प्रत्यर्पण निदेशालय (ED) ने अपनी दूसरी सप्लीमेंट्री प्रॉसीक्यूशन कंप्लेन में मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाया है कि उन्होंने आबकारी नीति पर पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की कानूनी सलाह को कैबिनेट नोट से हटवा दिया था। ईडी ने कहा है कि पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई और पूर्व AG रोहतगी ने पुरानी आबकारी नीति (Excise Policy) को यथास्थिति बनाने का सुझाव दिया था।

ED ने क्या-क्या आरोप लगाए हैं?

ईडी ने अपनी दूसरी कंप्लेंट में कहा है कि आम आदमी पार्टी (AAP), खासकर मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में जो नई एक्साइज पॉलिसी लाई गई उसका एक ही एक ही मकसद था, अवैध तरीके से पैसा बनाना और उसे अवैध तरीके से चैनेलाइज करना। ED ने कहा कि नई एक्साइज पॉलिसी ने बैक डोर से नए कार्टल को बढ़ावा दिया, थोक विक्रेताओं को अप्रत्याशित 12% से अधिक और खुदरा विक्रेताओं को 185 फीसदी से ज्यादा मुनाफा दिया गया। मनीष सिसोदिया की साजिश के चलते दूसरी अवैध आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला।

स्पेशल जज एमके नागपाल (Special Judge MK Nagpal) ने ईडी की दूसरी सप्लीमेंट्री प्रॉसीक्यूशन कंप्लेन का संज्ञान लिया, जो एक तरीके से चार्जशीट जैसी ही है। इसमें कुल 25 आरोपियों के नाम है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि एजेंसी ने सिसोदिया के नाम का जिक्र तो किया है, लेकिन शिकायत में उनका नाम नाम आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं किया है।

सिसोदिया के सचिव का बयान बना आधार

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी द्वारा मनीष सिसोदिया पर लगाए गए तमाम आरोपों का आधार उनके सचिव सी. अरविंद के बयान हैं। सी. अरविंद ने कथित तौर पर ईडी को बताया था कि उन्हें मार्च 2021 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर बुलाया गया था। यहीं पर प्राइवेट प्लेयर्स को होलसेल बिजनेस देने की ”साजिश” रची गई थी और मंत्रियों के समूह की एक रिपोर्ट के आधार पर 12% के मार्जिन का जिक्र किया गया था।

इससे पहले 31 दिसंबर 2020 को एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक तौर पर रखा गया था और लोगों से राज्य के एक्साइज रिवेन्यू को बढ़ाने के लिए सुझाव मांगे गए थे। ईडी का आरोप है कि जनता ने जो सुझाव दिया था उसमें प्रॉफिट, मार्जिन और होलसेल बिजनेस को प्राइवेट प्लेयर्स को देने जैसा कोई सुझाव या प्रस्ताव नहीं था।

ED का आरोप- सिसोदिया ने हटवा दिया था लीगल नोट

ईडी ने अपनी शिकायत में अरविंद केजरीवाल के स्टेटमेंट को जिक्र करते हुए दावा किया है, ’28 जनवरी 2021 को तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर राहुल सिंह ने एक्साइज पॉलिसी से जुड़ा कैबिनेट नोट विचार करने के लिए रखा। तत्कालीन उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पाया कि कैबिनेट नोट में जनता द्वारा प्राप्त सूचनाओं के अलावा डिपार्टमेंट की तरफ से पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई और पूर्व एजी मुकुल रोहतगी के सुझाव को भी रखा गया है, जिसमें पुरानी एक्साइज पॉलिसी को यथावत बनाने का निर्देश दिया गया था।

ईडी का आरोप है कि सिसोदिया ने राहुल सिंह से कैबिनेट नोट से लीगल ओपिनियन हटाने को कहा और सिर्फ जनता की राय सबमिट करने का निर्देश दिया। बाद में राहुल सिंह का तबादला कर दिया गया था और संजय गोयल एक्साइज कमिश्नर बने थे।

क्या है मनीष सिसोदिया के वकीलों का पक्ष?

उधर, मनीष सिसोदिया के वकीलों ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि ईडी का केस जबरन दबाव बनाकर लिए गए स्टेटमेंट पर आधारित है और मूल केस से कोई लेना देना नहीं है। वकीलों ने कहा कि ईडी के पास मनीष सिसोदिया के खिलाफ कोई केस है ही नहीं। जो भी दावे किए जा रहे हैं, वह प्रेशर में लिए गए स्टेटमेंट के आधार पर हैं और राजनीति से प्रेरित हैं।