China Barriers to announce Global Terrorist to Shahid Mahmood: चीन का पाकिस्तानी प्रेम एक बार फिर से दिखाई दिया है। भारत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी शाहिद महमूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव भेजा लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव पर रोक लगा दी है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बीते 4 महीनों में यह चौथा मौका है जब बीजिंग ने विश्व संगठन में आतंकवादियों को ब्लैकलिस्ट करने की कोशिशों पर रोक लगाई है। बताया जा रहा है कि चीन ने यूएन की ‘1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति’ के मुताबिक महमूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव को बाधित कर दिया है।

इसके पहले दिसंबर 2016 में ही अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने महमूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया था। विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय के कार्यवाहक निदेशक जॉन ई स्मिथ ने तब कहा था,”ये दो लश्कर-ए-तैयबा नेता आतंकवादी समूह के संचालन का समर्थन करने के लिए धन जुटाने और स्थानांतरित करने के लिए जिम्मेदार हैं।” चीन की रोक का फैसला ऐसे समय में आया है जब संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भारत में हैं और उन्होंने मुंबई में 26/11 हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी है। लश्कर द्वारा किया गया आतंकवादी हमला जिसमें अमेरिकी नागरिकों सहित 160 से अधिक लोग मारे गए थे।

फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन का उपाध्यक्ष था महमूद

महमूद लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रतिबंधित संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) का पाकिस्तानीउपाध्यक्ष था। अमेरिकी वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, महमूद पाकिस्तान के कराची में साल 2007 से ही आतंकी संगठन लश्कर का वरिष्ठ सदस्य रहा है। महमूद ने फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) के उपाध्यक्ष के तौर पर साल 2014 से 2015 तक काम किया था। ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा की मानवीय और धन उगाहने वाली शाखा है।

लश्कर के विदेशी ऑपरेशन का हिस्सा था महमूद

वेबसाइट के मुताबिक महमूद 2014 में कराची स्थित एफआईएफ के नेता थे। इसके पहले अगस्त 2013 में महमूद की पहचान लश्कर-ए-तैयबा की प्रकाशन शाखा के सदस्य के तौर पर हुई थी। अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने आगे बताया, “महमूद पहले साजिद मीर के नेतृत्व वाली लश्कर-ए-तैयबा की विदेशी ऑपरेशन टीम का हिस्सा था… इसके अलावा अगस्त 2013 में महमूद को बांग्लादेश और बर्मा में इस्लामिक संगठनों के साथ गुप्त संबंध बनाने का निर्देश दिया गया था और 2011 के अंत तक महमूद ने दावा किया कि लश्कर-ए-तैयबा की सबसे पहला अभियान भारत और अमेरिका पर हमला होना चाहिए।”