खराब खानपान और वर्क प्रेशर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। यही वजह है कि डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां बुजुर्गों के साथ युवाओं के बीच भी तेजी से फैलती जा रही है। कई बार हम इन बीमारियों को नज़रअंदाज भी कर देते हैं। जिसकी वजह से दिल से संबंधित कई अन्य गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। इन्हें नजरअंदाज करने का नतीजा हार्ट अटैक, कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट फेल्योर तक भी हो सकता है। जाने-माने कंसलटेंट फिजिशियन डॉ अमरेंद्र झा ने इसको लेकर कई जानकारी दी हैं। आइए जानते हैं कि इन तीनों बीमारियों में क्या अंतर होता है और इसका इलाज कैसे संभव है-
डॉ अमरेंद्र झा बताते हैं दिल की नसें अगर ब्लॉक हो जाती हैं जिसकी वजह से दिल की मांसपेशियों को खून नहीं पहुंच पाता है तो उसे हार्ट अटैक कहा जाता है।किसी भी कारण से अगर दिल का पूरी तरह काम करना बंद हो जाता है तो उसे कार्डिएक अरेस्ट कहा जाता है। दिल को जितनी अच्छी तरह से पंप करना चाहिए अगर वो उस क्षमता से पंप नहीं कर पाता है तो उसे हार्ट फेल्योर कहते हैं।
कारण और इलाज: डायबिटीज के मरीजों को हार्ट फेल्योर होता है। इसके अलावा मोटापा भी हार्ट फेल्योर का कारण होता है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों में ही हार्ट फेल्योर होता है। इसका इलाज 80 प्रतिशत तक दवाईयों से ही किया जाता है। दवाईयों में Diuretics अहम होती है, क्योंकि शरीर में पानी जमा होने लगता है तो इसके लिए इस दवाई का प्रयोग कॉमन होता है। अगर दवाई देने के बाद भी कोई खास असर नहीं होता है तो सर्जिकल ट्रीटमेंट दिया जाता है।
Cardiac Resynchronization Therapy (CRT) हमारे एट्रियम और वेंट्रियम के बीच जो कॉर्डिनेशन खराब हो चुका होता है तो उसे कॉर्डिनेट करने के लिए इस डिवाइस को लगाया जाता है। इससे भी आराम नहीं मिलता है तो Left Ventricular Assist Device (LVAD) लगाई जाती है जो एक कृत्रिम डिवाइस होती है। इससे हार्ट के एक भाग को पंप किया जाता है। ये बैटरी ऑपरेटेड होता है। कई तरह के इलाज के बाद भी अगर कोई आराम नहीं मिलता है तो हार्ट ट्रांसप्लांट ही एक उपाय बचता है।
