Air Pollution Impacts For Health: जैसे-जैसे मौसम ठंडा हो रहा है वैसे-वैसे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक होता जा रहा है। वायु प्रदूषण का प्रभाव फेफड़ों और हार्ट पर अधिक होता है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपने अध्ययन में प्रदूषण को हृदय रोगों का सबसे बड़ा ट्रिगर पाया। इनमें दिल के दौरे, स्ट्रोक और दिल की एक्टिविटी तक शामिल हैं।

क्या होता है पीएम 2.5 और कैसे पहुंचता है नुकसान

दरअसल, पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5) वायु प्रदूषण में मौजूद बहुत ही छोटे-छोटे कण होते हैं, जो आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर लेते हैं और हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इन कणों का साइज 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है। यह रक्त वाहिका यानी नसों में सूजन का कारण बनता है और नसों को कमजोर कर देते हैं। ऐसे में नसों के टूटने का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। पीएम 2.5 हृदय में असामान्य कैल्शियम के स्तर को भी जन्म दे सकता है, जो दिल की धड़कन में दखल कर सकता है और अचानक कार्डियक अरेस्ट को ट्रिगर कर सकता है। इसके अलावा ये कण रक्तचाप (BP) भी बढ़ा सकते हैं।

लंबे समय तक PM2.5 के संपर्क में रहने से रक्त वाहिकाओं का मोटा होना और फुफ्फुसीय ऑक्सीडेटिव तनाव या फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके चलते दिल या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ितों की समय से पहले मौत के जोखिम बढ़ जाते हैं। इस साल की शुरुआत में हार्वर्ड के एक अध्ययन में पीएम 2.5 से सभी हृदय स्थितियों, विशेष रूप से इस्केमिक हृदय रोग, सेरेब्रोवास्कुलर रोग और हार्ट फेलियर से अधिक लोगों प्रभावित हुए।

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) और एम्स के एक अध्ययन के अनुसार, पीएम 2.5 के लंबे समय तक संपर्क में रहने से कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) या खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स दोनों बढ़ सकते हैं। यह रक्त को गाढ़ा कर सकता है, जिससे हृदय के लिए इसे पंप करना मुश्किल हो जाता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।

PM10 कणों के बारे में क्या?

ये इतने छोटे होते हैं कि ये फेफड़ों में गहराई तक घुस सकते हैं और गैस की तरह काम कर सकते हैं। मौजूदा दिल या फेफड़ों की समस्या से पीड़ित लोगों को घरघराहट, सीने में जकड़न या सांस लेने में कठिनाई की दिक्कत होने लगती है। पीएम 10 फाइब्रिनोलिसिस को बाधित कर सकता है, जो रक्त के थक्कों को अवरोधक और वासोडिलेशन बनने से रोकती है। वायु प्रदूषण का प्रभाव युवा, बूढ़े और मौजूदा चिकित्सा स्थितियों वाले लोगों पर अधिक पड़ सकता है। ऐसे में वायु प्रदूषण से बचने के लिए बाहर जाते समय मास्क लगाएं, केवल प्यूरीफायर वाले जिम में एक्सरसाइज करें, साफ-सुथरा खाएं, हाइड्रेट करें और स्मॉग के हटने तक घर के अंदर ही रहें।