Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में अब तक कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशियों की एक भी लिस्ट जारी नहीं की है। कहा जा रहा है कि प्रदेश में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कई मंत्रियों पर गाज गिर सकती है। बुधवार को कांग्रेस ने राजस्थान में प्रत्याशियों को लेकर गहन मंथन किया लेकिन शाम तक कोई लिस्ट जारी नहीं की गई। एमपी, मिजोरम, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के उलट राजस्थान में कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम की एक भी लिस्ट जारी नहीं कर पाई है।
सूत्रों की मानें तो राजस्थान में प्रत्याशियों नाम में देरी की वजह कुछ विधायकों (मंत्रियों सहित) के नाम पर उभरे गंभीर मतभेद हैं। सूत्रों ने बताया कि गहलोत चाहते हैं कि उनके सभी मंत्रियों को दोबारा मैदान में उतारा जाए। वो यह भी चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी उन 6 विधायकों को भी टिकट दे, जो साल 2019 में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे। इसके अलावा वो निर्दलीय जीतने वाले विधायकों के लिए भी टिकट चाहते हैं। इन सभी ने संकट के समय में उनका साथ दिया था।
कांग्रेस इनसाइडर्स की मानें तो शीर्ष नेतृत्व ऐसे विधायकों को टिकट नहीं देना चाहता जिनके इस बार जीतने के कम या बहुत कम चांस हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कांग्रेस का आकलन चुनाव रणनीतिकार सुनील कनुगोलू की टीम द्वारा किए गए इंटरनल सर्वे पर आधारित है। लेकिन कहा जा रहा है कि सीएम गहलोत कनुगोलू की टीम की तरफ से सुझाए गए संभावित उम्मीदवारों के पूरी तरह से पक्ष में नहीं हैं। कहा तो यह तक जा रहा है कि गहलोत ने एक मीटिंग में यह तक कह दिया कि वो राजस्थान को चुनाव रणनीतिकार से बेहतर जानते हैं।
किन मंत्रियों का भविष्य संकट में?
सूत्रों की मानें तो जिन मंत्रियों पर संकट की तलवार लटक रही है, उनमें शांति कुमार धारीवाल, महेश जोशी, गोविंद राम मेघवाल और शकुंतला रावत शामिल हैं। शांति कुमार धारीवाल और महेश जोशी कांग्रेस के उन तीन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल CLP का बहिष्कार किया था। उन्हें पार्टी हाईकमान ने नोटिस भी जारी किया था। उस समय अशोक गहलोत का नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चल रहा था और कहा जाता है कि गांधी परिवार चाहता था कि सचिन पायलट प्रदेश की कमान संभालें।
खुश नहीं है कांग्रेस CEC
कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) ने बुधवार को लगभग 100 सीटों पर प्रत्याशियों की चर्चा करने के लिए मीटिंग की। सूत्रों की मानें तो पैनल ने इन 100 नामों में से सिर्फ आधी सीटों पर ही अपनी मंजूरी दी है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खासकर राहुल गांधी बची हुई सीटों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा सिर्फ एक नाम दिए जाने से नाराज हैं। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने स्क्रीनिंग कमेटी से हर सीट के लिए कम से कम तीन नाम लेकर आने को कहा है। कहा जा रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी सीएम अशोक गहलोत और उनके खेमे के कड़े प्रतिरोध की वजह से नाम नहीं पेश कर सकी।
शीर्ष नेतृत्व स्क्रीनिंग कमेटी से बहुत नाराज
कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं ने बाद में यह भी आश्चर्य जताया कि क्या CEC का काम सिर्फ स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा उनके सामने रखे गए नामों पर “मोहर” लगाना है और सर्वे सहित कई चैनलों के जरिए पार्टी को मिले फीडबैक पर अपना दिमाग लगाना नहीं था। सूत्रों ने बताया कि सीएम अशोक गहलोत अपने विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से उन्हें टिकट देने से इनकार करने के खिलाफ थे।
क्या अब भी जारी है गहोलत बनाम पायलट की रार?
मंगलवार को दिल्ली रवाना होने से पहले सीएम अशोक गहलोत ने तर्क दिया कि अगर विधायक भ्रष्ट होते तो उन्होंने 2020 में उनकी सरकार को गिराने के लिए उन्हें ऑफर किए गए पैसे ले लेते। बता दें कि 2020 में पायलट का विद्रोह और फिर पिछले साल राजस्थान में हुई हलचल अब गहलोत प्रत्याशियों के चयन में अहम रोल अदा कर रही हैं।
सीएम अशोक गहलोत के गुट का मानना है कि जिन विधायकों ने उनकी सरकार के खिलाफ बगावत की थी, उन्हें दोबारा टिकट नहीं किया जाना चाहिए। दूसरी तरफ पायलट गुट का तर्क है कि इस स्थिति में यही नियम उन विधायकों पर लागू होना चाहिए, जिन्होंने CLP मीटिंग को लेकर शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों को नहीं माना था। प्रत्याशियों के नाम पर जारी तमाम खींचतान के बीच सूत्रों ने कहा कि राजस्थान के लिए कांग्रेस की पहली लिस्ट सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों की हो सकती है जिनके नाम पर कोई असहमति नहीं है।