यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। एक तरफ दक्षिण के राज्य ने उसे करारी हार दी, आत्ममंथन करने पर मजबूर किया तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश ने उसे राहत की सांस भी दी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी से 80 सीटें निकालने का प्लान तैयार किया है। वो प्लान तभी सफल हो सकता है जब पार्टी को मुस्लिमों का भी वोट मिले। अब निकाय चुनाव के नतीजे बताते हैं कि पार्टी इस डिपार्टमेंट में पास हो गई है। उसने इस बार मुस्लिम उम्मीदवार उतारने का दांव चला था, वो रंगा लाया है।
मुस्लिमों को यूपी में बीजेपी का साथ पसंद!
इस चुनाव में बीजेपी ने 395 मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था। इसमें छह प्रत्याशी नगर पालिका में तो 32 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए चुनौती मैदान में थे। बाकी बचे उम्मीदवार पार्षद के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे थे। अब ये ट्रेंड पहली बार देखने को मिला है कि मेरठ, मुरादाबाद और बरेली जैसे नगर निगमों में बीजेपी की बड़ी जीत हुई है। इन सभी सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका में रहते हैं, सपा की भी यहां पर मजबूत उपस्थिति है। लेकिन इस बार इन नगर निगमों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप कर जमीन पर सभी समीकरण बदल दिए हैं। सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली, गोरखपुर, जौनपुर, लखनऊ सहित कई जिलों में उसके प्रत्याशी जीते हैं।
कुछ सीटों पर बसपा दूसरे नंबर पर रही है, यानी कि मुस्लिम का वोट मायावती की पार्टी के पास गया है। ऐसे में निकाय चुनाव के नतीजे समाजवादी पार्टी के लिए किसी भी लिहाज से उत्साहजनक नहीं है। वहीं बीजेपी ने जो पसमांदा मुस्लिमानों का दिल जीतने का दांव चला था, उसका फीडबैक काफी पॉजिटिव है। अगर यहीं ट्रेंड आगे भी जारी रहता है, उस स्थिति में यूपी में बीजेपी जबरदस्त फायदा हो सकता है। पश्चिमी यूपी में तो पार्टी के लिए ये और ज्यादा राहत ला सकता है।
बसपा ने सपा का खेल बिगाड़ा, खुद भी नहीं कर पाई कमाल
वैसे बीजेपी की मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत की एक बड़ी वजह बहुजन समाज पार्टी भी है। इस चुनाव में बीएमसी ने 64 प्रतिशत मुस्लिम प्रत्याशी उताकर एक नई तरह की सोशल इंजीनियरिंग करने की कोशिश की थी। वहीं दोनों कांग्रेस और सपा ने 23-23 फीसदी मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका दिया था। लेकिन नतीजों से पता चलता है कि बसपा का खुद का प्रदर्शन तो निराशाजनक तो रहा ही, उसकी वजह से कई सीटों पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो गया। इस बंटवारे ने ही कई सीटों पर बीजेपी को सीधा फायदा पहुंचाया है। माना जा रहा है कि इसी वजह से मुरादाबाद, अलीगढ़, मेरठ जैसी कई सीटों पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया।
कर्नाटक में डबल इंजन फेल, यूपी में ट्रिपल ताकत
अब बीजेपी ने सिर्फ 17 मेयर नहीं जीते हैं, उसने पहली बार उत्तर प्रदेश में ट्रिपंल इंजन की सरकार भी बना डाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र में बीजेपी, राज्य में बीजेपी और अब नगर निगम में भी पूर्ण बहुमत के साथ बीजेपी। ऐसे में डबल इंजन अब ट्रिपल इंजन में परिवर्तित हो चुका है। बड़ी बात ये भी है कि जिन मुद्दों पर बीजेपी को कर्नाटक में करारी हार का सामना करना पड़ा, उन्हीं मुद्दों ने यूपी में बीजेपी के कमल को अच्छे से खिलाया है। असल में यूपी के निकाय चुनाव में राष्ट्रवाद हावी रहा, माफियाओं पर लिए गए एक्शन चर्चा का विषय बने और धार्मिक मुद्दों से भी माहौल बनाया गया। यानी कि बजरंग बलि कर्नाटक में बीजेपी को नहीं जिता पाए, लेकिन वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर निर्माण और मथुरा में भी ऐसी परियोजना के सपनों ने खूब वोट दिलवा दिए।
एक और ट्रेंड को जो समझ आता है, वो शहरी वोटर का मिजाज है। लोकसभा चुनाव में कई शहरी सीटें रहने वाली हैं, ऐसे में निकाय चुनाव के नतीजों बीजेपी के पक्ष में माहौल बता दिया है। सवर्णों पर जिस तरह से बीजेपी ने इस चुनाव में भरोसा जताया था, उसका लाभ भी नतीजों में स्पष्ट रूप से दिख रहा है। ऐसे में बीजेपी के लिए हर डिपार्टमेंट से गुड न्यूज है, चिंता अखिलेश यादव के लिए बढ़ी है क्योंकि विधानसभा के बाद उन्हें एक और करारी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में अब आगामी लोकसभा चुनाव के लिए वे कैसे समीकरण साधते हैं, इस पर सभी की नजर रहेगी।