पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई है। खबरों के मुताबिक, राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता कई इलाकों में मतदाताओं को बूथ तक जाने भी नहीं दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी पर विपक्षी दलों के समर्थकों, कार्यकर्ताओं और नेताओं पर हमले करने के आरोप लगे हैं। बमबारी और चाकूबाजी के बीच मतदाताओं को मतदान करना पड़ रहा है। हालात बेकाबू होने पर पुलिस को कई जगहों पर टीयर गैस का भी प्रयोग करना पड़ा है। यहां तक कि पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा गया, उनपर भी हमले किए गए हैं। हिंसक घटनाओं की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि मुर्शिदाबाद में पोलिंग बूथ पर बम धमाके में बीजेपी उम्मीदवार तपन मंडल की मौत हो गई। चुनावी हिंसा में आधा दर्जन लोगों के मारे जाने की खबरें आ चुकी हैं। इसके बावजूद टीएमसी के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी ने व्यापक हिंसा न होने और मतदान के शांतिपूर्ण तरीके से चलने की बात कही है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने पंचायत चुनावों में इस कदर हो रही हिंसा को अप्रत्याशित करार देते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है। प. बंगाल में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पंचायत चुनाव हो रहे हैं। टीएमसी और वाम दलों के बीच बर्चस्व की लड़ाई पहले से ही चल रही है। दूसरी तरफ, भाजपा भी राज्य के ग्रामीण इलाकों में लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। ऐसे में पंचायत चुनाव बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है।
भाजपा के उदय ने बढ़ाई ममता की चिंता!: वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनाव होने हैं। उससे ठीक पहले पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। पंचायत चुनावों को आम चुनावों से पहले जनता का मूड भांपने का पैमाना भी माना जा रहा है। ऐसे में राज्य में दशकों तक शासन करने वाला वाम मोर्चा खोई जमीन तलाशने में जुटा है। कांग्रेस भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की जुगत में है। लेकिन, ममता बनर्जी के लिए इन दोनों से बड़ी चुनौती राज्य में तेजी से पांव पसार रही भाजपा है। अप्रैल के अंतिम दिनों में राज्य में कराए गए सर्वेक्षण में भाजपा दूसरी सबसे मजबूत पार्टी के तौर पर उभर कर सामने आई थी। बीजेपी ने खासकर पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में गहरी पैठ बनाई है। वाम दल और कांग्रेस के क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर रहने की संभावना जताई गई है। टीएमसी को भय है कि आगामी लोकसभा चुनावों तक भाजपा की स्थिति और मजबूत न हो जाए। हालांकि, टीएमसी उम्मीदवार बिना किसी मुकाबले के 34 फीसद सीटों पर विजयी घोषित किए जा चुके हैं।
West Bengal: Voting booth vandalised allegedly by TMC workers in North Dinajpur's Sonadangi during #PanchayatPolls pic.twitter.com/I9epqPreXR
— ANI (@ANI) May 14, 2018
भाजपा की नजर में बंगाल की 42 लोकसभा सीटें: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कई मौकों पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की नसीहत दे चुके हैं, जहां भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान वोट शेयरिंग के मामले में दूसरे स्थान पर रही थी। ऐसे में भाजपा पश्चिम बंगाल के साथ ही ओडिशा और केरल जैसे गैर भाजपा शासित राज्यों में विस्तार पर विशेष ध्यान दे रही है। ओडिशा और केरल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह रैली भी कर चुके हैं। पार्टी नेता इस बात को अच्छी तरह से समझ रहे हैं कि कई राज्यों में वर्ष 2014 के प्रदर्शन को दोहराया नहीं जा सकता है, ऐसे में नए राज्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। बता दें कि पश्चिम बगाल में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं। तृणमूल ने पिछली बार 34 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में सीटें बढ़ाने की जुगत में है।
अमित शाह का प्लान: अमित शाह ने कुछ दिनों पहले दिए साक्षात्कार में कहा था कि वर्ष 2014 में भाजपा 219 सीटों पर जीत सकती थी, ऐसे में वर्ष 2019 के चुनावों में इन सीटों पर काम किया जाएगा। वहीं, ममता बनर्जी राज्य में मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना चाहेंगी। इसे देखते हुए टीएमसी पंचायत चुनाव में बैलट पेपर के जरिये अपने प्रभाव को दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। वहीं, भाजपा भी टीएमसी को टक्कर दे रही है।
