हिंदी फिल्म जगत में ‘शॉटगन’ नाम से मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को राजनीति में लालकृष्ण आडवाणी लेकर आए थे। सिन्हा एलके आडवाणी को अपना गुरु मानते थे और उन्हीं के कहने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था। वो करीब 3 दशक तक पार्टी में रहे थे। जब शत्रुघ्न सिन्हा ने राजनीति में प्रवेश किया था तब उन्हें डर था कि कहीं उनका राजनीतिक करियर डूब न जाए। इसी बात से परेशान शत्रुघ्न सिन्हा को एलके आडवाणी ने एक सलाह दी थी।

इस बात का ज़िक्र शत्रुघ्न सिन्हा ने जी न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने बताया था, ‘बहुत पहले जब मन बीच-बीच में थोड़ा उदास होता था, थोड़ी तकलीफ होती थी या लगता था कि कष्ट ज्यादा बढ़ रहा है तो मैं हमारे फ्रेंड, गाइड, गुरु, अल्टीमेट लीडर लालकृष्ण आडवाणी जी से पूछता था कि क्या करना चाहिए। फिल्मों में आया हूं अब इसके आगे बढ़ पाऊंगा, नहीं बढ़ पाऊंगा…जा पाऊंगा, नहीं जा पाऊंगा।’

उन्होंने आगे कहा था, ‘तो आडवाणी जी ने बड़ी अच्छी वाणी दी और वो भी महात्मा गांधी की। शायद 1932 में महात्मा गांधी ने कही थी ये बात कि किसी भी अभियान, किसी भी आंदोलन को समापन तक पहुंचाने में चार दौर से आपको गुजरना ही पड़ेगा- पैशन है, अग्रेशन है, सच्चाई है और उपहास, उपेक्षा, तिरस्कार, दमन से आगे निकल गए तब सम्मान आपके कदम चूमेगी।’

शत्रुघ्न सिन्हा ने आगे कहा था कि वो राजनीति में कोई महत्वाकांक्षा लेकर नहीं आए बल्कि वो मिशन पर आए हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सुपरस्टार राजेश खन्ना के विरुद्ध चुनाव लड़कर की थी। साल 1992 के दिल्ली उपचुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी और राजेश खन्ना कांग्रेस की तरफ से लड़े। राजेश खन्ना का स्टारडम शत्रुघ्न सिन्हा के स्टारडम पर भारी पड़ा और वो चुनाव हार गए थे।

हालांकि इस चुनाव के बाद शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी के स्टार प्रचारक बन गए और एलके आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने पार्टी में उनका रुतबा बढ़ा दिया। शत्रुघ्न सिन्हा साल 1996 में बीजेपी की तरफ से राज्यसभा भेजे गए। सिन्हा ने राज्यसभा में अपना दूसरा कार्यकाल भी पूरा किया।साल 2019 में शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था।