डायबिटीज एक क्रॉनिक डिजीज है, जो खराब जीवन शैली, हार्मोन्स के असंतुलन, दिल की बीमारी, स्मोकिंग, फिजिकल एक्टिविटी न करना, मोटापे और खराब खानपान के कारण होती है। बता दें, मधुमेह की बीमारी में पैन्क्रियाज इंसुलिन का उत्पादन बंद कर देता है। यही इंसुलिन हार्मोन खून में मौजूद ग्लूकोज से मिलकर बॉडी को एनर्जी प्रदान करता है। इस बीमारी में ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित रूप से घटता और बढ़ता रहता है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें हाई ब्लड शुगर के मरीजों को हर हफ्ते अपना शुगर लेवल यानी रक्त शर्करा के स्तर को जांचना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि खाना खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल को काबू में रखना आसान नहीं होता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खाने में मौजूद ग्लूकोज जब शरीर में जाकर टूटता है तो इससे सेल्स में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है।
रक्त शर्करा के स्तर की नियमित तौर पर जांच इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जब आपका ब्लड शुगर लेवल अचानक बढ़ रहा होगा तो आप सतर्क हो जाएंगे। यही सतर्कता आपको हार्ट अटैक, मल्टीपल ऑर्गन फेलियर और ब्रेन स्ट्रोक जैसी जानलेवा समस्या से बचाकर रखती है।
खाने के बाद इतना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल-
-एक स्वस्थ व्यक्ति का भोजन करने के बाद शुगर लेवल 90-180mg/dl होता है।
-एक वयस्क व्यक्ति, जो डायबिटीज की बीमारी से पीड़ित है और इंसुलिन लेता है, उसका शुगर लेवल खाने के बाद 180 mg/dl होना चाहिए।
– मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति, जो इंसुलिन नहीं लेता। उसका शुगर लेवल 140 mg/dl होना चाहिए।
-गर्भवती महिला, जो गेस्टेशनल डायबिटीज से ग्रसित है। खाना खाने के एक घंटे बाद उनका ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dl होना चाहिए। और खाने के दो घंटे बाद यह घटकर 120 mg/dl हो जाता है।
अमेरिकन डायबिटीज संस्था की मानें तो खाना खाने के एक से दो घंटे बाद ब्लड शुगर लेवल 180 mg/dl हो तो यह रक्त शर्करा का नॉर्मल स्तर माना जाता है।
इस तरह कर सकते हैं रक्त शर्करा की जांच:
बॉडी में ब्लड शुगर लेवल की मात्रा दो तरीके से जांची जा सकती है। पहले ग्लूकोमीटर और दूसरा ग्लूकोज मॉनिटरिंग। आप खाने के बाद हर रोज भी शुगर की मात्रा जांच सकते हैं।