गुजरात में जिला जज कैडर में जजों के प्रमोशन पर विवाद थमता नहीं दिख रहा है। हाईकोर्ट ने 15 मई को ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए 40 जजों का प्रमोशन रद्द कर दिया था और उन्हें पुराने पदों पर वापस भेज दिया। अब एक दिन बाद ही 16 मई को यह जज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। कहा है कि प्रमोशन के बाद डिमोशन बहुत बेइज्जती वाली बात है।

सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने मामले को मेंशन करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने कल एक आदेश पारित किया और इन जजों (40 जजों) का प्रमोशन वापस ले लिया। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि हमारी समन्वय पीठ ने स्टे आदेश पारित किया है। बेंच के दूसरे जज जस्टिस जेबी पारदीवाल ने कहा कि 28 अभी भी मेरिट लिस्ट में हैं, जबकि 40 को वापस कर दिया गया है।

CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि यह ऐसे मसले हैं, जो वापस लिये जा सकते हैं और इन्हें रिटायरमेंट पर देय राशि मिलेगी। इस पर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि यह बहुत अपमान वाली बात भी है। कम से कम, भारत के तमाम राज्यों में यही तरीका है। यूपी में भी यही तरीका है। दलील सुनने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं मामले को दूसरी बेंच को को री-असाइन करूंगा। उन्होंने कहा कि मामले पर जुलाई में सुनवाई होगी।

क्या है 15 मई वाला हाईकोर्ट का नोटिफिकेशन?

गुजरात हाईकोर्ट ने 15 मई को दो अलग-अलग नोट‍िफ‍िकेशन जारी क‍िए थे। एक डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में जजों के प्रमोशन से जुड़ा था, तो दूसरा पहले प्रमोट क‍िए गए जजों को उनके पुराने पद पर वापस भेजने से संबंधित था। नए नोट‍िफ‍िकेशन के मुताबिक मेरिट में आने वाले 28 जजों को प्रमोट किया गया है, जबकि 68 जजों के प्रमोशन वाली पुरानी लिस्ट से 40 जजों को बाहर कर दिया गया है।

राहुल को सजा देने वाले जज का प्रमोशन बरकरार

प्रमोशन की नई लिस्ट में राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि से जुड़े मामले में सजा देने वाले जज हरीश हसमुखभाई वर्मा का नाम बरकरार है। क्योंकि वे मेरिट के दायरे में आते हैं। जज वर्मा ने प्रमोशन के लिए हुई परीक्षा में 200 में से 127 अंक हासिल किये थे।

क्यों रद्द करना पड़ा प्रमोशन?

40 जजों का प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट के 12 मई के आदेश के बाद रद्द हुआ। 12 मई को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर हुए प्रमोशन पर रोक लगा दी थी और ऐसे जजों को उनके पुराने पद पर वापस भेजने का आदेश दिया था, जिनका चयन मेरिट कम सीनिययॉरिटी की जगह सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर हुआ था। गुजरात हाईकोर्ट ने इसी आदेश का पालन करते हुए 15 मई को प्रमोशन और डिमोशन वाली दो लिस्ट जारी की थी।

कहां से शुरू हुआ विवाद?

गुजरात हाईकोर्ट ने 10 मार्च, 2023 को राज्य के जिला जज कैडर में प्रमोशन की एक लिस्ट जारी की। इनमें 68 जजों के नाम थे। इन जजों का चयन 65% कोटा के तहत किया गया था। बाद में गुजरात सरकार के ही दो अफसर इस प्रमोशन लिस्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। गुजरात सरकार के लीगल डिपार्टमेंट में अंडर सेक्रेटरी रवि कुमार मेहता गुजरात स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (Gujarat State Legal Services Authority) में असिस्टेंट डायरेक्टर सचिन प्रताप राय मेहता ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने प्रमोशन के लिए सूटेबिलिटी टेस्ट (परीक्षा) और मेरिट कम सीनियॉरिटी मानक रखा था। जबकि प्रमोशन सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर हुआ।

दो अफसरों ने दिया था अपना उदाहरण

दोनों अफसरों का आरोप था कि चूंकि मानक ही बदल दिये गए, ऐसे में परीक्षा में ज्यादा अंक हासिल करने वाले कैंडिडेट प्रमोशन से वंचित रह गए, जबकि कम अंक पाने वाले जजों को प्रमोशन मिल गया। रवि कुमार मेहता को 200 अंकों की परीक्षा में 135.5 अंक मिले थे। जबकि सचिन प्रताप राय मेहता ने 200 में से 148.5 अंक हासिल किये थे। लेकिन प्रमोशन वाली लिस्ट में उनका नाम नहीं था। जबकि 100 से थोड़ा ज्यादा अंक हासिल करने वाले कैंडिडेट्स को भी प्रमोशन मिल गया था।