अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है। पर्याप्त नींद ना केवल आपके शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। इस बात की जानकारी अधिकतर लोगों को है, हाल ही में हुए एक शोध के नतीजे भी कुछ ऐसा ही बताते हैं। हालांकि, केवल इस बात से अलग रिसर्च के नतीजों में नींद और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक जानकारी भी खुलकर सामने आई, जो किसी भी व्यक्ति को हैरान कर देने के लिए काफी है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, न्यूरोलॉजी जर्नल द्वारा नींद और इससे किसी व्यक्ति पर होने वाले असर को लेकर एक शोध किया गया। वहीं, करीब एक दशक तक चले इस शोध के नतीजों में सामने आया कि अगर कोई व्यक्ति अपनी 30 या 40 साल की उम्र में कम या अधिक बाधित होने वाली नींद ले रहा है, तो 50 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उसकी सोचने और चीजों को याद करने की क्षमता बेहद कम हो सकती है। इतना ही नहीं, कुछ खास मामलों में व्यक्ति की याददाश्त पूरी तरह से खो भी सकती है। जाहिर है केवल 50 साल की उम्र में इस तरह की समस्या आपके काम और मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।

इधर, मामले को लेकर गुरुग्राम पारस हेल्थ में न्यूरोलॉजी की चेयरपर्सन डॉ. एमवी पद्मा श्रीवास्तव बताती हैं, ‘समय के साथ नींद संबंधी विकार अल्जाइमर जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों की संभावना बढ़ा सकते हैं। दरअसल, खराब नींद के कारण मस्तिष्क में बीटा-एमिलॉइड प्रोटीन का स्तर असामान्य हो जाता है, जो बदले में अल्जाइमर की तरह अमाइलॉइड प्लाक का निर्माण करता है।’

किस तरह करता है असर?

डॉ. एमवी पद्मा श्रीवास्तव के मुताबिक, अगर आप 30 या 40 की उम्र में कम नींद या लगातार अपर्याप्त नींद ले रहे हैं, तो इससे 50 साल की उम्र तक पहुंचते-पहंचते आपको चीजों को याद करने, कुछ नया सीखने, किसी काम पर फोकस करने या छोटी चीजों को लेकर भी किसी तरह का फैसला करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, लंबे समय तक बने रहने वाले नींद संबंधी विकारों से अल्जाइमर जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों की संभावना भी बढ़ जाती है। साथ ही इस स्थिति में व्यक्ति को अधिक तनाव, चिंता और एंजाइटी का सामना भी करना पड़ सकता है।

बढ़ जाता है कई गंभीर बीमारियों का खतरा

इन सब के अलावा नींद में कमी उम्र के साथ व्यक्ति को कई गंभीर बीमारियों का शिकार भी बना सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लंबे समय तक अपर्याप्त नींद हाई बीपी और हार्ट से संबंधी समस्याओं के खतरे को बढ़ा सकती है। इसके अलावा डायबिटीज केयर में प्रकाशित 2019 के एक अध्ययन के अनुसार, सोने और जागने के समय में निरंतरता की कमी मोटापे, हाई ब्लड शुगर, हाई कोलेस्ट्रॉल और अन्य मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याओं को बढ़ाने में योगदान कर सकती है। इसके अलावा बीते साल, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने भी अनियमित नींद की आदतों और 45 से अधिक आयु वर्ग के लोगों में एथेरोस्क्लेरोसिस के बढ़ते जोखिम के बीच एक संबंध पाया था।

उम्र के हिसाब से कितने घंटे की नींद है जरूरी

सीडीसी (Centers for Disease Control) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 9 महीने के बच्‍चे के लिए 14 से 17 घंटे, 2 साल के बच्‍चे के लिए 11 से 16 घंटे, 3-5 साल के बच्‍चे के लिए 10 से 13 घंटे, 6-13 साल के बच्‍चे के लिए 9 से 12 घंटे, 14-17 साल के लिए 8 से 10 घंटे, 18 से अधिक उम्र के लोगों के लिए 7 से 9 घंटे की नींद जरूरी है।

वहीं, अगर आपको नींद आने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो सोने से पहले गर्म पानी में नहाना या कोई किताब पढ़ना आपकी मदद कर सकता है। साथ ही सोने से करीब 3 घंटे पहले तक शराब या कैफीन युक्त आहार लेने से बचें। इसके अलावा सोने से पहले फोन चलाने या लैपटॉप स्क्रीन पर अधिक समय बीताने से भी नींद आने में परेशानी हो सकती है, ऐसे में सोने से पहले इनसे दूरी बना लें।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।