आज के समय में बॉडी बनाना एक ट्रेंड सा बन गया है। अधिकतर युवा मस्कुलर बॉडी बनाने की चाह में जिम में घंटों पसीना बहा रहे हैं। बॉडी बनाने के लिए हैवी इक्विपमेंट्स उठाते हैं, हैवी एक्सरसाइज करते हैं और कुछ लोग जल्दी बॉडी बनाने की चाह में स्टेरॉयड और प्रोटीन पाउडर तक का भी सेवन करते हैं। हालांकि, स्टेरॉयड और प्रोटीन पाउडर के सेवन से बॉडी तो बन जाती है, लेकिन शरीर फिट और हेल्दी नहीं बन पाता। दरअसल, स्टेरॉयड और प्रोटीन पाउडर अत्यधिक सेवन से जिम जाने वाले युवाओं में एवैस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) बीमारी बढ़ रही है।
कम उम्र में हो रही कूल्हे की हड्डी की प्रॉब्लम
आर्थोपेडिक विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में जिम जाने वाले युवाओं की बढ़ती संख्या स्टेरॉयड और अनियमित प्रोटीन सप्लीमेंट के दुरुपयोग के कारण गंभीर कूल्हे की समस्याओं से पीड़ित है। दिल्ली हिप 360 सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष और मैक्स अस्पताल के वरिष्ठ निदेशक डॉ. एल. तोमर ने कहा कि आजकल के समय में युवाओं में हिप से समस्या अधिक हो रही है। उन्होंने कहा कि हर हफ्ते मेरी ओपीडी में मैं 30 वर्ष से कम आयु के 2-3 रोगियों को देखता हूं, जिनमें से कई 20 साल के करीब हैं, जो लगातार कूल्हे के दर्द की शिकायत से परेशान हैं। जांच में अक्सर एवैस्कुलर नेक्रोसिस का पता चलता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें कूल्हे की हड्डी में रक्त की आपूर्ति बाधित होती है, जिससे हड्डी मर जाती है। इनमें से 70% से ज्यादा मामलों में एनाबॉलिक स्टेरॉयड के इस्तेमाल या असत्यापित प्रोटीन पाउडर के अत्यधिक सेवन का इतिहास होता है।
मेडिकल अध्ययनों से पता चलता है कि युवा वयस्कों में एवीएन के लिए शराब और स्टेरॉयड का उपयोग दो मुख्य कारण हैं। डॉक्टरों ने कहा कि फीमरल हेड, जांघ की हड्डी का ऊपरी हिस्सा जो कूल्हे के सॉकेट में फिट होता है। स्टेरॉयड के दुरुपयोग के कारण खराब ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और हड्डी कमजोर होने लगती है।
भारत में मांसपेशियों के निर्माण के लिए सप्लीमेंट्स का एक बड़ा अनियमित बाजार है, जिसे अक्सर जिम और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह युवाओं को बिना चिकित्सकीय देखरेख के त्वरित फिटनेस परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जिससे उनकी हड्डियों के साथ-साथ स्वास्थ्य को खतरा हो रहा है।
वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. राजीव जैन ने कहा कि जब इसका दुरुपयोग किया जाता है या बिना देखरेख के सेवन किया जाता है, तो यह हड्डियों में रक्त की आपूर्ति को सीधे प्रभावित करता है। इसकी शुरुआत (एवीएन) दर्द, अकड़न और लंगड़ाहट से होती है और कई मामलों में कूल्हे के जोड़ के पूरी तरह से ढह जाने की वजह बनती है। हिप रिप्लेसमेंट उन रोगियों के लिए जरूरी है, जिनकी स्थिति का इलाज दवाओं से किया जा सकता है।
एवीएन नामक यह स्थिति न केवल दर्दनाक है, बल्कि अगर इसका समय रहते निदान न किया जाए तो यह अक्सर अपरिवर्तनीय भी हो सकती है। हालांकि, गंभीर मामलों में इसका एकमात्र उपचार हिप रिप्लेसमेंट है, जो आमतौर पर वृद्ध रोगियों के लिए एक जटिल प्रक्रिया है।
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