इंटरनेट के आज के जमाने में सोशल मीडिया पर हर कोई अपना एकाउंट बनाकर सक्रिय रहने की कोशिश करता है। इसके बहुत फायदे भी हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर लगातार सक्रियता से लोगों की लाइफस्टाइल पर असर पड़ने लगा है। लोगों का व्यवहार बदल रहा है। लोग हद से ज्यादा समय मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में देने लगे हैं। इससे उनका स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। लोग इंटरनेट एडिक्शन डिसआर्डर (Internet Addiction Disorder), अनिद्रा (insomnia), तनाव (stress) और अवसाद (depression) के शिकार हो रहे हैं। लोगों से मिलना-जुलना कम होने से परिवार भी टूटने लगे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे समाज में गलत बातें तेजी से फैल रही हैं। फेक न्यूज और गलत जानकारियों को शेयर करने पर अंकुश नहीं लगने से अफवाहें हिंसा को बढ़ावा देने लगी हैं।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि वह सोशल मीडिया से दूर होने पर विचार कर रहे हैं। सोमवार रात उन्होंने ट्वीट किया, “इस रविवार सोच रहा हूं कि मैं अपने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब अकाउंट्स को छोड़ दूं। मैं इस बारे में आपको सूचित करूंगा।” प्रधानमंत्री मोदी सोशल मीडिया, खास तौर पर ट्विटर पर सक्रिय रहते है। ट्विटर पर उनके पांच करोड़ 33 लाख फोलोअर्स हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक सोशल मीडिया पर किशोरियों और युवतियों की फोटो देखकर बहुत सी लड़कियां उनकी तरह स्लिम बनने के लिए खाना खाना छोड़ देती हैं। इसके चक्कर में वे खुद बहुत कमजोर हो जाती हैं। बहुत से लोग घंटों सोशल मीडिया पर सर्फिंग करते रहते हैं। इससे उनकी नींद खराब होती है। देर रात तक जागने और सुबह देर से उठने की वजह से उनका स्वास्थ्य का चक्र बिगड़ जाता है। इससे उन्हें बेचैनी, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है। दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर तमाम गैरजरूरी जानकारियां साझा होती हैं। जिसको न चाहते हुए भी पढ़ने से तनाव बढ़ता है। मोबाइल और इंटरनेट यूजर इसकी वजह से डिप्रेशन और टेंशन की जिंदगी जीने लगते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शोशल मीडिया नशे की तरह काम करता है। एक बार लत लग गई तो इससे दूर होना उतना ही कठिन है, जितना नशीला पदार्थ है।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग अपने प्रोफाइल पर लोगों के कमेंट और लाइक्स की वजह से अपनी पहचान बढ़ने और सोशल स्टेटस बनाने की चाह में इसकी लत के शिकार बन रहे हैं। इससे वे नई चीजें सोचने और अपना मानसिक विकास करने की बजाए कुंठा में जीवन बिताते हैं। तमाम खूबियों के बावजूद सोशल मीडिया समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। दिल्ली में हिंसा के पीछे अफवाहों का सबसे ज्यादा असर रहा है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक अफवाहों और फेक न्यूज की वजह से लोग गलत कदम उठाकर समाज में नफरत फैला रहे हैं। इसके चलते हिंसा बढ़ रही है।