हम जिस हवा में सांस ले रहे है वह हमारी संसों में ज़हर घोल रही है। इस ज़हरीली हवा का असर सिर्फ़ हमारे लंग्स और रेस्पिरेट्री सिस्टम पर ही नहीं पड़ता बल्कि यह कई क्रोनिल बीमारियों का भी कारण बनती है। प्रदूषण, विशेष रूप से PM 2.5 या हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों के संपर्क में लंबे समय तक रहने से टाइप 2 डायबिटीज का ख़तरा बढ़ सकता है। सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल और दिल्ली और चेन्नई में एम्स के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पॉल्युशन और डायबिटीज के बीच संबंध पाया गया है। रिसर्च के मुताबिक़ इस पॉल्युशन का भारत में शहरों में रहने वाले लोगों पर सीधा असर पड़ता है।

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण की वजह से 70 लाख लोग मरते हैं जो बहुत बड़ा आंकड़ा है। PM 2.5 के अस्वास्थ्यकर स्तर में सांस लेना पहले से ही दिल के रोग और अस्थमा के ख़तरे को बढ़ाता है। अध्ययन की अगुवाई कर रहे सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल के शोधकर्ता डॉ सिद्धार्थ मंडल बताते हैं कि इस अध्ययन की मुख्य बात यह है कि प्रदूषण को कंट्रोल किया जाए ताकि डायबिटीज और कई गैर-संचारी रोगों के खतरे को कम किया जा सके।

प्रदूषण का शुगर और अन्य बीमारियों से संबंध

  • रिसर्च के मुताबिक लम्बे समय तक PM 2.5 प्रदूषण के स्तर में रहने से ब्लड में शुगर बढ़ने का खतरा बढ़ने लगता है।
  • PM 2.5 प्रदूषण से बॉडी में इंफ्लामेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है जिससे ग्लूकोज इंटॉलरेंस और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
  • प्रदूषण के इस स्तर का असर कोशिकाओं की डिटॉक्स करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है।
  • प्रदूषण का असर हाई ब्लड प्रेशर और दिल से संबंधित बीमारियों को भी बढ़ाता है।
  • रिसर्च के मुताबिक हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में डायबिटीज का खतरा अधिक पाया गया।
  • रिसर्च के मुताबिक प्रदूषण की वजह से लोग 50 साल से कम उम्र में ही डायबिटीज का शिकार हुए हैं।

रिसर्च में कैसे हुआ खुलासा

अध्ययन को प्रमाणित करने के लिए शोधकर्ताओं नें पीएम 2.5 एक्सपोज़र मॉडल तैयार किया। रिसर्च में शामिल प्रत्येक प्रतिभागी के घरों पर रखा और उनके स्वास्थ्य का विश्लेषण किया। 2010-2011 में, जब हमने इन प्रतिभागियों को भर्ती किया तो उनमें से केवल 10-15 प्रतिशत को डायबिटीज था। लेकिन 2014 में जब हमने दोबारा उनका अनुसरण किया, तो उनमें से कुछ को डायबिटीज हो गई थी।

क्या ये PM 2.5

PM यानि पर्टिकुलेट मैटर है। PM 2.5 यह धूल-मिट्‌टी-केमिकल्स के छोटे-छोटे कण हैं, जो हवा में हर वक्त मौजूद रहते हैं और इस हवा में सांस लेकर हम जहर को अपनी बॉडी में एंट्री दे रहे हैं। ये धूल मिट्टी के बारीक कण सांस के जरिए आसानी से हमारी बॉडी में पहुंच जाते हैं। ये हवा के साथ फेफड़ों और फिर हमारे खून में पहुंच जाते हैं। इस जहरीली हवा में सांस लेने से दिल की बीमारियों और कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा भी अधिक रहता है।