दक्षेस शिखर सम्मेलन से अपना हाथ खींच लेने वाले भूटान ने ऐसा समझा जाता है कि अपना फैसले के पीछे की वजह के तौर पर उड़ी आतंकवादी हमले के मद्देनजर ‘दूषित’ माहौल और भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए अपने समर्थन का हवाला दिया है। भारत के साथ एकजुटता का इजहार करते हुए भूटान ने दक्षेस के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल से कहा है कि ‘माहौल दूषित हो गया है और मौजूदा हालात में दक्षेस शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए उपयुक्त माहौल नहीं है।’ ऐसा समझा जाता है कि थिंपू ने नेपाल से कहा है कि हम बिगड़ती शांति के बारे में बांग्लादेश, भारत, अफगानिस्तान की चिंताओं को भी साझा करते हैं। हमने यह भी कहा है कि जहां तक भारत के राष्ट्रीय हित का सवाल है तो हम बिल्कुल स्पष्ट हैं कि हम भारत का जहां राष्ट्रीय हित रहेगा, उसका समर्थन करेंगे।

बताते चलें कि भूटान ने 2003 में उल्फा, कामतापुर लिबरेशन आॅर्गनाइजेशन (केएलओ) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सैन्य शिविरों को ध्वस्त किया था। ये सभी भारत के सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदेह थे। सूत्रों ने बताया कि भूटान ने कहा है कि पाकिस्तान से उपज रहा आतंकवाद दक्षिण एशिया के लिए चिंता का विषय है और भूटान में भी शांति और स्थिरता को प्रभावित करता है। दक्षेस शिखर सम्म्मेलन नवंबर में इस्लामाबाद में होने वाला था। लेकिन जम्मू कश्मीर के उड़ी में भारतीय सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद भारत, बांग्लादेश और भूटान समेत समूह के पांच सदस्य देशों के उसमें हिस्सा लेने के खिलाफ फैसला करने से उसे स्थगित करना पड़ा था। उड़ी हमले में 19 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।

सूत्रों ने बताया कि चीन-भूटान सीमा पर भूटानी चौकियों पर अक्सर चीन की तरफ से मौसमी घुसपैठ देखने को मिलती है, हालांकि यह देश ‘एक-चीन की नीति’ का समर्थन करता है। इस तरह की घुसपैठ के बाद नई दिल्ली में भूटानी दूतावास अपना विरोध दर्ज कराता है। भूटान उन देशों में से एक है, जिसके साथ चीन का अब भी क्षेत्रीय विवाद है। बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल मोटर वाहन समझौते पर सूत्रों ने बताया कि भूटान की सरकार संसद से इसका अनुमोदन कराने के लिए काम कर रही है। यद्यपि भूटानी संसद के निचले सदन ने यात्री, निजी व कार्गो वाहनों के यातायात के नियमन के लिए समझौते का अनुमोदन करने पर सहमति दे दी है, लेकिन उच्च सदन ने विभिन्न चिंताएं जताई हैं। सूत्रों ने कहा कि भूटान की सरकार उच्च सदन में उठाई गई चिंताओं का निराकरण करने का प्रयास कर रही है ताकि समझौते का यथाशीघ्र अनुमोदन किया जा सके।