जर्मनी की सेना ने कहा कि सोमवार को काबुल हवाईअड्डे के उत्तरी द्वार पर अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों और अज्ञात हमलावरों के बीच गोलीबारी हुई है जिसमें एक अफगान सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई। सेना ने ट्वीट करके बताया कि सोमवार को तड़के हुई इस मुठभेड़ में अफगानिस्तान के एक सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई है जबकि तीन अन्य घायल हो गए हैं। उसने बताया कि इस संघर्ष में अमेरिका और जर्मनी के बल भी शामिल हो गए, जर्मनी का कोई सैनिक घायल नहीं हुआ है।

अभी इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि हमलावर कौन थे। काबुल हवाईअड्डे के बाहरी क्षेत्रों में तैनात तालिबान ने अब तक यहां नाटो या अफगान जवानों पर गोलीबारी नहीं की है। रविवार को काबुल हवाईअड्डे में घुसने का प्रयास कर रही भीड़ में से कम से कम सात लोगों की अफरा-तफरी के दौरान मौत हो गई थी। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद हजारों लोग उसके शासन से बचकर भागने की कोशिश में हैं।

इसी बीच, काबुल से 120 किमी दूर उत्तर में बगलान प्रांत में स्वयं को ‘जन विद्रोह’ से जुड़ा बताने वाले लड़ाकों ने हिंदुकुश में अंदराब घाटी में तीन जिलों पर कब्जा करने का दावा किया। अन्य पंजशीर प्रांत में जमा हुए जो अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से इकलौता ऐसा प्रांत है जहां तालिबान कब्जा नहीं कर सका है।

तालिबान के प्रवक्ता जबील्ला मुजाहिद ने कहा कि उन्होंने पंजशीर प्रांत को घेरना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति रहे अमरूल्ला सालेह ने ट्विटर पर लिखा कि तालिबान लड़ाके प्रांत के आसपास एकत्रित हो गए हैं। मुजाहिद ने कहा कि तालिबान की योजना पंजशीर के लोगों से बात करने की है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक तो वहां लड़ाई नहीं हो रही। हम पंजशीर के लिए शांतिपूर्ण समाधान खोजना चाहते हैं।’’

146 भारतीय दोहा से भारत लौटे; 120 कजाखस्तान पहुंचेः अफगानिस्तान से निकाले गए भारत के 146 भारतीय नागरिक कतर की राजधानी से चार अलग-अलग विमानों के जरिये सोमवार को भारत पहुंचे। इन नागरिकों को अमेरिका और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विमान के जरिए पिछले कुछ दिन में काबुल से दोहा ले जाया गया था। इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने अफगानिस्तान के काबुल से 120 लोगों को कजाखस्तान के अल्माटी पहुंचाया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बताया कि बीते हफ्ते में यह इस तरह की दूसरी उड़ान थी।

अफगानिस्तान से बलों की वापसी का फैसला ठीक था- बाइडनः अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां पैदा हुए संकट के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने युद्धग्रस्त देश से अपने बलों की वापसी के कदम को सही ठहराते हुए कहा कि इतिहास में यह कदम ‘‘तार्किक और उचित निर्णय’’ के रूप के दर्ज किया जाएगा। अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के फैसले के कारण बाइडन प्रशासन की आलोचना हो रही है, क्योंकि बलों के लौटने के कारण तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है, जिसके कारण देश में अराजकता फैल गई है।

तालिबान के कब्जे में PAK गुप्तचर सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी’: यूएस के एक शीर्ष रिपब्लिकन सांसद स्टीव चाबोट ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान और उसकी गुप्तचर सेवा ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद को उस संगठन की जीत का जश्न मनाते देखना बेहद घृणित करने वाला है, जो अफगानिस्तान के लोगों के लिए ‘‘अनकही क्रूरता’’ लाएगा। ‘इंडिया कॉकस’ के सह-अध्यक्ष चाबोट ने ‘हिंदू पॉलिटिकल एक्शन कमेटी’ के रविवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम में भारत के अफगानिस्तान के उन धार्मिक अल्पसंख्यकों का स्वागत करने के कदम की सराहना की, जिनके पास तालिबान के शासन से डरने के उचित कारण हैं।

गुरुद्वारे में फंसे 260 से अधिक सिख, मदद चाहिए- यूनाइटेड सिखः अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में कारते परवन गुरुद्वारे में सिख समुदाय के 260 से अधिक लोगों ने शरण ली है और वे तनावग्रस्त देश से निकलने के लिए मदद चाहते हैं। एक अमेरिकी सिख संगठन ने रविवार को यह कहा। यूएस के एक सिख संगठन ‘यूनाइटेड सिख’ ने एक बयान में कहा, ‘‘काबुल के कारते परवन गुरुद्वारे में महिलाओं और 50 से अधिक बच्चों सहित 260 से अधिक अफगान नागरिक हैं। इनमें तीन नवजात भी शामिल हैं, जिनमें से एक का जन्म कल ही हुआ है।’’