डायबिटीज एक ऐसा मेटाबॉलिक डिजीज है जिसे सिर्फ डाइट, दवा और बॉडी एक्टिविटी से कंट्रोल किया जा सकता है। डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए डाइट में कार्ब्स का सेवन कंट्रोल करना, प्रोटीन इनटेक बढ़ाना और हेल्दी फैट को शामिल करना जरूरी है। डायबिटीज मरीजों की डाइट ब्लड शुगर कंट्रोल करने में बेहद अहम होती है। अक्सर देखा गया है कि डायबिटीज मरीजों की जिस चीज को खाने से ब्लड शुगर नॉर्मल रहती है वो हर दिन अपनी डाइट में उसी खाने को शामिल करते हैं, लेकिन आप जानते हैं कि रोजाना एक जैसा खाना खाना सेहत के लिए फायदेमंद नहीं बल्कि खतरा है।
अक्सर देखा गया है कि कई सेलिब्रिटी और खिलाड़ी कई महीनों तक सिर्फ एक तरह का भोजन खाते हैं और उसे खाकर बोर भी नहीं होते। एक तरह की डाइट को ही मोनोट्रोफिक डाइट कहा जाता है। एक ही तरह का खाना खाने का खास मकसद पाचन प्रक्रिया को सरल और शरीर का पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित करना है। एक्सपर्ट के मुताबिक एक ही तरह का भोजन खाने से पाचन तंत्र पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता। एक तरह का खाना खाने से ब्लोटिंग, अपच या पाचन से जुड़ी दूसरी परेशानियां नहीं होती।
लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या एक ही तरह का खाना खाने से डायबिटीज मरीजों को भी फायदा होता है। आइए जानते हैं कि मोनोट्रोफिक डाइट का सेवन करने से डायबिटीज मरीजों के शरीर में क्या बदलाव आते हैं और इसका इंसुलिन स्तर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
एक तरह का खाना डायबिटीज मरीजों पर कैसे करता है असर
एस्टर CMI हॉस्पिटल, बेंगलुरु में हेड ऑफ सर्विसेज क्लिनिकल न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स एडविना राज ने बताया कि मोनोट्रोफिक (monotrophic) डाइट का मतलब है एक ही प्रकार का भोजन हर भोजन में लेना या दिनभर उसी प्रकार के भोजन को दोहराना है। इस तरह की डाइट का ब्लड शुगर पर असर इस बात पर निर्भर करता है कि डायबिटीज मरीजों ने अपनी डाइट में किस तरह का भोजन चुना है।
एक्सपर्ट ने बताया अगर डायबिटीज मरीजों ने डाइट में कार्बोहाइड्रेट या हाई शुगर वाले फूड्स जैसे चावल,आलू या मीठे फल को चुना है तो उनका ब्लड शुगर तेजी से बढ़ सकता है। अगर डायबिटीज मरीज डाइट में कम शुगर और हाई फाइबर रिच फूड्स जैसे हरी पत्तेदार सब्ज़ियां या गैर-स्टार्च वाली सब्ज़ियां खाते हैं तो ब्लड शुगर धीरे-धीरे बढ़ता है।
क्या मोनो डाइट डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए सुरक्षित है?
बेनेफिक न्यूट्रिशन फाउंडर और सीईओ,डॉ. यशवंत कुमार ने बताया monotrophic डाइट में लगातार एक ही प्रकार का भोजन खाने से केटोसिस हो सकता है। यह वह मेटाबोलिक स्थिति है जिसमें शरीर ग्लूकोज की जगह फैट को एनर्जी गेन करने के लिए बर्न करता है। मोनो डाइट ब्लड शुगर के साथ एक असंतुलित और जोखिम भरी स्थिति को पैदा कर सकती है। एक्सपर्ट ने बताया ये डाइट या तो शुगर को खतरनाक स्तर तक बढ़ा देती है या बहुत कम कर सकती है।
डॉ. राज के अनुसार, डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए सख्त मोनोत्रोफिक डाइट अपनाना सुरक्षित नहीं है। यह ब्लड शुगर में तेज़ उतार-चढ़ाव, पोषक तत्वों की कमी और ऊर्जा में गिरावट पैदा कर सकती है। डायबिटीज़ मरीजों को प्रोटीन, हेल्दी फैट, फाइबर और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स का मिश्रण चाहिए ताकि शुगर नॉर्मल रहे। सिर्फ एक तरह का भोजन लेना मैनेजमेंट को मुश्किल बना सकता है। अगर कोई डायबिटिक मोनो डाइट अपनाना चाहता है, तो यह केवल डॉक्टर की निगरानी में और शुगर लेवल मॉनिटरिंग के साथ किया जाना चाहिए। संतुलित आहार आम तौर पर लंबे समय के लिए सुरक्षित और प्रभावी है।
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