अगर आपको मीठा खाना पसंद है और आप बार-बार शुगर वाली चीजें खाते हैं, तो यह सिर्फ वजन बढ़ाने या डायबिटीज का खतरा ही नहीं बढ़ाता, बल्कि आंखों की रोशनी पर भी असर डाल सकता है। मीठा ज्यादा खाने से होने वाली एक गंभीर समस्या डायबिटिक रेटिनोपैथी है। यह आंखों के रेटिना यानी आंख की झिल्ली में ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाकर धीरे-धीरे नजर कम कर सकती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह बीमारी सिर्फ डायबिटीज के मरीजों में ही नहीं, बल्कि ज्यादा शुगर खाने वालों में भी धीरे-धीरे विकसित हो सकती है।
क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी?
डायबिटिक रेटिनोपैथी वह स्थिति है, जिसमें ब्लड शुगर का लेवल लंबे समय तक ज्यादा रहने से रेटिना की रक्त वाहिकाएं यानी ब्लड वेसल्स खराब होने लगती हैं। आई स्पेशलिस्ट डॉ. दिग्विजय सिंह के अनुसार, जब खून में मौजूद ग्लूकोज प्रोटीन और फैट से जुड़ता है तो एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स नामक हानिकारक मिश्रण बनते हैं। यही एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स धीरे-धीरे आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाते हैं।
रिसर्च जर्नल एक्सपेरिमेंटल जेरोन्टोलॉजी के अनुसार, शरीर में AGEs की अधिकता डायबिटिक रेटिनोपैथी की गंभीरता को बढ़ाती है। लगातार ज्यादा शुगर या हाई-ग्लाइसेमिक फूड जैसे मिठाइयां, कोल्ड ड्रिंक, डेजर्ट खाने से AGEs बनते हैं, जो आंखों के लिए बेहद खतरनाक हैं। ऐसे में बार-बार मीठा खाने की आदत आंखों में ऐसी केमिकल प्रक्रियाएं बढ़ाती हैं, जो रेटिना को नुकसान पहुंचाती हैं, चाहे आपको डायबिटीज हो या न हो।
आंखों में कैसे होता है नुकसान
एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं। यह स्ट्रेस रेटिना में सूजन लाता है और ब्लड वेसल्स को कमजोर करता है। इसके कारण लीकी ब्लड वेसल्स, असामान्य ब्लड वेसल ग्रोथ और रेटिनल डिटैचमेंट आदि की समस्या हो सकती है। जिससे आंखों को नुकसान हो सकता है।
कैसे करें पहचान
डायबिटिक रेटिनोपैथी की समय पर पहचान से आंखों को बचाया जा सकता है। धुंधला या टेढ़ा-मेढ़ा दिखना, आंखों के सामने तैरते धब्बे दिखना, कम रोशनी में नजर कमजोर होना और अचानक नजर कम होना आदि लक्षण से इसकी पहचान की जा सकती है।
बचाव के आसान उपाय
डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचने के लिए सिर्फ शुगर कम करना ही नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल पर ध्यान देना जरूरी है। एक्सपर्ट के मुताबिक, मीठे और रिफाइंड कार्ब्स की जगह फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल करें। ये ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं। रोज कम से कम 30 मिनट की वॉक या हल्की एक्सरसाइज ब्लड शुगर और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करती है। अगर डायबिटीज है तो शुगर लेवल नियमित जांचें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
वहीं, फिटनेस ट्रेनर नवनीत रामप्रसाद के अनुसार, सिर्फ लंबी वॉक करना 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को मजबूत बनाने के बजाय और भी कमजोर कर सकता है।