पाकिस्तान की मौजूदा संघीय गठबंधन सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि ‘अमेरिकी गुलामों’ ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की, जबकि भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदा और कीमतें कम की। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष ने रविवार (29 मई, 2022) को चारसद्दा के शेखाबाद में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि भारत स्वतंत्र है,लेकिन हम (पाकिस्तानी) गुलाम हैं।
पाकिस्तान के पूर्व इमरान खान ने की भारत की तारीफ
इमरान खान ने स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के लिए भारत की सराहना करते हुए कहा कि उसने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद रूस से कच्चे तेल का आयात किया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने रूस के साथ 30 प्रतिशत रियायती दरों पर तेल खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, लेकिन हमारी सरकार को एक साजिश के तहत हटा दिया गया।’ इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान की तेज प्रगति के लिए एक स्वतंत्र विदेश नीति जरूरी है।
इमरान की शहबाज को चेतावनी
उन्होंने चेतावनी दी कि देश प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और पंजाब के मुख्यमंत्री हमजा शहबाज को उनकी पार्टी के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को प्रताड़ित करने और उनके घरों पर छापेमारी करने के लिए माफ नहीं करेगा। पीटीआई प्रमुख ने दोहराया कि उन सभी को गिरफ्तार किया जाएगा और जल्द ही सलाखों के पीछे भेज दिया जाएगा। इमरान खान ने कहा कि उनकी पार्टी जल्द ही ‘थोपी हुई सरकार’ को गिराने के लिए इस्लामाबाद की ओर मार्च करेगी।
पाकिस्तान में जीडीपी और रुपए दोनों की हालत खस्ता
इमरान खान जब सत्ता में आए तो उन्हें पाकिस्तान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली उम्मीद के तौर पर देखा गया, लेकिन 44 महीने बाद जब अविश्वास प्रस्ताव की वजह से इमरान को सत्ता से बाहर किया गया, तो ये सारी उम्मीदें उल्टी साबित हुईं। पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है और उसकी जीडीपी और रुपए दोनों की हालत खस्ता है।
सेना के चंगुल से आजाद पीएम बनना चाहते थे इमरान
2018 में पाकिस्तान में चुनावी जीत के साथ पीएम बनने वाले इमरान को शुरू से ही सेना का समर्थन हासिल था। उन आम चुनावों में धांधली के आरोप लगे और माना जाता है कि सेना की मदद से इमरान सत्ता पर कब्जा करने में सफल रहे, लेकिन सत्ता संभालने के कुछ ही महीनों बाद इमरान और सेना में दूरियां बनने लगी। इसकी वजह काफी हद तक इमरान की खुद को पूर्व प्रधानमंत्रियों जुल्फिकार भुट्टो और नवाज शरीफ की तरह खुद को सेना के चंगुल से आजाद पीएम बनने की चाह थी। इसके बाद उन्होंने ऐसे कई कदम उठाए, जिससे उनके और सेना के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं।