किडनी हमारे शरीर का एक अहम अंग है जिसका हेल्दी रहना बेहद जरूरी है। किडनी का काम शरीर से हानिकारक टॉक्सिन निकालकर खून को साफ करना है। किडनी ये टॉक्सिन यूरिन के जरिये बाहर निकालती है। किडनी में छोटे-छोटे फिल्टर लगे होते हैं जिन्हें नेफरोंस के नाम से जानते हैं। ये हमारे खून को साफ करने का काम करते हैं। किडनी के दूसरे कामों में लाल रक्त कण का बनना और जरूरी हार्मोंस रिलीज करना है। किडनी के जरिए रिलीज हार्मोन ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करते हैं और विटामिन डी का भी निर्माण करते हैं, जिससे हमारी हड्डियां मजबूत होती है।

बॉडी को हेल्दी रखने के लिए किडनी का हेल्दी होना बेहद जरूरी है। अगर समय रहते लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो परेशानी से बचा जा सकता है। मेटाबॉलिक चिकित्सा संस्थान, पटना से जुड़े रहे डॉ. विजय राघवन के मुताबिक किडनी की बीमारी को ठीक से समझ लिया जाए तो इस परेशानी का समय रहते उपचार किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि आखिर किडनी से जुड़ी कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं और उनके लक्षणों की पहचान कैसे करें।

एक्यूट किडनी फेलियर: किडनी की ये परेशानी अस्थाई होती है जो आमतौर पर इलाज से ठीक हो जाती है। इस बीमारी की वजह से किडनी थोड़े समय तक ठीक से काम करना बंद कर देती है। इस बीमारी की वजह से मरीज को डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत नहीं होती। किडनी की इस बीमारी का मुख्य कारण डायरिया है।

क्रोनिक किडनी फेलियर: किडनी की परेशानी की ये स्थिति गंभीर होती है जिसमें किडनी काम करना बंद कर देती है। ऐसी स्थिति में जिंदा रहने के लिए किडनी का ट्रांसप्लांट कराना जरूरी होता है।

डायाबिटिक नेफ्रोपौथी: डायबिटीज के कारण किडनी की जो परेशानी होती है उसे डायाबिटिक किडनी डिजीज कहते हैं। लम्बे समय से डायबिटीज की बीमारी होने से किडनी ब्लड वेन को नुकसान पहुंचता है। शुरू में इस नुकसान के कारण पेशाब में प्रोटीन की मात्रा दिखाई देती है जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर, शरीर में सूजन जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। इस परेशानी की वजह से किडनी की कार्य क्षमता में लगातार गिरावट होती जाती है और किडनी फेल होने का असार रहता है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज: किडनी सिस्ट पानी के तरल पदार्थ से भरी एक सूजन है जो एक किडनी में या फिर दोनों किडनी में बन सकती है। किडनी सिस्ट गोल होते हैं जिनका आकार सूक्ष्म से लेकर लगभग 5 सेमी तक हो सकता है। ये सिस्ट गंभीर स्थितियों से जुड़े हो सकते हैं। इसके लक्षणों में हाई ब्लड प्रेशर, पीठ या बगल में दर्द और पेट में सूजन दिखाई देना शामिल है।