उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सबसे पहले लोकसभा उम्मीदवारों का ऐलान करने वाली बीजेपी भी इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार का नाम फाइनल होने के इंतजार में हैं। 2019 के अमेठी लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को मिली करारी हार के बार कांग्रेस इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। पिछले कई दशकों से दोनों ही जगह कांग्रेस का गढ़ रही हैं। इस बार कांग्रेस के सामने अपनी साख बचाने की बड़ी चुनौती है।

इन चार सीटों पर उम्मीदवार तय नहीं कर पाई कांग्रेस

कांग्रेस को समाजवादी पार्टी के साथ हुए गठबंधन में 17 सीटें मिली हैं। इनमें से 13 सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को ऐलान कर चुकी है। 5वां चरण मथुरा, प्रयागराज, अमेठी और रायबरेली को लेकर कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लोकसभा चुनाव में अभी तक सिर्फ तीन बार ही किसी गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को सफलता मिली है। रायबरेली सीट की बात करें तो वहां पहला चुनाव 1952 में हुआ और कांग्रेस के फिरोज गांधी सांसद चुने गए।

अमेठी-रायबरेली के ऐलान में देरी क्यों?

रायबरेली की बात करें तो यहां कुल 5 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से एक पर बीजेपी और चार पर सपा का कब्जा है। इनमें से एक विधायक पाला बदलकर बीजेपी के साथ जा चुका है। ऐसे में कांग्रेस के लिए उम्मीदवार का चयन करना बड़ी चुनौती बना हुआ है। हालांकि इस बार कांग्रेस ने सपा के साथ गठबंधन किया है। ऐसे में उसे समाजवादी पार्टी के वोट अपने पाले में आने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए जीत आसान हो जाएगी। वहीं अमेठी की बात करें तो यहां कुल 5 विधानसभा सीटों में से तीन पर बीजेपी और 2 पर सपा का कब्जा है। इसमें से एक सपा के विधायक राकेश प्रताप सिंह राज्यसभा चुनाव के दौरान पाला बदल कर भाजपा के साथ जा चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए यहां थोड़ी परेशानी हो सकती है।

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गांधी परिवार को अपने ही गढ़ में चुनौती

अमेठी और रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ रहे हैं। रायबरेली में सबसे पहले फिरोज गांधी ने जीत दर्ज की और लगातार दो बार वह यहां से सांसद रहे। इसके बाद तीन बार इंदिरा गांधी, दो बार अरुण नेहरू, दो बार शीला कौल, एक बार कैप्टन सतीश शर्मा और पांच बार सोनिया गांधी यहां से चुनाव जीतीं। सिर्फ 1977 में जनता पार्टी के राज नारायण तथा 1996 व 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अशोक सिंह को यहां जीत मिली। वहीं अमेठी की बात करें तो यहां कुल 16 लोकसभा चुनाव में 13 बार कांग्रेस को जीत मिली है। वहीं एक बार जनता पार्टी का सांसद चुना गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को स्मृति ईरानी ने करारी शिकस्त दी।