किडनी हमारे शरीर का वो जरूरी अंग होती हैं, जो बॉडी में मौजूद केमिकल,वेस्ट और हमारे शरीर से अतिरिक्त पानी को खत्म करने का काम करती हैं। लेकिन अगर किडनी सही से काम करना बंद करदे तो इसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में मरीज को डायलिसिस करवाना पड़ता है या कई सीरियस केस में किडनी ट्रांसप्लांट भी करानी पड़ सकती है।

इस कारण पड़ता है किडनी पर असर

डॉ एल एच हिरानंदानी हॉस्पिटल के सीईओ डॉ.सुजीत चटर्जी के मिताबिक भारत में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज (Diabetes) बड़ी बीमारियों का मुख्य कारण बन चुके हैं। किडनी की सेहत को ध्यान में रखते हुए इन बीमारियों का इलाज एक दम शुरुआत से होना बेहद जरूरी है। जिन्हें बीपी या डायबिटीज है उन्हें समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहना चाहिए।

डॉक्टर ने कहा कि अलग-अलग उम्र के लोगों को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (पीकेडी) हो सकता है। इस परेशानी से महिलाएं और पुरुष दोनों ही प्रभावित हो सकते हैं। यह दुनिया में 400 से 1000 लोगों में से 1 को ये परेशानी होती है। केवल युवा ही नहीं बल्कि बच्चे भी इस बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं।

क्या होता है पॉलीसिस्टिक किडनी रोग?
पीकेडी एक जेनेटिक समस्या है, जिसमें गुर्दे विभिन्न तरल से भरे सिस्ट को बढ़ावा देते हैं। जिससे पेशाब में खून भी आना शुरू हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति के पेशाब में खून आता है तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराना चाहिए। इस परेशानी को नजरअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है।

डॉ. चटर्जी के अनुसार पीकेडी, किडनी के अलावा अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। पीकेडी वाले व्यक्तियों में लिवर,पैंक्रियाज,ओवरीज और भारी आंत में भी समस्या पैदा हो सकती है। पीकेडी की समस्या ज्यादातर 30 से 40 साल की उम्र वाले लोगों में देखने को मिलती है। अगर आप भी इस उम्र के हैं और आपको भी ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो अनदेखा न करें। यहां जानें किन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना है।

1-पीठ में दर्द
2-पेट का आकार बढ़ना
3-पेशाब में खून आना
4-नब्ज तेज चलना

जो लोग बीपी या ब्लड शुगर की दवाएं खाते हैं उनके गुर्दे पर इसका भारी असर पड़ सकता है। इसलिए जो लोग इन बीमारियों की दवाएं खाते हैं उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है।