What Increase Uterine Fibroids: महिलाओं को बढ़ती उम्र, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, खानपान में अनदेखी और फिजिकल एक्टिविटी के चलते कई स्वास्थ्य संबंधी समस्या से गुजरना पड़ता है। गर्भाशय फाइब्रॉएड महिलाओं में होने वाली एक आम बीमारी हो गई है। बच्चेदानी में गांठ होने पर खानपान में परहेज करना बहुत जरूरी है। बच्चेदानी में गांठ होने पर कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। ईएसआई, अस्पताल, दिल्ली, गाइनेकोलॉजिस्ट, डॉ. संघमित्रा से जानिए बच्चेदानी के गांठ के खतरे को कैसे कम किया जा सकता और किन फूड्स के सेवन से बच्चेदानी की गांठ बढ़ने का अधिक खतरा है।

डॉ. संघमित्रा ने बताया कि बच्चेदानी की गांठ, जिसे गर्भाशय फाइब्रॉएड या लियोमायोमस भी कहा जाता है। गर्भाशय की मांसपेशियों में होने वाली गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि है। ये गांठ कई आकार की हो सकती हैं और महिलाओं में कई तरह के लक्षण पैदा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ फूड्स ऐसे होते हैं, जिससे गांठ का साइज तेजी से बढ़ने लगता है। ऐसे में खानपान का खास ध्यान बहुत जरूरी है।

प्रोसेस्ड मीट

प्रोसेस्ड मीट जैस गोमांस, सूअर का मांस जैसे बहुत सारे पशु का मांस खाने से फाइब्रॉएड विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में अगर किसी महिला को गांठ है और वह प्रोसेस्ड मीट का सेवन करती है तो इसके बढ़ने की भी संभावना अधिक हो जाती है। इसके अलावा सॉसेज, बर्गर पैटी, पैकेट वाला चिकन या डीप फ्राइड स्नैक्स जैसे समोसे, फ्रेंच फ्राइज में ट्रांस फैट और प्रिजर्वेटिव्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ये शरीर में एस्ट्रोजन लेवल को असंतुलित करते हैं और शरीर में सूजन पैदा करते हैं। इससे गर्भाशय की मांसपेशियों में गांठ बनने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

हाई फैट डेयरी प्रोडक्ट्स

हाई फैट डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। केक, कुकीज, बिस्कुट, कैंडी, कोल्ड ड्रिंक्स और स्वीटनर युक्त चीजें शरीर में इंसुलिन स्पाइक करती हैं। इनमें एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण इसे फाइब्रॉयड वाले मरीज के लिए सही नहीं माना जाता है। इससे शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है और ओवरी व यूटरस में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। ये फूड्स गांठ को बढ़ावा देते हैं और पीरियड्स को प्रभावित कर सकते हैं।

रिफाइंड अनाज और सफेद आटा

पिज्जा, पास्ता, ब्रेड, बेकरी प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाला मैदा या रिफाइंड अनाज शरीर में सूजन को बढ़ाता है और एस्ट्रोजन को बैलेंस से बाहर कर देता है। ये शरीर में एसिडिक प्रभाव डालते हैं, जिससे यूटरिन टिशू पर बुरा असर होता है। जिसके चलते फाइब्रॉइड्स या एंडोमेट्रियल के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।

शराब या कैफिन

शराब या कैफिन के अधिक सेवन से भी फाइब्रॉयड बढ़ सकता है। दरअसल, शराब और कैफिन बॉडी में एस्ट्रोजन के लेवल के बैलेंस को बिगाड़ने का काम करती है। ये हार्मोन फाइब्रॉयड के बढ़ने के लिए जिम्मेदार होता है।

इसके अलावा हड्डियों की मजबूती के लिए खीरे के बीज का सेवन भी किया जा सकता है। खीरे के बीज ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी हड्डियों की बीमारियों को रोकने के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।