Diabetes Misconception:डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें पैन्क्रियाज इंसुलिन बनाने में असमर्थ हो जाता है या फिर शरीर इंसुलिन के प्रति रिस्पॉन्ड नहीं कर पाता है। बता दें कि अग्नाशय से ये हार्मोन निकलता है जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज को शरीर में ऊर्जा प्रदान करने के लिए इस्तेमाल करता है। मधुमेह बीमारी में रोगियों का ब्लड शुगर हमेशा जरूरत से ज्यादा रहता है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक हाई ब्लड शुगर मरीजों के शरीर में कुछ परेशानियां लाता है। इस कारण मरीजों को ज्यादा भूख और प्यास लगती है। उन्हें बार-बार पेशाब जाने की इच्छा भी हो सकती है। इसके अलावा, थकान, धुंधलापन, पैरों में सूनापन, घाव भरने में अधिक समय और वजन में गिरावट जैसी परेशानियां भी डायबिटीज के मरीजों को हो सकती है।
भारत में भी डायबिटीज के 77 मिलियन मरीज हैं, ऐसे में इससे जुड़ी कई गलत धारणाएं भी समाज में हैं। लेकिन ये लोगों की परेशानी न करके इन्हें बढ़ाती हैं। इसलिए आइए जानते हैं डायबिटीज टाइप 1 और 2 से जुड़े कुछ आम मिथ्य –
अक्सर लोगों को ऐसा लगता है कि जो लोग मीठा खाते हैं, ये बीमारी केवल उन्हें ही हो सकती है। हालांकि, ये पूरी तरह सच नहीं है। डायबिटीज एक क्रॉनिक बीमारी है जो रक्त में शुगर लेवल बढ़ने से होती है। मीठा खाना डायबिटीज की कुछ वजहों में से एक हो सकती है।
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मधुमेह को लेकर लोगों की धारणा ऐसी है कि इस बीमारी को दवाइयों के जरिये दूर किया जा सकता है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बीमारी का पूरी तरह इलाज संभव नहीं है। हालांकि, दवाई, हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट के जरिये इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि केवल मोटे लोग ही डायबिटीज से ग्रस्त होते हैं। बता दें कि मोटापे से ग्रस्त लोगों को मधुमेह का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन पतले लोग भी इसके शिकार हो सकते हैं। एक स्टडी के मुताबिक डायबिटीज के 20 फीसदी मरीजों का वजन सामान्य या कम होता है।
डायबिटीज से जुड़ी एक गलत धारणा ये भी है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को कोई स्पोर्ट्स में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। हालांकि, इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है। खेल से शारीरिक सक्रियता बढ़ती है जिससे लोगों की जीवन शैली बेहतर होती है और शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। स्पोर्ट्स और एक्सरसाइज डायबिटीज रोगी कर सकते हैं।