डायबिटीज दो तरह की होती है एक टाइप-1 डायबिटीज तो दूसरी टाइप-2 डायबिटीज। Type 1 Diabetes जेनेटिक होती है जिसे इंसुलिन का इंजेक्शन देकर कंट्रोल किया जाता है जबकि Type 2 Diabetes खराब डाइट,बिगड़ते लाइफस्टाइल और तनाव की वजह से पनपने वाली बीमारी है जो कभी भी किसी को हो सकती है। टाइप-1 डायबिटीज के लिए फैमिली हिस्ट्री बेहद मायने रखती है। टाइप-1 डायबिटीज में पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है, इंसुलिन की कमी की वजह से ब्लड में शुगर का स्तर हाई रहता है।
डायबिटीज को लाइफस्टाइल और खानपान के जरिए सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है इसे रिवर्स करना मुश्किल काम है। हाल ही में चीनी वैज्ञानिकों ने एक इतिहास रचा है। वैज्ञानिकों ने चीन की एक महिला की टाइप-1 डायबिटीज को रिवर्स करके दुनिया में एक नया इतिहास रचा है। टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित महिला की डायबिटीज को रिवर्स करने के लिए वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट की मदद ली है। आइए जानते हैं कि ये थेरेपी क्या है जिसकी मदद से टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित महिला की डायबिटीज रिवर्स हो गई।
क्या होता है स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट
तियानजिन फर्स्ट सेंट्रल हॉस्पिटल’ और ‘पेकिंग यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ताओं की टीम ने इस इतिहास को रचा है। पब्लिक हेल्थ इंटलेक्चुअल डॉ. जगदीश हीरेमथ बताते हैं कि चीनी वैज्ञानिकों ने रसायनिक रूप से तैयार प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल (pluripotent stem cells) का उपयोग करके टाइप 1 डायबिटीज के मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया है।
टाइप-1 डायबिटीज तब होती है जब इम्यून सिस्टम, इंसुलिन प्रोड्यूसिंग बीटा कोशिकाओं पर हमला करता है जिसकी वजह से इंसुलिन का उत्पादन कम होता है और बॉडी में इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए उसका इंजेक्शन लगाना पड़ता है। शोधकर्ताओं नें डायबिटीज को रिवर्स करने के लिए रोगी की अपनी कोशिकाओं में CiPSCs विकसित किया और उसे बीटा कोशिकाएं बनने के लिए रासायनिक रूप से रिप्रोग्राम किया। फिर इन रिप्रोग्राम की गई कोशिकाओं को रोगी के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया जहां रोगी के शरीर में ही खुद ही इंसुलिन का उत्पादन शुरू हो गया जिससे प्रभावी तरीके से पैंक्रियाज का फंक्शन रिस्टोर किया गया। समय के साथ ही मरीज के ब्लड में शुगर के स्तर में सुधार नोट किया गया और उसकी इंसुलिन पर निर्भरता काभी कम हो गई।
टाइप-1 डायबिटीज की महिला कैसे हुई डायबिटीज फ्री
चीन के तियानजिन की रहने वाली 25 साल की महिला टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित थी जो अब डायबिटीज जैसी क्रॉनिक बीमारी से मुक्त हो चुकी हैं। 25 साल की इस महिला ने बताया कि वो अब डायबिटीज से मुक्त हो गई है और अब वो चीनी खा सकती हैं। ये महिला सेल्स ट्रांसप्लांट के लगभग ढाई महीने के बाद पूरी तरह से ठीक हो चुकी हैं।