पानी पीना सेहत के लिए बेहद जरूरी है, यह बात हर कोई जानता है। कई तरह की बीमारियों से बचने के लिए हमें अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है। पानी पीने से शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है, इससे बॉडी में मौजूद खराब तत्व पसीने और पेशाब के जरिए बाहर निकल जाते हैं, साथ ही शरीर के भीतर होने वाले बहुत से केमिकल रिएक्शन भी बिना पानी के नहीं हो सकते हैं। ऐसे में किसी भी व्यक्ति की बॉडी में सही मात्रा में पानी का होना बेहद जरूरी हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिक मात्रा में पानी का सेवन खतरनाक साबित भी हो सकता है? हाल ही में इसका एक उदाहरण देखने को मिला है।

पानी पीने से गई महिला की जान

जी हां, इस बात पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन हाल ही में इंडियाना से एक महिला के अधिक पानी पीने से मौत का मामला सामने आया है। ऐश्ले समर्स नाम की ये महिला अपने पति और दो बच्चों के साथ 2 दिन के वीकेंड ट्रिप पर बाहर गई थीं, जहां दूसरे दिन अचानक उनकी तबीयत कुछ खराब होने लगी। शुरुआत में ऐश्ले को डिहाईड्रेशन की समस्या होने लगी, उन्हें सिर में हल्का दर्द और उल्टी जैसा महसूस हुआ जिसे कम करने और बॉडी को हाइड्रेट करने के लिए उन्होंने कुछ ही मिनटों में लगभग 2 लीटर पानी पी लिया।

बताया जा रहा है कि डिहाईड्रेशन की परेशानी को दूर करने के लिए ऐश्ले ने सिर्फ 20 मिनट के अंदर ही 4 बोतल पानी पी लिया था। आमतौर पर इतनी मात्रा में पानी पीने के लिए व्यक्ति को पूरे दिन का समय लगता है, यही वजह रही कि महिला की तबीयत सुधरने के बजाय और बिगड़ती चली गई। चौथी बोतल पानी की खत्म करते ही ऐश्ले अचानक से जमीन पर गिर पड़ी, जिसके बाद आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। यहां लगातार खराब होती हालत को देख डॉक्टर्स ने ऐश्ले को ICU में भी भर्ती किया, लेकिन बचा नहीं सके। वॉटर टॉक्सिसिटी के कारण 35 साल की उम्र में ऐश्ले ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

क्या है वॉटर टॉक्सिसिटी?

कम समय में जरूरत से बहुत अधिक पानी पी लेना या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते किडनी में अधिक पानी जमा हो जाने की स्थिति को वॉटर टॉक्सिसिटी, वाटर इनटॉक्सिकेशन या वाटर पॉइजनिंग कहा जाता है। इस तरह की स्थिति में ओवरहाइड्रेशन के कारण ब्लड में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मस्तिष्क के कार्यों पर बुरा असर पड़ सकता है। बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करने से इसमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स खून में डाइल्यूट हो जाते हैं।

क्या हैं लक्षण?

वहीं, बात अगर इसके लक्षणों की करें, तो इसमें उल्टी-मलती आना, सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, थकान, उनींदापन, डबल विजन, हाई ब्लड प्रेशर, भ्रम की स्थिति या सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा वॉटर टॉक्सिटी के गंभीर मामलों में सेंट्रल नर्वस डिसफंक्शन, कोमा, दौरा, ब्रेन डैमेज जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई बार समस्या इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति को जान तक से हाथ धोना पड़ता है।

क्या है बचाव का तरीका?

बता दें कि वॉटर टॉक्सिसिटी के मामले अधिकतर गर्मी के मौसम में देखने को मिलते हैं। इस मौसम में लोगों को जल्दी-जल्दी और अधिक प्यास लगती है। ऐसे में वे जरूरत से ज्यादा पानी का सेवन कर लेते हैं। हालांकि, 1945 में अमरीका के फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड ऑफ नेशनल रिसर्च काउंसिल ने एक रिसर्च के आधार पर बताया था कि वयस्कों को हर एक कैलोरी को पचाने के लिए एक मिलीलीटर पानी पीना चाहिए। यानी अगर आप 3 हजार कैलोरी ले रहे हैं, तो आपको कुल तीन लीटर पानी पीना चाहिए। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि ये केवल सादा पानी ही नहीं, बल्कि इसमें फलों, सब्जियों या अन्य पेय पदार्थं से मिलने वाला पानी भी शामिल है। ऐसे में जरूरत से ज्यादा पानी पीने से बचें।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।