों का दावा है कि यह उनके हितों के खिलाफ भेदभाव है। ओली सरकार ने भारत पर आरोप लगाया था कि उसने हर ओर से जमीन से घिरे नेपाल में मधेसियों की अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग का समर्थन करने के लिए ‘अनाधिकारिक नाकेबंदी’ लगाई है।महत ने कहा, ‘हमारा संविधान मूल रूप से बेहद समावेशी है लेकिन निश्चित तौर पर इसमें सुधार की गुंजाइश है। दुनिया का कोई भी संविधान एकदम त्रुटिहीन नहीं है।’ उन्होंने माना कि कुछ परेशानियां जिन पर नई सरकार काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘हम विभिन्न पक्षकारों से कई वार्ताएं कर चुके हैं। हम इसे बेहद गंभीरता से ले रहे हैं लेकिन यह एक ऐसा विषय है, जिस पर फैसला नेपाल की संसद, नेपाल सरकार और नेपाल की जनता करेगी। यह हमारी आंतरिक प्रक्रिया है। नेपालियों के लिए जो भी अच्छा होगा, हम वह निर्णय लेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘जिस भी बदलाव के लिए संशोधन किया जाना है, वह पूरी तरह से नेपाल की आंतरिक प्रक्रिया है और नेपाल की जनता की मांग एवं महत्वाकांक्षा पर आधारित है। हम अपने संविधान में सुधार जारी रखेंगे।’ नई सरकार की भारत से उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि इसके बजाय हम विश्वास, मैत्री और सहयोग के आधार पर रिश्तों के निर्माण की बात करेंगे। यह यात्रा इसी लिए है।’  महत ने बताया कि इस यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज के अलावा जल मंत्री उमा भारती, बिजली मंत्री पीयूष गोयल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, भाजपा नेता राम माधव और कांग्रेस के नेता जनार्दन द्विवेद्वी से मुलाकात की। अतीत के तनावों के बारे में पूछे जाने पर नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों को आत्मचिंतन करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य आगे बढ़ना है, पीछे देखना नहीं। जो कुछ हुआ, हमें उससे कुछ नहीं मिल सकता। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी कोई गलतफहमी या कोई और चीज नहीं होनी चाहिए, जो हमारे संबंधों और हमारे लोगों को नुकसान पहुंचाए।’ महत ने कहा कि पिछली सरकार की तरह उनका उद्देश्य भी राष्ट्र हित को बढ़ावा देना है।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा नेपाल की प्रस्तावित यात्रा रद्द किए जाने की खबरों पर उन्होंने कहा, ‘शी की यात्रा की तिथि तय नहीं हुई है तो उसके रद्द होने का सवाल ही नहीं उठता। हम चीन से एक उच्च स्तरीय दौरे की उम्मीद करते हैं। भारतीय राष्ट्रपति भी नेपाल आएंगे। हम दोनों पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं।’ भारत और नेपाल के बीच सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र के अलावा सहयोग के कई क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए महत ने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि ये सभी परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ें। उन्होंने कहा, ‘हम जमीनी स्तर पर ठोस नतीजे देखना चाहते हैं। सिर्फ उच्च स्तरीय बैठकों से जमीन पर ठोस नतीजा नहीं मिलेगा। हमें विभिन्न स्तरों पर काम करने की जरूरत है। इसमें संयुक्त आयोग, मंत्री स्तर, सचिव स्तर और तकनीकी स्तर आता है। उन्हें नियमित रूप से मुलाकात करनी चाहिए। चीजें तभी तेजी से आगे बढ़ेंगी।’ उन्होंने सड़कों और पंचेश्वर परियोजना का उदाहरण देते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा, ‘हम इसे तेजी से आगे बढ़ता देखना चाहेंगे। इसी तरह, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां हम बाजार तक पूर्ण पहुंच चाहते हैं। क्योंकि हमारे बीच बिजली व्यापार का समझौता है लेकिन जब तक हमें बाजार तक पहुंच नहीं मिलती, निवेश नहीं होगा। यदि बाजार तक पहुंच में कमी होती है तो भारत के बड़े निवेशकों को वित्तपोषण नहीं मिल पाएगा। हमने अपनी चर्चा में इन सभी मुद्दों को शामिल किया है।’ उन्होंने कहा कि जिस भी मुद्दे पर चर्चा की गई, भारत सरकार उसके प्रति काफी सहानुभूति एवं सराहना का भाव रखती है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के मुद्दों पर भारत और नेपाल को एकसाथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘(दोनों देशों का) साझा तंत्र होना चाहिए ताकि कोई आतंकी या अवैध गतिविधि न हो सके। हम अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी पड़ोसी के खिलाफ नहीं होने देंगे। यह बात तय है।’