भारत के कोयला खदानों में कोयले की कमी की खबरें आ रही है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि देश के अधिकतर कोयला संचालित बिजली संयंत्रों में कोयला के संकट की खबरें आ रही है लेकिन सरकार ये बात मानने को तैयार नहीं है। इसके पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्टी भी लिखी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर राज्य को कोयला नहीं मिला तो राज्य में बिजली का संकट पैदा हो सकता है।

इस मुद्दे को लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उद्योगपति गौतम अडानी को घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘दोस्तों, अपने अपने फोन चार्ज कर लो,जाने देश कब अंधेरे में डूब जाए। देश के कई बिजलीघर बंद होने वाले हैं। देश का कोयला कहां ले गए अडानी जी?’

अगस्त में ही अडानी समूह ने नरेंद्र मोदी सरकार की कोयला खदानों की नीलामी में दो खदान हासिल किए हैं। अडानी ग्रुप को महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में दो कोयला के खदान मिले हैं। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देशभर के आधे से अधिक कोयला से संचालित होने वाले बिजली संयंत्र कोयला के संकट से जूझ रहे हैं। कई राज्यों में संयत्रों के बंद होने की ख़बरें भी आई हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली में कोयला संकट को लेकर केंद्र सरकार को आगाह किया जिस पर केंद्र सरकार में ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने दावा किया कि देश में पर्याप्त कोयला है और इसके कमी की खबरें आधारहीन हैं।

इस बात को लेकर मनीष सिसोदिया ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘आज केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उसमें उन्होंने किसी भी तरह के कोल क्राइसिस को ख़ारिज किया। उन्होंने ये तक कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्टी नहीं लिखनी चाहिए थी। मुझे बहुत दुख हुआ कि वो इतना गैर जिम्मेदाराना अप्रोच लेकर चल रहे हैं। जब कई राज्यों के मुख्यमंत्री उनको आगाह कर रहे हैं कि आनेवाले क्राइसिस से देश को निकालिए, वैसे में वो कह रहे हैं कि क्राइसिस ही नहीं है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘इससे ये समझ आ रहा है कि भारतीय जनता पार्टी से केंद्र सरकार चल नहीं रही। वो क्राइसिस से बचने के बहाने ढूंढ रहे हैं। देशभर में आवाज़ उठ रही है कि कोयला संकट है और ये बिजली संकट में तब्दील हो सकता है। लेकिन सरकार बेशर्मी से कह रही है कि कोई संकट नहीं है। ये आंखें बंद करने की केंद्र सरकार की नीति पहले भी घातक साबित हो चुकी है और अगर केंद्र सरकार ने इस चुनौती को स्वीकार नहीं किया तो बड़ा संकट होगा।’