राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। एनडीटीवी-सीएसडीएस लोकनीति सर्वे के अनुसार 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े नामों की लड़ाई में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पांच प्रतिशत आगे हैं। हालांकि केवल 24 प्रतिशत मतदाता कांग्रेस सरकार से असंतुष्ट हैं।
ये सर्वे 24 अक्टूबर से शुरू हुआ और एक हफ्ते तक चला। राजस्थान के 200 विधानसभा क्षेत्रों में 3,000 से अधिक लोगों के सैंपल के आधार पर ये रिपोर्ट आई है। सर्वे से भाजपा इस बात से उत्साहित होगी कि मतदाता उन्हें उन समस्याओं से लड़ने के लिए तरजीह दे रहे हैं, जिनसे निपटने में गहलोत सरकार असमर्थ रही है। इनमे बढ़ते भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी शामिल है। कुल मिलाकर सर्वे के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस और मुख्यमंत्री गहलोत को राज्य पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए अभी भी कुछ काम करना है।
सर्वे के अनुसार 43 प्रतिशत मतदाताओं का कहना है कि वे गहलोत सरकार से ‘पूरी तरह संतुष्ट’ हैं और 28 प्रतिशत ‘कुछ हद तक संतुष्ट’ हैं। वहीं 10 प्रतिशत कुछ हद तक असंतुष्ट हैं और केवल 14 प्रतिशत सत्तारूढ़ दल से पूरी तरह से असंतुष्ट हैं।
हालांकि मोदी फैक्टर ने भाजपा को कई चुनावों में जीत दिलाई है और अभी भी एक ताकत बना हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी को 37 प्रतिशत मतदाताओं ने पसंद किया जबकि अशोक गहलोत को 32 प्रतिशत ने चुना। 20 प्रतिशत वे लोग हैं जिन्होंने दोनों को चुना।
सर्वे के अनुसार पार्टियों को दावेदारों के बजाय प्रचारकों के रूप में बड़े नामों पर भरोसा करना चाहिए। सर्वे में 31 प्रतिशत ने कहा कि पार्टी महत्वपूर्ण है और 30 प्रतिशत ने उम्मीदवार का समर्थन किया। पीएम मोदी और मुख्यमंत्री गहलोत 13-13 प्रतिशत पर बराबरी पर हैं। गौरतलब है कि केवल तीन प्रतिशत मतदाताओं ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को चुना।
महत्वपूर्ण मुद्दे
बेरोज़गारी और महंगाई मतदाताओं की दो सबसे बड़ी चिंताएँ हैं। 21 प्रतिशत बेरोजगारी और 20 प्रतिशत महंगाई को बड़ा मुद्दा मानते हैं। गरीबी और विकास की कमी को क्रमशः 15 और 13 प्रतिशत लोगों ने बड़ा मुद्दा बताया। दिलचस्प बात यह है कि भ्रष्टाचार को सात फीसदी ने चुना।