केंद्र सरकार 130 साल पुराने अंग्रेजों के समय के जेल कानून ( Prisons Act) को बदलने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने घोषणा की है कि मॉडल प्रीजन्स एक्ट 2023 (Model Prisons Act, 2023) को अंतिम रूप दे दिया गया है। नए एक्ट में जेलों में सुधार से लेकर कैदियों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। मॉडल प्रीजन्स एक्ट 2023 में जेल मैनेजमेंट के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लेकर पैरोल, फर्लो, महिला और ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए तमाम व्यवस्थाएं हैं।
क्यों पड़ी नए एक्ट की जरूरत?
हाल के दिनों में जेलों के अंदर हिंसक घटनाओं की बाढ़ सी गई। पिछले दिनों ही दिल्ली की तिहाड़ जेल में 33 साल के गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की एक दूसरे गैंग के मेंबर्स ने दिन-दहाड़े चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। टिल्लू के मर्डर के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन की खासी किरकिरी हुई थी। जेल में हिंसक घटनाओं और मर्डर जैसे अपराध के बाद 12 मई को आदर्श कारागार अधिनियम 2023 लाने की घोषणा की गई थी।
NIA ने क्या कहा था?
पिछले साल ही नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सुझाव दिया था कि उत्तर भारत की तमाम जेलों में बंद खूंखार अपराधियों को दक्षिण की जेलों में शिफ्ट किया जाए, क्योंकि जेल के अंदर आपसी रंजिश के चलते हिंसा की आशंका है। NIA ने उत्तर भारत, खासकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की जेलों में बंद 25 गैंगस्टर को दूसरे राज्यों की जेलों में ट्रांसफर करने की बात कही थी।
नए एक्ट में क्या नया है?
1894 के ब्रिटिश काल के एक्ट में बदलाव का मकसद कैदियों का सुधार और पुनर्वास है। कैदियों को अच्छे व्यवहार के आधार पर पैरोल से लेकर फर्लो और दूसरी कई छूट की व्यवस्था की गई है। इस एक्ट के मुताबिक महिला कैदियों और ट्रांसजेंडर कैदियों को अलग-अलग सेल में रखने की व्यवस्था है, ताकि उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक असर ना पड़े।
ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट पर जोर
नए एक्ट में कैदियों के पुनर्वास के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग से लेकर स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। 2023 के एक्ट में जेलों में पारदर्शिता पर खास ध्यान दिया गया है। जिसमें कैदियों की शिकायत पर विचार जैसे प्रावधान भी हैं।
हाई सिक्योरिटी जेल बनेंगी
जेल के अंदर हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए अमेरिका और यूरोप के कई देशों की तर्ज पर हाई सिक्योरिटी जेल से लेकर ओपन और सेमी ओपन जेल खोलने की बात कही गई है। कैदियों की मॉनीटरिंग जैसे प्रावधान भी हैं। नए एक्ट में कैदियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी से की व्यवस्था की गई है। साथ ही कहा गया है कि यदि कैदी जेल के अंदर मोबाइल फोन जैसे प्रतिबंधित चीजें इस्तेमाल करते पाए गए तो उन्हें सजा देने का भी प्रावधान है।
और क्या नया है?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रीजन्स एक्ट 1894 के अलावा प्रिजनर्स एक्ट 1900 और ट्रांसफर ऑफ़ प्रिजनर्स एक्ट 1950 ( Transfer of Prisoners Act, 1950) की समीक्षा भी की और इसकी प्रासंगिक धाराओं को भी मॉडल प्रीजन्स एक्ट 2023 में शामिल किया गया है।
