आंख फड़कना एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि, हमारे देश के कई हिस्सों में आज भी इसे शगुन-अपशगुन से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की दाईं आंख फड़क रही है, तो कोई अच्छी खबर जल्द ही उसके दरवाजे पर दस्तक देने वाली है। जबकि बाईं आंख फड़कने को अशुभ संकेत माना जाता है। इसी कड़ी में लोग बाईं आंख फड़कने पर चिंता में डूब जाते हैं, तो दाईं आंख के साथ ऐसा होने पर खुशी से फूले नहीं समाते हैं। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं और आंख फड़कने को लेकर ऐसी ही सोच रखते हैं, तो बता दें कि जाने-अनजाने में आप अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आंखों के फड़कने के पीछे शगुन-अपशगुन नहीं, बल्कि कई घातक बीमारियों के वॉर्निंग साइन हो सकते हैं। इतना ही नहीं, अगर लंबे समय तक इन संकेतों को नजरअंदाज किया जाए, तो ये आपको गांभीर नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
क्यों फड़कती हैं आंखें?
मेडिकल की भाषा में आंखों के फड़कने को तीन अलग-अलग फेज में बांटा गया है। पहला मायोकेमिया, दूसरा ब्लेफेरोस्पाज्म और तीसरा हेमीफेशियल स्पाज्म। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से-
मायोकेमिया
इस फेज में आंखों का फड़कना नॉर्मल माना जाता है। कई बार पलक की मांसपेशियों में ऐंठन के चलते इस तरह की समस्या होने लगती है। ऐसा होने का असर ज्यादातर ऊपरी पलक पर देखने को मिलता है। पलक की मांसपेशियों में ऐंठन होने पर आपकी आंख कुछ मिनट, घंटे या 1 से दो दिन तक फड़कती है और फिर खुद ही ठीक भी हो जाती है। इससे अलग कई बार किसी तरह की स्ट्रेस लेने, आंखों की थकान, कैफीन के ज्यादा सेवन करने, नींद की कमी या फिर लंबे वक्त तक मोबाइल या कंप्यूटर के सामने बैठे रहने पर भी ऐसा हो सकता है। इन स्थितियों में कुछ समय के लिए आंख फड़कती है और फिर खुदबखुद ठीक हो जाती है।
ब्लेफेरोस्पाज्म
ब्लेफेरोस्पाज्म बेहद गंभीर मेडिकल कंडीशन्स में से एक है। इससे पीड़ित होने पर शुरुआत में आंख फड़कती है और फिर धीरे-धीरे आंखों पर भारीपन महसूस होने लगता है। इसके कुछ समय बाद पलकों के ऊपरी या निचले हिस्से पर ऐंठन तेज होती चली जाती है, फिर पलकें झपकाते हुए तेज दर्द का अहसास होने लगता है। इतना ही नहीं, कई बार तो आंखों को खोलना भी मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही आंखों में सूजन बनी रहती है और धीरे-धीरे चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं।
हेमीफेशियल स्पाज्म
हेमीफेशियल स्पाज्म भी आंखों के फड़कने को लेकर गंभीर स्थिति है। इसके लक्षण शुरुआत में तो आम लगते हैं लेकिन फिर धीरे-धीरे मामला गंभीर होता चला जाता है। हेमीफेशियल स्पाज्म होने पर चेहरे का आधा हिस्सा सिकुड़ जाता है जिसका असर आंख पर भी नजर आता है। साथ ही ऐसा होने पर गाल और मुंह की मसल्स भी फड़कने लगती हैं। यह आमतौर पर चेहरे की नसों के सिकुड़ने की वजह से होता है।
कब कराएं जांच?
ऊपर दिए गए कारणों से अलग ब्रेन या नर्व डिसॉर्डर के चलते भी इंसान की आंख फड़क सकती है। वहीं, हेल्थ एक्सपर्ट्स बतातें हैं कि अगर आपकी आंखें लगातर कई दिनों से फड़क रही हैं, साथ ही पलकों या आंखों को खोलने में हल्की ऐंठन का सामना कर रहा है या फिर आंखों के फड़कने के साथ हल्के दर्द का अहसास हो रहा है, तो बिना अधिक देरी किए जल्द से जल्द आंखों की जांच करा लें।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।
