Betel Leaves Benefits: पान का पत्ता जो पाइपर बेटल (Piper betle) बेल से मिलता हैं। ये पत्ता काली मिर्च के परिवार से जुड़ा है। दिल के आकार का चमकदार हरे रंग का ये पत्ता पूजा-पाठ, हर्बल उपचारों और पारंपरिक पान के रूप में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता हैं। आयुर्वेद में पान के पत्तों का उपयोग खांसी, सर्दी, ब्रोंकाइटिस, सिरदर्द, संक्रमण और पाचन समस्याओं के उपचार में किया जाता है। मॉडर्न रिसर्च ने इनके एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और सूजन रोधी गुणों की पुष्टि की है, हालांकि अधिकांश अध्ययन अभी प्री-क्लिनिकल स्तर पर हैं।
इंसानों पर और शोध की आवश्यकता है ताकि इनके लाभों को पूरी तरह से समझा जा सके। पान ते पत्ते का सेवन अक्सर लोग सुपारी, चूना और कभी-कभी तंबाकू मिलाकर खाते हैं जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक सिर्फ पान का पत्ता अपने आप में औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
पान के पत्तों का पोषण और जैव सक्रिय तत्व
PMC में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पान का पत्ता अनेक बायोएक्टिव (Bioactive) तत्वों से भरपूर होता हैं, जो उनकी औषधीय क्षमता को बढ़ाते हैं। पॉलीफेनॉल्स और फ्लेवोनॉयड्स से भरपूर ये पत्ता एंटीऑक्सीडेंट और सूजनरोधी (anti-inflammatory) होता है जो बॉडी को फायदा पहुंचाता है। ये पत्ता पाचन के लिए अमृत साबित होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन C और कैरोटीनॉयड की थोड़ी मात्रा होती है, जो इम्यूनिटी और ऊतकों की मरम्मत में मदद करते हैं। इन सभी तत्वों के कॉम्बिनेशन से पान का पत्ता एक प्राकृतिक औषधीय शक्ति का खजाना बन जाता है।
सदगुरु जग्गी वासुदेव ने कहा है कि हर दिन पान का पत्ता चबाएंगे तो शरीर से toxins बाहर निकल जाएंगे और तंत्रिका तंत्र (neurological system) दुरुस्त रहेगा। यह एसिडिटी, गैस और सूजन जैसी समस्याओं में भी मदद करता है और इसमें सांप का ज़हर कम करने की शक्ति भी है। आइए जानते हैं कि पान के पत्ते का सेवन करने से सेहत पर कैसा असर होता है।
शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और सूजन रोधी गुणों से है भरपूर
पान का पत्ता ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता हैं, जो बुढ़ापे और कई बीमारियों का मुख्य कारण है। इनके सूजनरोधी गुण सूजन, दर्द और जलन को कम करते हैं, जिससे गठिया या संक्रमण जैसी स्थितियों में राहत मिल सकती है। ये पत्ता हड्डियों के दर्द का इलाज करता है।
दांतों और मुंह की सेहत रहती है दुरुस्त
खाने के बाद पान का पत्ता चबाने से ओरल हेल्थ दुरुस्त रहती है। ये पत्ता मुंह को तरोताजा रखता है और बैक्टीरिया को कंट्रोल करता है। इनमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण मुंह की बदबू, मसूड़ों की सूजन और दांतों की सड़न को कंट्रोल करते हैं।
पाचन तंत्र होता है मजबूत
पान का पत्ता लार के स्राव को बढ़ाता है, जिससे भोजन का पाचन बेहतर होता है। ये पत्ता पेट की गैस, अपच और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देता है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि पान का रस पेट की लेयर की हिफाजत करता है और पेट में अल्सर को बनने से रोकता है।
ब्लड शुगर और मेटाबोलिक होता है दुरुस्त
कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि पान का पत्ता ब्लड शुगर के स्तर को भी कंट्रोल करता है। पान के पत्तों में मौजूद तत्व इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ावा देते हैं। इनके एंटीऑक्सीडेंट गुण मेटाबोलिक हेल्थ में सुधार करते हैं जिससे डायबिटीज़ और उससे जुड़ी जटिलताओं का खतरा कम होता है।
लिवर, दिल और दिमाग रहता है हेल्दी
पान का पत्ता डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता हैं और ऑक्सीडेटिव डैमेज से हिफाजत करता है। ये कोलेस्ट्रॉल और लिपिड लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। इनके एंटीऑक्सीडेंट गुण मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं और संज्ञानात्मक कार्यों को बेहतर बनाते हैं।
एंटीमाइक्रोबियल और घाव भरने के गुण
पान के पत्तों में मजबूत एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। पारंपरिक रूप से इनमें घाव, जलन या कीट के काटने पर लगाने से तेजी से घाव भरने और संक्रमण कम करने में मदद मिलती है।
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