मां बनना दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास होता है। हालांकि, नई मां के लिए अपने बच्चे की सेहत का ख्याल रखना उतना ही चुनौतीपूर्ण भी होता है। खासकर शुरुआती महीनों में ब्रेस्टफीडिंग यानी स्तनपान से जुड़े कई ऐसे सवाल होते हैं, जिन्हें लेकर ज्यादातर महिलाएं कंफ्यूज रहती हैं। इतना ही नहीं, कई बार ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े मिथकों के चलते मां बच्चे को दूध पिलाने से परहेज करने लगती हैं, जिसका असर फिर शिशु की सेहत पर पड़ता है। इसी कड़ी में हाल ही में ‘बच्चों की डॉक्टर’ के नाम से मशहूर डॉक्टर माधवी भारद्वाज ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट शेयर कर स्तनपान से जुड़े कई ऐसे सवालों के जवाब दिए हैं, जिन्हें लेकर अक्सर न्यू मदर्स परेशान या कंफ्यूज रहती हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में-

सवाल नंबर 1- क्या मां का दूध बासी हो सकता है?

जवाब- वीडियो में इस सवाल को लेकर बात करते हुए डॉ. भारद्वाज कहती हैं, ‘हमारे पास अक्सर बच्चे की मां या दादी आकर कहती हैं कि मां को बुखार है इसलिए उसने बच्चे को एक दिन दूध नहीं पिलाया, अब दूध बासी हो गया होगा इसलिए हम पहले दूध निकालकर फैंक देते हैं और उसके बाद ताजा दूध बच्चे को पिलाते हैं।’ इस तरह की धारणा को लेकर डॉ. बताती हैं, ‘मां का दूध कभी बासी नहीं होता है। ये दूध मां के स्तन के ऊतकों यानी टिशू में होता है, जहां कभी बैक्टीरिया नहीं पहुंच सकते हैं। ऐसे में अगर बच्चा सीधे मां की छाती से दूध पीता है, तो वो दूध बासी नहीं होता है। हां, अगर आप मां की छाती से दूध निकालकर फ्रिज में या बाहर रख देते हैं, तब हवा में मौजूद बैक्टीरिया के चलते ये 7 से 8 घंटों में बासी या खराब हो सकता है लेकिन मां की छाती से निकलने वाला दूध हमेशा शुद्ध और ताजा ही होता है।’

सवाल नंबर 2- क्या बीमारी में दूध पिलाने से बच्चा भी बीमार हो सकता है?

जवाब- डॉ. भारद्वाज के मुताबिक, अगर मां को आम बुखार, खांसी, जुकाम यहां तक की निमोनिया भी है, तो भी वह अपने बच्चे को दूध पिला सकती है और यह पूरी तरह सुरक्षित है। बीमारी के दौरान मां के शरीर से एंटीबॉडी निकलती हैं, जो उनके बच्चों की भी हिफाजत करती हैं। ऐसे में बुखार के समय बच्चे को दूध पिलाना बंद न करें। इससे अलग अगर आप खांसी-जुकाम जैसी परेशानियों से जूझ रही हैं, तो अधिक सुरक्षा के लिए आप मास्क पहन सकती हैं।

मां के केवल एचआईवी या हेपेटाइटिस से संक्रमित होने पर स्तनपान कराने से शिशु को खतरा हो सकता है। इस स्थिति में दूध के जरिए बच्चे तक वायरस पहुंच सकता है और ये बच्चे के लिए खतरनाक भी हो सकता है। इससे अलग अन्य किसी स्थिति जैसे बुखार या अन्य आम बीमारियों में बच्चों को मां का दूध पिलाने में कोई दिक्कत नहीं है।

सवाल नंबर 3- मां के सिर धोने या नहाने के बाद दूध पिलाने से शिशु को ठंड लग सकती है?

जवाब- अक्सर माना जाता है कि अगर मां ने सिर धोया है या मां नहाकर आई है, तो ऐसे में तुरंत बच्चे को दूध पिलाने से बच्चे को ठंड लग सकती है। इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. भारद्वाज कहती हैं, ‘ये धारणा भी पूरी तरह गलत हैं। मां का शरीर भले ही कितना भी ठंडा या गीला क्यों न हो, दूध मां की छाती से आता है, वहीं शरीर के अंदर का तापमान 37 डिग्री होता है। ऐसे में दूध का तापमान बदलता नहीं है यानी इससे बच्चे को ठंड नहीं लग सकती है। ऐसे में नहाने के तुरंत बाद भी बच्चे को दूध पिलाना पूरी तरह सुरक्षित है।’

वहीं, डॉ. भारद्वाज से अलग द ऑरा स्पेशलिटी क्लिनिक, गुड़गांव की निदेशक और मैक्स हॉस्पिटल्स, गुड़गांव की एसोसिएट डायरेक्टर, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु सेठी ने इंडियन एक्सप्रेस संग एक खास बातचीत में ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े कुछ अन्य सवालों के जवाब भी दिए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में-

सवाल नंबर 4- क्या स्तन के दूध का स्वाद मां की डाइट पर निर्भर करता है या क्या मां के तीखा खाने से दूध का स्वाद भी तीखा हो जाता है?

जवाब- डॉ. सेठी के मुताबिक, माना जाता है कि अगर मां कुछ तीखा या मसालेदार खाती है, तो इससे दूध का स्वाद बदल सकता है, जो बच्चे के लिए अच्छा नहीं है। हालांकि, ये बात भी पूरी तरह गलत है। मां के कुछ भी खाने-पीने से दूध के स्वाद पर कोई असर नहीं पड़ता है। हालांकि, हेल्दी डाइट लेने से मां की सेहत पर जरूर असर पड़ सकता है, जो शिशु के लिए भी अच्छा है।

सवाल नंबर 5- दूध पिलाते समय मां को स्तन बदलते रहना चाहिए?

जवाब- डॉ. सेठी बताती हैं, दूध पिलाने के लिए दोनों स्तनों का उपयोग करना अच्छा है, लेकिन एक समय में एक स्तन से ही दूध पिलाएं। साथ ही एक स्तन से दूध पिलाना तब तक जारी रखें, जब तक बच्चा स्वाभाविक रूप से रुक न जाए। बच्चे के खुद रुकने पर आप स्तन बदल सकती हैं।

सवाल नंबर 6- क्या फॉर्मूला मिल्क भी स्तन के दूध जितना ही अच्छा है?

जवाब- इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. सेठी कहती हैं, ‘मां के स्तन का दूध बच्चों के पोषण संबंधी सभी जरूरतों को पूरा करता है। ये शिशु को एंटीबॉडी, एंजाइम और पोषक तत्व प्रदान करता है जो उनके विकास और वृद्धि के लिए जरूरी हैं। हालांकि, कुछ स्थितियों में फॉर्मूला मिल्क एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है, लेकिन यह स्तन के दूध जितना अच्छा नहीं है।’

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।